भारत की नई SLBM मिसाइल से कांपा चीन, डरा पाक

नई दिल्ली। भारत की सामरिक ताकत में एक नया अध्याय जुड़ने वाला है — K-6 हाइपरसोनिक सबमरीन लॉन्च्ड बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM)। यह मिसाइल न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेगी, बल्कि पड़ोसी देशों चीन और पाकिस्तान की चालों को भी कड़ी चुनौती देगी। ऑपरेशन सिंदूर जैसे सामरिक कदमों के बाद, भारत अब स्वदेशी तकनीक और रक्षा उपकरणों के विकास पर विशेष जोर दे रहा है, और K-6 इस दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।

K-6 की गति: ध्वनि से सात गुना तेज़

K-6 मिसाइल की सबसे बड़ी ताकत इसकी अत्याधुनिक गति है। यह मिसाइल मैक 7.5 की रफ्तार से यानी लगभग 9200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उड़ती है, जो पारंपरिक वायु रक्षा प्रणालियों को इसे रोकने के लिए लगभग असंभव बना देती है। इतनी तेज गति के कारण यह मिसाइल दुश्मन के रडार और इंटरसेप्टर सिस्टम को चकमा देकर अपना लक्ष्य भेद सकती है। इसकी मारक क्षमता 8,000 किलोमीटर तक है, जिससे यह पूरे एशिया, यूरोप और अफ्रीका के कई हिस्सों को अपनी पहुँच में रखती है।

आकार और पेलोड: ताकत का मिश्रण

K-6 मिसाइल की लंबाई लगभग 12 मीटर और व्यास 2 मीटर से अधिक है। यह 2 से 3 टन तक का पेलोड ले जाने में सक्षम है, जिसमें परमाणु और पारंपरिक दोनों प्रकार के वारहेड शामिल हो सकते हैं। इस विशाल पेलोड क्षमता के कारण यह मिसाइल रणनीतिक और सामरिक दोनों तरह की जरूरतों को पूरा कर सकती है।

मल्टीपल टारगेटिंग से बढ़ेगी मारक क्षमता

K-6 में मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेड री-एंट्री व्हीकल (MIRV) तकनीक भी शामिल है, जो इसे एक मिसाइल से कई लक्ष्यों को निशाना बनाने की शक्ति देती है। यह सुविधा इसे एक बहु-लक्ष्य हमलावर मिसाइल बनाती है, जो दुश्मन की रक्षा प्रणाली को और अधिक चुनौतीपूर्ण बना देती है।

स्वदेशी विकास: आत्मनिर्भर भारत की मिसाल

K-6 का विकास हैदराबाद स्थित DRDO की एडवांस्ड नेवल सिस्टम्स लैबोरेटरी में फरवरी 2017 से चल रहा है। यह परियोजना आत्मनिर्भर भारत के विजन को साकार करती है, जहां भारत विदेशी उपकरणों पर निर्भरता कम करके अपनी रक्षा आवश्यकताओं को स्वदेशी तकनीक से पूरा करने का प्रयास कर रहा है। K-6 मिसाइल भारत की रक्षा प्रणाली को जमीन, हवा और समुद्र तीनों पर हमले के लिए सक्षम बनाएगी और देश की सुरक्षा को एक नया आयाम देगी।

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