भारत की मिसाइल तकनीक: अमेरिका-रूस को दे रही टक्कर

नई दिल्ली। भारत ने रक्षा क्षेत्र में पिछले कुछ दशकों में जो प्रगति की है, वह किसी चमत्कार से कम नहीं है। विशेष रूप से मिसाइल तकनीक के क्षेत्र में भारत ने न केवल आत्मनिर्भरता हासिल की है, बल्कि अब वह अमेरिका और रूस जैसे सैन्य महाशक्तियों को भी कड़ी टक्कर दे रहा है। देश की यह तकनीकी प्रगति "मेक इन इंडिया" और "आत्मनिर्भर भारत" जैसी योजनाओं की सफलता का जीता-जागता उदाहरण बन चुकी है।

अग्नि श्रृंखला: भारत की सामरिक रीढ़

भारत की बैलिस्टिक मिसाइल प्रणाली की अग्नि श्रृंखला — अग्नि-I से लेकर अग्नि-V तक — भारत की परमाणु क्षमता को मजबूत आधार प्रदान करती है। खासकर अग्नि-V, जिसकी मारक क्षमता 5,000 किलोमीटर से अधिक है, चीन और यूरोप तक अपने लक्ष्य को भेद सकती है। यह मिसाइल इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) श्रेणी में आती है और भारत को ‘डिटरेंस पावर’ के रूप में स्थापित करती है।

ब्रह्मोस: भारत-रूस की साझेदारी का सुपरहिट मॉडल

ब्रह्मोस मिसाइल, जिसे भारत और रूस ने मिलकर विकसित किया है, दुनिया की सबसे तेज़ सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइलों में से एक है। यह जमीन, हवा, समुद्र — तीनों से दागी जा सकती है और 300 से 800 किलोमीटर तक सटीक वार कर सकती है। वर्तमान में इसका एयर-लॉन्च वर्जन भी भारतीय वायुसेना के Su-30MKI विमानों में शामिल हो चुका है।

नई दिशा: हाइपरसोनिक और एंटी-सैटेलाइट मिसाइलें

भारत अब केवल परंपरागत मिसाइलों तक सीमित नहीं है। DRDO हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी पर भी काम कर रहा है, जिसमें मिसाइलें ध्वनि की गति से 5 गुना तेज़ चल सकती हैं। इसके अलावा, भारत ने 2019 में "मिशन शक्ति" के तहत सफलतापूर्वक एंटी-सैटेलाइट (ASAT) मिसाइल परीक्षण कर पूरी दुनिया को चौंका दिया। अब भारत उन गिने-चुने देशों में शामिल है जो अंतरिक्ष में भी दुश्मन को जवाब देने की क्षमता रखते हैं।

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