भारत के तेजस मार्क-2 लड़ाकू विमान 90% स्वदेशी

नई दिल्ली। भारत अपनी रक्षा क्षमता को सशक्त बनाने और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ा रहा है। स्वदेशी रूप से विकसित किए जा रहे तेजस मार्क-2 लड़ाकू विमान में अब तक का सबसे बड़ा बदलाव यह है कि यह विमान 90% तक स्वदेशी सामग्री और तकनीक से लैस होगा। यह न केवल भारतीय वायुसेना की क्षमताओं को नई ऊंचाई देगा, बल्कि "मेक इन इंडिया" पहल को भी मजबूती प्रदान करेगा।

तेजस मार्क-2: अगली पीढ़ी का भारतीय लड़ाकू विमान

तेजस मार्क-2 एक 4.5 पीढ़ी का मध्यम वजन वाला लड़ाकू विमान (MWF) है, जिसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किया जा रहा है। यह विमान मिराज-2000, जगुआर, और मिग-29 जैसे पुराने विमानों की जगह लेगा। इसका उद्देश्य भारतीय वायुसेना की भविष्य की ज़रूरतों को पूरा करना और लड़ाकू बेड़े को आधुनिक तकनीक से लैस करना है।

स्वदेशीकरण: आत्मनिर्भर भारत की नींव

प्रारंभिक चरण में तेजस मार्क-2 में 82% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया जाएगा। जैसे ही इसका इंजन भी स्वदेशी रूप से निर्मित होना शुरू होगा, यह प्रतिशत बढ़कर 90% तक पहुंच जाएगा। इसका अर्थ है कि विमान के मुख्य घटक – जैसे एवियोनिक्स, रडार सिस्टम, एयरफ्रेम, फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम – अब भारत में ही डिज़ाइन और निर्मित किए जाएंगे।

विकास की प्रगति

रक्षा सूत्रों के अनुसार, तेजस मार्क-2 का पहला प्रोटोटाइप 2025 के अंत तक तैयार हो जाएगा। इसकी पहली परीक्षण उड़ान 2026 के मध्य तक होने की संभावना है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो यह विमान भारतीय वायुसेना के भविष्य का एक अहम स्तंभ बनेगा।

रणनीतिक और आर्थिक लाभ

तेजस मार्क-2 का निर्माण भारत को न केवल रणनीतिक बढ़त देगा, बल्कि यह विदेशी निर्भरता को कम करेगा और देश में रक्षा क्षेत्र में रोजगार और तकनीकी विकास को भी प्रोत्साहित करेगा। इसके साथ ही भारत रक्षा निर्यात के क्षेत्र में भी एक मज़बूत खिलाड़ी बन सकता है।

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