चीन से टक्कर, अमेरिका को चाहिए भारत, ट्रेड डील में छूट!

नई दिल्ली। अमेरिका और भारत के बीच व्यापार को लेकर चल रही बातचीत अब एक अहम मोड़ पर पहुंच चुकी है। 1 अगस्त से लागू होने वाले अमेरिकी टैरिफ नियमों में अगर भारत को छूट मिलती है, तो यह सिर्फ एक आर्थिक रियायत नहीं, बल्कि एक गहरी भू-राजनीतिक रणनीति का हिस्सा होगी। चीन के बढ़ते प्रभाव और रूस के साथ भारत के समीकरणों के बीच अमेरिका भारत को अपने पक्ष में करने की स्पष्ट कोशिश कर रहा है।

अमेरिका की "स्पेशल डील" रणनीति

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका भारत के लिए जो व्यापार समझौता तैयार कर रहा है, वह “पूरी तरह से खास व्यवहार” यानी स्पेशल ट्रीटमेंट पर आधारित है। इसका सीधा मतलब है कि भारत को वे रियायतें मिल सकती हैं जो अमेरिका अन्य देशों को नहीं देगा। इस कदम से अमेरिका दो अहम संदेश देना चाहता है—रूस को आर्थिक दबाव में लाना और चीन को रणनीतिक घेराव में रखना।

टैरिफ में छूट, लेकिन क्यों?

अमेरिका नए टैक्स नियमों के तहत कुछ देशों से आने वाले सामान पर 20% से 26% तक का शुल्क लगाने की योजना बना रहा है। लेकिन भारत को इससे बाहर रखने की बात चल रही है।  यह छूट महज व्यापारिक नहीं है—यह अमेरिका की उस नीति का हिस्सा है, जिसमें वह भारत जैसे लोकतांत्रिक देशों को अपने सप्लाई चेन में शामिल कर चीन पर निर्भरता घटाना चाहता है।

भारत को क्या मिलेगा?

भारत के लिए यह समझौता बेहद अहम है। अमेरिका, भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है, और वित्त वर्ष 2024-25 में भारत ने अमेरिका को 86.51 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया। इसमें 40.82 अरब डॉलर का शुद्ध व्यापार लाभ भारत को मिला। अगर अमेरिका भारत पर 26% टैक्स लागू करता है, तो यह लाभ बड़ी हद तक कम हो सकता है। ऐसे में प्रस्तावित समझौता भारत को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धी बनाए रखने में मदद करेगा और उसके निर्यात क्षेत्र को स्थिरता देगा।

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