क्या है ToR और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
टर्म ऑफ रेफरेंस (ToR) किसी आयोग या समिति के कामकाज का दायरा और उद्देश्य निर्धारित करता है। यही वह रूपरेखा है जिसके तहत 8वां वेतन आयोग देश के लाखों कर्मचारियों और पेंशनधारकों के लिए भविष्य की सिफारिशें करेगा। सरकार ने रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, कार्मिक विभाग और विभिन्न राज्यों से भी इस दिशा में सुझाव मांगे हैं।
NC-JCM के सुझावों में क्या है खास?
फरवरी 2025 में NC-JCM ने सरकार को अपनी ओर से 15 अहम सिफारिशें भेजीं। इनमें वेतन ढांचे के व्यापक पुनर्गठन, पेंशन में सुधार, और कर्मचारियों की जीवन गुणवत्ता में सुधार के स्पष्ट संकेत मिलते हैं:
सभी सेवाओं को शामिल करने की मांग: आयोग में केंद्रीय, रक्षा, अर्धसैनिक, ग्रामीण डाक सेवकों, न्यायपालिका और स्वायत्त संस्थानों के कर्मचारियों को शामिल करने की सिफारिश की गई है।
1 जनवरी 2026 से नया वेतन: यह दिनांक नई सिफारिशों के क्रियान्वयन का संभावित आधार बन सकता है।
वेतन और पेंशन का एकीकरण: महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) को मूल वेतन/पेंशन में शामिल करने का सुझाव, जिससे भविष्य में पारदर्शिता और स्थायित्व बढ़ेगा।
MACP योजना में संशोधन: काउंसिल चाहती है कि प्रमोशन प्रणाली में मौजूदा विसंगतियों को दूर कर हर कर्मचारी को न्यूनतम तीन पदोन्नति सुनिश्चित की जाए।
हर 5 साल में पेंशन रिविजन: पेंशनभोगियों को बेहतर जीवन स्तर देने के लिए यह एक अहम सुझाव है।
NPS समाप्त करने की मांग: नई पेंशन योजना की जगह पुरानी परिभाषित लाभ आधारित योजना को बहाल करने की जोरदार मांग उठाई गई है।
स्वास्थ्य, शिक्षा और जोखिम भत्तों पर भी फोकस
काउंसिल ने CGHS सुधारों, नकद रहित स्वास्थ्य सुविधाओं, चिकित्सा भत्ते में वृद्धि, और बाल शिक्षा भत्ता को स्नातकोत्तर स्तर तक बढ़ाने की मांग की है। साथ ही, रेलवे और रक्षा क्षेत्रों में जोखिम भत्ते और बीमा सुरक्षा जैसी मांगें भी प्रमुखता से रखी गई हैं।
क्या कहती है सरकार?
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्वीकार किया कि सुझाव प्राप्त हुए हैं और उन्हें विभिन्न मंत्रालयों व विभागों के साथ साझा कर विचार किया जा रहा है। हालांकि अभी सरकार ने 8वें वेतन आयोग की आधिकारिक घोषणा या समय-सीमा निर्धारित नहीं की है।
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