जहाँ चीन ने 4780.0 मिलियन टन कोयला उत्पादन के साथ टॉप स्थान कायम रखा है, वहीं भारत ने 1085.1 मिलियन टन उत्पादन के साथ दूसरे स्थान पर अपनी जगह पक्की कर ली है। ये आंकड़े केवल उत्पादन की कहानी नहीं कहते, बल्कि भारत की ऊर्जा आत्मनिर्भरता, औद्योगिक विस्तार, और रणनीतिक संसाधन प्रबंधन का संकेत भी हैं।
भारत ने पीछे छोड़े अमेरिका, इंडोनेशिया जैसे देश
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि भारत ने इस रेस में अमेरिका (464.6 मिलियन टन), इंडोनेशिया (836.1 मिलियन टन), ऑस्ट्रेलिया (462.9 मिलियन टन), और रूस (427.2 मिलियन टन) जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है। ये सभी देश लंबे समय से कोयला उत्पादन में अहम भूमिका निभाते आ रहे हैं, लेकिन भारत की हालिया छलांग ने वैश्विक ऊर्जा मैप में उसका कद बड़ा कर दिया है।
आर्थिक वृद्धि और ऊर्जा सुरक्षा की कहानी
भारत का कोयला उत्पादन केवल संख्यात्मक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह एक स्ट्रैटेजिक ग्रोथ स्टोरी भी है। भारत की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है, और इस विकास को ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति की आवश्यकता है। चूंकि कोयला अब भी देश में बिजली उत्पादन का प्रमुख स्रोत है, इसलिए यह समझना जरूरी है कि उत्पादन में इज़ाफा ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम है। भारत सरकार ने माइनिंग सेक्टर में निवेश, टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन और लॉजिस्टिक्स सुधारों के ज़रिए इस क्षेत्र को गति दी है।
दुनिया के लिए भारत एक संकेत
भारत का कोयला उत्पादन केवल घरेलू मांग की पूर्ति तक सीमित नहीं है। यह वैश्विक एनर्जी डिप्लोमेसी में उसकी भूमिका को भी मजबूत करता है। चीन के बाद भारत का दूसरा स्थान पर पहुंचना यह दिखाता है कि एशियाई देश अब भी ऊर्जा उत्पादन की धुरी बने हुए हैं, जबकि अमेरिका और यूरोप जैसे पारंपरिक लीडर्स पीछे छूट रहे हैं।
0 comments:
Post a Comment