अमेरिका-चीन से भी तेज होगी भारत की नई मिसाइल

नई दिल्ली। भारत जल्द ही एक नई मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाने जा रहा है। भारत और रूस के संयुक्त सहयोग से विकसित हो रही ब्रह्मोस-2 मिसाइल को लेकर नई जानकारियाँ सामने आई हैं, जिनके अनुसार यह हाइपरसोनिक मिसाइल अमेरिका और चीन की मिसाइलों से भी अधिक तेज़ और घातक होगी।

ब्रह्मोस-2 को ब्रह्मोस एयरोस्पेस द्वारा विकसित किया जा रहा है, और यह मौजूदा ब्रह्मोस मिसाइल की तुलना में तीन गुना अधिक रफ्तार से लक्ष्य पर हमला करने में सक्षम होगी। जहां ब्रह्मोस की अधिकतम गति लगभग Mach 2.8 है, वहीं ब्रह्मोस-2 की गति Mach 7 तक पहुंचने की संभावना है, यानी आवाज की गति से सात गुना तेज। यह इसे दुनिया की सबसे तेज़ हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में शामिल कर देगा।

क्या है ब्रह्मोस-2 की खासियत?

अत्यधिक गति: Mach 7 (लगभग 8,600 किमी/घंटा) तक की स्पीड

असाधारण सटीकता: टारगेट पर pinpoint अटैक करने में सक्षम

डिफेंस को चकमा देने की क्षमता: एयर डिफेंस सिस्टम इसे इंटरसेप्ट नहीं कर पाएंगे

कम प्रतिक्रिया समय: उच्च गति के कारण दुश्मन के पास प्रतिक्रिया देने का समय बेहद कम होगा

क्यों है ये मिसाइल अहम?

विशेषज्ञों का मानना है कि ब्रह्मोस-2 की तैनाती से भारत की स्ट्रैटेजिक डिटरेंस (रणनीतिक प्रतिरोधक क्षमता) को एक नई मजबूती मिलेगी। अमेरिका की AGM-183A ARRW और चीन की DF-17 जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलों की तुलना में ब्रह्मोस-2 न केवल अधिक तेज़ होगी, बल्कि तकनीकी रूप से भी अधिक परिष्कृत बताई जा रही है।

कब हो सकती है तैनाती?

रक्षा सूत्रों के अनुसार, ब्रह्मोस-2 का परीक्षण 2025-26 के बीच संभव है। इसकी सफल टेस्टिंग के बाद 2030 तक इसे भारत की सैन्य ताकत में शामिल किए जाने की उम्मीद है।

दुनिया की निगाहें भारत पर

ब्रह्मोस-2 न केवल भारत की सैन्य ताकत में क्रांतिकारी बदलाव लाएगी, बल्कि वैश्विक हथियार बाजार में भारत की हिस्सेदारी को भी बढ़ाएगी। कई देशों ने इस मिसाइल में दिलचस्पी दिखा सकते है, और भविष्य में इसके निर्यात की भी संभावनाएँ प्रबल हैं।

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