शिव के 5 दिव्य मंत्रों का करें जाप, जीवन में आएगा सुख-शांति

धर्म डेस्क। शिव जी को त्रिदेवों में सबसे प्रभावशाली और शक्तिशाली माना जाता है। वे संहारक, रचयिता और पालनहार तीनों रूपों में विद्यमान हैं। उनके उपासक जीवन में शांति, समृद्धि और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इसके लिए शिव जी के पांच दिव्य मंत्रों का नियमित जाप अत्यंत लाभकारी होता है। ये मंत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि मानसिक शांति और ऊर्जा का भी संचार करते हैं।

1. ॐ नमः शिवाय

यह मंत्र शिव जी का सबसे प्रचलित और सरल मंत्र है। इसका अर्थ है – “मैं शिव को नमन करता हूँ।” इस मंत्र के जाप से मन की नकारात्मकता दूर होती है और आत्मा को शांति मिलती है। यह मंत्र तनाव, चिंता और भय को खत्म कर ऊर्जा और सकारात्मकता प्रदान करता है।

2. ॐ नमो भगवते रुद्राय

यह मंत्र शिव जी के रुद्र रूप को समर्पित है। “रुद्र” का अर्थ है वे जो रोते हैं या विनाशक हैं। इस मंत्र का जाप आत्मा को शुद्ध करता है, शरीर और मन को रोगों से मुक्त रखता है तथा जीवन में नई ऊर्जा और शक्ति प्रदान करता है।

3. ॐ पशुपतये नमः

शिव जी को पशुपति यानी सभी जीवों के स्वामी के रूप में पूजा जाता है। इस मंत्र का जाप जीवन में शक्ति, सुरक्षा और आध्यात्मिक विकास लाता है। यह मंत्र विशेष रूप से कठिनाइयों के समय में साहस और धैर्य प्रदान करता है।

4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

यह मंत्र “माहामृत्युंजय मंत्र” के रूप में भी प्रसिद्ध है। इसका अर्थ है कि हम परम पुरुष महादेव का ध्यान करते हैं और उनसे प्रार्थना करते हैं कि वे हमें मृत्यु के भय से मुक्त करें। इस मंत्र के जाप से स्वास्थ्य में सुधार होता है, रोग-बीमारियाँ दूर होती हैं और जीवन में दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है।

5. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

यह भी महा मृत्युंजय मंत्र का एक प्रसिद्ध रूप है। इसका जाप मृत्यु के बाद भी आत्मा को मुक्त करता है और जीवन में सुख, समृद्धि तथा दीर्घायु लाता है। इसे जपने से मन की शांति बढ़ती है और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है।

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