भारत की बढ़ती 'मिसाइल' ताकत से चीन को डर!

नई दिल्ली। भारत की रक्षा क्षमता में हाल के वर्षों में जो तेज़ी से विकास हुआ है, उसने न केवल देश को आत्मनिर्भर और शक्तिशाली बनाया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सामरिक संतुलन को भी प्रभावित किया है। विशेष रूप से भारत की मिसाइल ताकत में हो रही वृद्धि ने चीन जैसे पड़ोसी देशों की नींद उड़ा दी है। जहां पहले चीन भारत को सामरिक रूप से कमज़ोर मानता था, वहीं अब उसे भारत की आधुनिक मिसाइल प्रणाली और अंतरिक्ष आधारित सुरक्षा तंत्र से गंभीर चिंता होने लगी है।

मिसाइल शक्ति का विस्तार

भारत की मिसाइल विकास परियोजनाएं, विशेष रूप से डीआरडीओ (DRDO) द्वारा विकसित की गईं, आज विश्व स्तर पर सराही जा रही हैं। अग्नि श्रृंखला की मिसाइलें — अग्नि-1 से लेकर अग्नि-5 तक — भारत को 5,000 किलोमीटर तक मार करने की क्षमता देती हैं। इससे चीन के प्रमुख शहर जैसे बीजिंग और शंघाई भारत की रेंज में आ जाते हैं।

साथ ही, ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल, जो भारत और रूस की संयुक्त परियोजना है, दुनिया की सबसे तेज़ क्रूज़ मिसाइल मानी जाती है। इसे अब वायु, जल और थल — तीनों माध्यमों से लॉन्च किया जा सकता है। भारत अब ब्रह्मोस के हाइपरसोनिक संस्करण पर भी काम कर रहा है, जो चीन की सुरक्षा व्यवस्था के लिए और भी चुनौतीपूर्ण होगा।

चीन की चिंता के कारण

चीन की चिंता केवल भारत की मिसाइलों की रेंज तक सीमित नहीं है। भारत की नई रणनीति में तेजी से विकसित होती बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस (BMD) प्रणाली, स्वदेशी उपग्रह-निगरानी प्रणाली और ‘प्रथम प्रहार’ की बजाय ‘दूसरा लेकिन निर्णायक जवाब’ देने की नीति शामिल है। इसका अर्थ है कि भारत भले ही युद्ध की पहल न करे, लेकिन जवाब इतना सशक्त होगा कि दुश्मन को भारी क्षति उठानी पड़ेगी।

हाल ही में भारत द्वारा अग्नि-5 का MIRV (Multiple Independently targetable Reentry Vehicle) तकनीक के साथ सफल परीक्षण, जिसमें एक ही मिसाइल से कई लक्ष्यों को अलग-अलग दिशाओं में निशाना बनाया जा सकता है, चीन के लिए बड़ी चेतावनी है।

रणनीतिक असर

भारत की बढ़ती मिसाइल ताकत ने एशिया में शक्ति संतुलन को नई दिशा दी है। अब तक चीन जिस सैन्य प्रभुत्व का दावा करता रहा, उसे भारत की तकनीकी और रणनीतिक प्रगति ने चुनौती देना शुरू कर दिया है। यह स्थिति संवेदनशील इलाकों में चीन की रणनीति को बाधित कर रही है।

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