डेटा उपयोग में भारत की बादशाहत
एरिक्सन मोबिलिटी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में हर व्यक्ति हर महीने औसतन 32 GB डेटा का इस्तेमाल करता है, जो दुनिया में सबसे अधिक है। तुलना करें तो चीन में यह आंकड़ा 29 GB और अमेरिका में 22 GB है। भारत में डेटा खपत का यह विस्फोट मोबाइल इंटरनेट और खासतौर पर 5G नेटवर्क की पहुंच में बढ़ोतरी के चलते हुआ है। अब भारत में इंटरनेट का मतलब सिर्फ मनोरंजन नहीं रहा – यह शिक्षा, ई-गवर्नेंस, टेलिमेडिसिन, और व्यापार का प्रमुख जरिया बन चुका है।
स्पीड की दौड़ में भी तेजी से आगे
सिर्फ डेटा उपयोग ही नहीं, इंटरनेट स्पीड के मामले में भी भारत ने उल्लेखनीय छलांग लगाई है। 2022 में 119वें स्थान पर रहा भारत अब ऊकला की रैंकिंग में 26वें स्थान पर पहुंच गया है। अप्रैल से जून 2025 के बीच मोबाइल पर औसत डाउनलोड स्पीड 136.53 Mbps रही, जो पिछले वर्षों की तुलना में एक क्रांतिकारी सुधार है।
इस बदलाव का श्रेय 5G नेटवर्क के तीव्र विस्तार को दिया जा रहा है। EY की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 57% टेलीकॉम टावर अब 5G सक्षम हो चुके हैं। मार्च 2025 तक देश में 5G सब्सक्राइबर की संख्या 32.6 करोड़ तक पहुँच गई है, जो कुल वायरलेस यूजर्स का लगभग 28% हिस्सा है।
कम लागत और स्मार्टफोन की भूमिका
भारत में डेटा की अभूतपूर्व खपत का एक बड़ा कारण इसकी कम कीमत और किफायती स्मार्टफोन की उपलब्धता है। यहाँ डेटा दरें दुनिया में सबसे सस्ती हैं, जिससे डिजिटल सेवाओं की पहुँच गाँवों तक हो पाई है। उद्योग विश्लेषकों के अनुसार, भारत की टेलीकॉम कंपनियों ने 2022-2025 के बीच 5G नेटवर्क के विस्तार में 1.40 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। इसका असर यह है कि भारत अब न केवल डेटा उपभोग के मामले में अग्रणी है, बल्कि स्पीड और नेटवर्क इन्फ्रास्ट्रक्चर में भी वैश्विक मानकों के बराबर आ रहा है।
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