अमीर क्यों छोड़ रहे हैं देश?
इस ट्रेंड को 'वेल्थ माइग्रेशन' या 'ग्रेट वेल्थ माइग्रेशन' कहा जाता है। हेनले एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट के अनुसार, भारत से 2025 में लगभग 3,500 करोड़पति देश छोड़ सकते हैं। भले ही यह संख्या पिछले वर्षों के मुकाबले थोड़ी घटी है, लेकिन यह अब भी दुनिया में सबसे अधिक है। 2023 में ये संख्या 5,100 और 2024 में 4,300 थी। इस माइग्रेशन के साथ देश से अरबों डॉलर की संपत्ति भी बाहर जा रही है, जिससे भारत को 'वेल्थ ड्रेन' की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
इसके पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
1. टैक्स नियमों की जटिलता और सख्ती: भारत में इनकम टैक्स से लेकर इन्वेस्टमेंट पर टैक्स तक, कई स्तरों पर जटिल और कड़े नियम हैं। अमीरों के लिए टैक्स बोझ बढ़ता जा रहा है, जिससे वे ऐसे देशों की ओर रुख कर रहे हैं जहां टैक्स सिस्टम सरल और निवेश के लिए अनुकूल है।
2. बेहतर जीवनशैली की चाह: यूएई, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में उच्च स्तर की सुविधाएं, बेहतर हेल्थकेयर, शिक्षा और सुरक्षा व्यवस्था अमीरों को आकर्षित करती हैं। लॉन्ग-टर्म वीजा, गोल्डन वीजा, और रेजिडेंसी बाय इन्वेस्टमेंट जैसे विकल्प उनकी पसंद को और आसान बना देते हैं।
3. ग्लोबल कनेक्टिविटी और अवसर: आज के कारोबारी अमीर वैश्विक स्तर पर सोचते हैं। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे बेहतर शिक्षा और अंतरराष्ट्रीय exposure के साथ बड़े हों। इसके अलावा, विदेशी नागरिकता और वैश्विक निवेश के अवसर उन्हें और अधिक स्वतंत्रता प्रदान करते हैं।
लेकिन देश में अमीरी भी बढ़ रही है
यह ध्यान देना जरूरी है कि अमीर लोग देश छोड़ रहे हैं, लेकिन नए करोड़पति भी तेजी से बन रहे हैं। 2014 से 2024 के बीच भारत में HNIs की संख्या में 72% की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। स्टार्टअप्स, शेयर बाजार और पारिवारिक बिजनेस ने नए युवाओं को तेजी से अमीर बनने का मौका दिया है।
सरकार के लिए चुनौती
करोड़पतियों का बाहर जाना न केवल आर्थिक नुकसान है, बल्कि यह देश की नीति और माहौल पर भी एक सवाल खड़ा करता है। अगर भारत में ऐसा वातावरण बने जिसमें अमीर निवेशकों को सुरक्षा, स्थिरता, और विकास के अवसर मिलें, तो शायद वे देश छोड़ने के बजाय यहीं रहने को प्राथमिकता देंगे।
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