'नई शक्ति का उदय' — भारत चौथी वैश्विक ताकत

नई दिल्ली। बीते कुछ वर्षों में भारत ने जिस गति से वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है, वह न केवल चौंकाने वाली है बल्कि प्रेरणादायक भी। अब यह केवल एक विकासशील देश नहीं, बल्कि एक निर्णायक वैश्विक ताकत बन चुका है। हाल ही में जारी वैश्विक सैन्य शक्ति सूचकांक में भारत को चौथे स्थान पर रखा गया है — अमेरिका, चीन और रूस के बाद। यह स्थिति इस बात का प्रमाण है कि भारत अब "नई शक्ति" के रूप में उभर चुका है।

सैन्य ताकत में उल्लेखनीय वृद्धि

भारतीय सेना अब दुनिया की सबसे बड़ी सेनाओं में गिनी जाती है। अत्याधुनिक तकनीक, स्वदेशी हथियारों का विकास (जैसे तेजस लड़ाकू विमान, ब्रह्मोस मिसाइल), और निरंतर सैन्य अभ्यासों ने भारत की रक्षा क्षमताओं को अत्यधिक मजबूत किया है। इसके साथ ही भारत का रक्षा बजट विश्व में तीसरे स्थान पर है, जो इसकी रणनीतिक प्राथमिकताओं को दर्शाता है।

आर्थिक मोर्चे पर तेज़ी से बढ़ता कदम

भारत अब दुनिया की पाँचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और अनुमान है कि अगले कुछ वर्षों में यह तीसरे स्थान तक पहुंच जाएगा। डिजिटल इंडिया, स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं ने आर्थिक ढांचे को मजबूत किया है और वैश्विक निवेशकों का ध्यान खींचा है। इसके साथ ही, भारत की युवा जनसंख्या और उपभोक्ता बाजार उसे निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाते हैं।

तकनीकी और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की छलांग

इसरो (ISRO) के सफल मिशनों ने भारत को अंतरिक्ष की दुनिया में एक अग्रणी देश बना दिया है। चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सफल लैंडिंग और आगामी गगनयान मिशन से भारत की अंतरिक्ष शक्ति को नई ऊँचाइयाँ मिल रही हैं। इसके अलावा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, 5G तकनीक, और साइबर सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में भी भारत लगातार प्रगति कर रहा है।

कूटनीति में भी भारत का लगातार बढ़ता वैश्विक प्रभाव

भारत अब केवल एक क्षेत्रीय शक्ति नहीं, बल्कि वैश्विक निर्णयों में भागीदार बन चुका है। ब्रिक्स, जी20 और क्वाड जैसे मंचों पर भारत की भूमिका निर्णायक रही है। प्रधानमंत्री स्तर की वैश्विक सक्रियता, रणनीतिक साझेदारियाँ और वैश्विक दक्षिण की आवाज़ बनकर उभरना — ये सभी संकेत करते हैं कि भारत अब विश्व राजनीति की धुरी में शामिल हो चुका है।

0 comments:

Post a Comment