1. क्या है कोटक की रिपोर्ट का संकेत?
कोटक इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज की एक ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि 8वें वेतन आयोग में "फिटमेंट फैक्टर" मात्र 1.8 हो सकता है। अगर यह सच होता है, तो वास्तविक वेतन वृद्धि केवल 13% के आसपास रहने की संभावना है। यह पिछले आयोग की तुलना में काफी कम है, क्योंकि 7वें वेतन आयोग में 2.57 का फिटमेंट फैक्टर तय किया गया था, जिससे न्यूनतम मूल वेतन 7,000 से बढ़कर 18,000 रुपए तक चला गया था।
2. आखिर क्या होता है 'फिटमेंट फैक्टर'?
सरल शब्दों में, फिटमेंट फैक्टर एक मल्टीप्लायर होता है जिससे मौजूदा बेसिक सैलरी को गुणा करके नई सैलरी तय की जाती है। हालांकि, यह केवल मूल वेतन पर लागू होता है, डीए (महंगाई भत्ता), एचआरए और अन्य भत्तों पर नहीं। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी कर्मचारी का बेसिक वेतन 20,000 है और फिटमेंट फैक्टर 1.8 तय होता है, तो नया बेसिक वेतन 20,000 × 1.8 = 36,000 होगा। लेकिन ध्यान रहे, अन्य भत्तों की गणना नए बेसिक पर आधारित होगी, जिससे कुल सैलरी में मामूली बढ़ोतरी ही महसूस होगी।
3. कर्मचारी संगठनों की नाराज़गी क्यों?
कर्मचारी संगठनों, खासकर राष्ट्रीय परिषद – जेसीएम ने प्रस्तावित 1.8 फैक्टर को “न्यायसंगत नहीं और मनोबल गिराने वाला” बताया है। मौजूदा आर्थिक हालात में, जब महंगाई लगातार ऊपर चढ़ रही है, ऐसे में कर्मचारियों को उम्मीद थी कि फिटमेंट फैक्टर कम से कम 2.5 या 3 के आसपास होगा। डीए फिलहाल 55% तक पहुंच चुका है, और कर्मचारी संगठनों का मानना है कि इस दर से वेतन में संतुलन बैठाना जरूरी है।
4. कब लागू हो सकता है 8वां वेतन आयोग?
हालांकि जनवरी 2025 में आयोग की घोषणा की संभावना जताई गई थी, लेकिन अभी तक इसकी अध्यक्षता, कार्य क्षेत्र और सदस्यों के चयन पर कोई ठोस काम नहीं हुआ है। आमतौर पर वेतन आयोग गठन के बाद 18 से 24 महीने में रिपोर्ट देता है। इसलिए, जनवरी 2026 को इसकी संभावित प्रभावी तारीख माना जा रहा है। देरी होने की स्थिति में सरकार को बकाया (arrears) देना पड़ता है, जिससे केंद्र सरकार पर वित्तीय बोझ बढ़ सकता है — लेकिन यह कर्मचारियों के लिए राहत की बात होगी।
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