क्या है UPS और NPS में फर्क?
NPS एक लॉन्ग टर्म रिटायरमेंट सेविंग स्कीम है जो पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) के तहत संचालित होती है। वहीं, UPS को नए विकल्प के रूप में विकसित किया गया है जो कर्मचारियों को एकीकृत पेंशन सुविधा देने का दावा करता है। पहले तक NPS में टैक्स छूट मिलने की वजह से ज्यादा कर्मचारी उसी की ओर आकर्षित होते थे। लेकिन अब UPS को भी टैक्स में समान लाभ देकर दोनों योजनाओं को बराबरी पर ला दिया गया है।
किन सेक्शन्स में मिलती है टैक्स छूट?
पुराने टैक्स सिस्टम में कर्मचारियों को तीन अलग-अलग सेक्शनों के तहत छूट मिलती थी, जो अब UPS पर भी लागू होगी:
1. सेक्शन 80CCD (1)
यह छूट कर्मचारी द्वारा खुद जमा की गई राशि पर मिलती है। बेसिक सैलरी का 10% या ₹1.5 लाख (जो भी कम हो) तक की छूट। यह 80C की समग्र लिमिट के अंतर्गत आता है।
2. सेक्शन 80CCD (1B)
यह अतिरिक्त छूट है जो 80C की लिमिट से अलग है। अगर कर्मचारी ने अपने NPS या अब UPS टियर-I खाते में ₹50,000 जमा किए हैं, तो उतनी राशि पर अतिरिक्त छूट मिलेगी।
3. सेक्शन 80CCD (2)
यह छूट नियोक्ता (सरकार) द्वारा कर्मचारी के खाते में किए गए योगदान पर मिलती है। बेसिक + DA का 14% तक की राशि टैक्स फ्री मानी जाएगी। यही एकमात्र छूट है जो नए टैक्स सिस्टम में भी मान्य है।
नए टैक्स सिस्टम में क्या मिलेगा?
अगर कर्मचारी ने नया टैक्स सिस्टम चुना है, तो केवल सेक्शन 80CCD (2) के तहत ही टैक्स लाभ मिलेगा। इसका मतलब है कि UPS या NPS के टियर-I अकाउंट में नियोक्ता द्वारा किए गए योगदान पर ही छूट दी जाएगी। इसमें भी वही 14% का नियम लागू होगा।
कर्मचारियों के लिए क्या फायदा?
इस निर्णय से उन सरकारी कर्मचारियों को राहत मिलेगी जो NPS से अलग विकल्प तलाश रहे थे लेकिन टैक्स फायदे खोने के डर से UPS नहीं चुनते थे। अब UPS अपनाने पर भी: उतनी ही टैक्स छूट मिलेगी जितनी NPS में थी।
0 comments:
Post a Comment