क्यों हटाए जा रहे हैं नाम?
चुनाव आयोग के अनुसार, यह नाम हटाने की प्रक्रिया पूरी तरह से जरूरी और औचित्यपूर्ण है। ताज़ा आंकड़ों के अनुसार: 12.5 लाख मतदाता ऐसे हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, लेकिन उनके नाम अब भी सूची में दर्ज थे। इसका नाम हटा दिया जायेगा।
वहीं, 17.5 लाख लोग बिहार से स्थायी रूप से बाहर चले गए हैं, इसलिए वे अब इस राज्य में मतदान नहीं कर सकते। जबकि 5.5 लाख से अधिक मामलों में दोहरे पंजीकरण पाए गए हैं, यानी एक ही व्यक्ति के नाम दो बार दर्ज हैं। इस प्रकार, कुल मिलाकर लगभग 35.5 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाएंगे, जो कि राज्य के कुल मतदाताओं का 4.5% से भी अधिक है।
वोटर लिस्ट में विदेशी नागरिक भी शामिल!
आपको बता दें की एक और चौंकाने वाली बात यह सामने आई है कि कुछ विदेशी नागरिक—जैसे नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार के नागरिक—ग़लती से वोटर लिस्ट में शामिल हो गए थे। जांच के बाद इन नामों को भी सूची से हटाया जा रहा है।
क्या है SIR (Special Intensive Revision)?
चुनाव आयोग की यह विशेष मुहिम 'SIR' का मकसद वोटर लिस्ट को साफ, सटीक और अद्यतन बनाना है। इसमें स्थानीय अधिकारियों के सहयोग से यह पता लगाया जा रहा है कि कौन मतदाता अब जीवित नहीं है, कौन दूसरे राज्य में जा चुका है, और किनके नाम दो बार दर्ज हैं।
इस प्रक्रिया में अब तक 6.6 करोड़ मतदाताओं ने अपने फॉर्म जमा किए हैं, जो कुल मतदाताओं का 88.18% है। आयोग ने 25 जुलाई तक फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख तय की है, जिसके बाद वोटर लिस्ट का पहला ड्राफ्ट जारी किया जाएगा।
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