पूंजी की कमी से नहीं मिल रहा था उचित मूल्य
शुक्रवार को आयोजित एक बैठक में सहकारिता विभाग की निबंधक (सहयोग समितियां) इनायत खान ने दरभंगा, मधुबनी समेत अन्य मखाना उत्पादक जिलों की सहकारी समितियों एवं किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की।
किसानों और समितियों के अध्यक्षों ने बताया कि मखाना की खेती में शुरुआत में ही भारी पूंजी की जरूरत होती है, जिसकी पूर्ति वे मखाना व्यापारियों से उधारी लेकर करते हैं। नतीजतन, किसान अपने उत्पादों को बाजार में उचित मूल्य पर नहीं बेच पाते और लाभ का बड़ा हिस्सा व्यापारियों को चला जाता है।
इसी को ध्यान में रखते हुए निबंधक इनायत खान ने कहा कि हर मखाना उत्पादक किसान को पांच लाख रुपये तक की केसीसी सीमा देने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, ताकि वे स्वतंत्र रूप से खेती कर सकें और अपने उत्पादों का बेहतर विपणन कर सकें।
विपणन, प्रोसेसिंग और नए बाजारों पर फोकस
बैठक में मखाना उत्पादों के प्रोसेसिंग, पैकेजिंग और विपणन को लेकर भी चर्चा हुई। निबंधक ने निर्देश दिया कि अगले 15 दिनों में सभी मखाना उत्पादक समितियों को नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (NCEL) के साथ जोड़ा जाए, ताकि उनके उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार मिल सके।
ग्रामीण पर्यटन और सहकारिता को मिलेगा बढ़ावा
सहकारिता विभाग ने पैक्सों (PACS) को भी होम स्टे, पैकेज टूरिज्म, ग्रामीण टूरिज्म, यातायात सेवाएं, गाइड एवं ट्रेनिंग जैसे वैकल्पिक क्षेत्रों में काम करने के निर्देश दिए हैं। विभाग के सचिव धर्मेन्द्र सिंह ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ये कदम जरूरी हैं। इससे गांवों में रोजगार भी उत्पन्न होगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।
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