ग्राम पंचायतों पर विशेष फोकस
सरकार की योजना के अनुसार, प्रत्येक ग्राम पंचायत को टीबी मुक्त घोषित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए गांव-गांव जाकर संदिग्ध मरीजों की पहचान की जाएगी। यह कार्य स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज विभाग, और जिलों के प्रशासनिक अमले के तालमेल से किया जाएगा। हर जिले के जिलाधिकारी को अभियान का नेतृत्व सौंपा गया है, ताकि इसकी निगरानी और क्रियान्वयन में कोई ढिलाई न रहे।
100 दिवसीय मुहिम का विस्तार
हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किया गया 100 दिवसीय सघन टीबी खोज अभियान उत्तर प्रदेश में बेहद सफल रहा। इस दौरान: लगभग 4.07 करोड़ लोगों की स्क्रीनिंग की गई। 44.30 लाख एक्सरे और 8.34 लाख नैट टेस्ट कराए गए। नतीजतन, 2.07 लाख से अधिक टीबी मरीजों की पहचान की गई। इस सफलता को देखते हुए अब इस अभियान को विस्तारित रूप में गांवों तक पहुंचाया जा रहा है।
पंचायतों को बनाया जाएगा जिम्मेदार
इस मुहिम में पंचायतों की सक्रिय भागीदारी को अनिवार्य किया गया है। अब पंचायतों का कार्य सिर्फ विकास कार्यों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि स्वास्थ्य जागरूकता और सामाजिक उत्तरदायित्व में भी उनकी अहम भूमिका होगी। टीबी मुक्त घोषित पंचायतों की स्थिति को बनाए रखने के लिए भी निरंतर निगरानी और पुनः मूल्यांकन की व्यवस्था की जाएगी। जिसमें सरकार से लेकर ग्राम प्रधान, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और आम नागरिक तक की भागीदारी जरूरी होगी।
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