क्या है स्थानिक दाखिल-खारिज प्रणाली?
यह एक उन्नत तकनीक आधारित प्रणाली है, जिसमें भू-राजस्व रजिस्ट्रेशन के साथ ही भूमि के मालिकाना हक, नक्शा और जमाबंदी का स्वतः अद्यतन हो जाएगा। पहले यह प्रक्रिया अलग-अलग विभागों के माध्यम से होती थी, जिससे समय की बर्बादी, भ्रष्टाचार और भ्रम की स्थिति पैदा होती थी। अब इस नई प्रणाली में रजिस्ट्री होते ही खेसरा, नक्शा और मालिकाना दस्तावेज अपडेट हो जाएंगे।
शुरुआत और आगे की योजना
फिलहाल इस प्रणाली को तीन जिलों के 80 गांवों में लागू किया गया है, लेकिन राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग की योजना इसे पूरे राज्य में विस्तार देने की है। सरकार का मानना है कि यह प्रणाली राज्य की भूमि व्यवस्था को पारदर्शी और विवादमुक्त बनाने में मील का पत्थर साबित होगी।
प्रणाली की मुख्य विशेषताएं:
1 .ऑटोमेटेड अपडेट: भूमि की रजिस्ट्री के साथ ही राजस्व अभिलेखों और नक्शों का स्वतः अद्यतन।
2 .GIS आधारित समाधान: मेक इन इंडिया पहल के तहत आईआईटी रुड़की द्वारा विकसित तकनीक का उपयोग।
3 .खेसरा नंबर का सटीक विभाजन: यदि किसी खेसरा का भाग बेचा जाता है, तो नया खेसरा नंबर उत्पन्न होगा, जबकि पूरा खेसरा स्थानांतरित होने पर संख्या यथावत रहेगी।
4 .साझा संपत्ति की पारदर्शिता: किस व्यक्ति ने किस हिस्से की बिक्री की है, इसकी स्पष्ट जानकारी उपलब्ध होगी।
5 .शून्य मानवीय हस्तक्षेप: इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी और 'झोला वाला सिस्टम' की समाप्ति होगी।
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