अमेरिका-नाटो की चेतावनियों को भारत का जवाब
हाल के महीनों में अमेरिका और नाटो ने भारत पर दबाव बनाने की कई कोशिशें की हैं। नाटो प्रमुख ने चेताया कि यदि भारत रूस से तेल खरीद जारी रखता है, तो उस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। वहीं, अमेरिकी सीनेट में डोनाल्ड ट्रंप के करीबी एक सांसद ने भारत पर प्रतिबंध लगाने संबंधी बिल तक पेश कर दिया।
इन धमकियों के जवाब में भारत ने दो टूक रुख अपनाया — रणनीतिक साझेदारियों का चयन वह अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर करेगा, न कि किसी पश्चिमी देश की मंजूरी से। और INS तमाल की रूस यात्रा इसी रुख की मजबूत मिसाल है।
INS तमाल: एक रणनीतिक प्रतीक
INS तमाल केवल एक युद्धपोत नहीं, बल्कि भारत-रूस रक्षा सहयोग का जीवंत प्रतीक है। रूस के यांतर शिपयार्ड में बना यह पोत आधुनिकतम तकनीकों से लैस है। इसमें Shtil-1 एयर डिफेंस सिस्टम, आधुनिक तोप, इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर उपकरण और ड्रोन-रोधी सुरक्षा व्यवस्था शामिल है। सतह से लेकर हवा और पानी के अंदर तक यह पोत हर तरह के खतरों से निपटने में सक्षम है।
INS तमाल, रूस में भारतीय नौसेना के लिए बनाए गए आठ युद्धपोतों में से एक है। इसे हाल ही में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है और यह रूस द्वारा निर्मित है। खास बात यह है कि इस प्रोजेक्ट के तहत भारत में भी युद्धपोत निर्माण हो रहा है, जिसमें रूस तकनीकी सहयोग प्रदान कर रहा है।
रूस संग बढ़ती सामरिक साझेदारी
भारत और रूस के रक्षा रिश्ते दशकों पुराने हैं। हाल ही में भारत ने रूस को चावल की एक बड़ी खेप भेजी है, जो दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों की स्थिरता का संकेत है। इसके अलावा, साल के अंत तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की भी संभावना है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इस दौरान कई बड़े रक्षा सौदों पर हस्ताक्षर हो सकते हैं, जिनमें फाइटर जेट्स की खरीद प्रमुख हो सकती है।
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