उदारीकरण से लेकर आर्थिक छलांग तक
वर्ष 1991 भारत की आर्थिक दिशा बदलने वाला मोड़ साबित हुआ। आर्थिक उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण की नीति अपनाकर भारत ने एक नई राह पकड़ी। विदेशी निवेश में वृद्धि, सेवा क्षेत्र में बूम और तकनीक व स्टार्टअप्स की तेज़ी से बढ़ती दुनिया में भारत ने अपनी अलग पहचान बनाई।
साल-दर-साल जीडीपी में उछाल
भारत ने पिछले 28 वर्षों में कुल 12 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ा है। हर दशक में भारत की रैंकिंग बेहतर होती गई, और यह प्रगति एक सुनियोजित और स्थायी आर्थिक विकास का प्रमाण है। निम्नलिखित तालिका इस आर्थिक यात्रा की एक झलक प्रस्तुत करती हैं।
1997 में भारत 16वें स्थान पर था, स्वीडन और ईरान को पीछे छोड़ा।
2006 में 14वां स्थान, नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया को पीछे छोड़ा।
2007 में 13वां, मैक्सिको को पीछे छोड़ा।
2008 में 12वां, दक्षिण कोरिया पीछे छोड़ा।
2009 में 11वां, रूस को पीछे छोड़ा।
2013 में 10वां, कनाडा को पीछे छोड़ा
2015 में 7वां, इटली और ब्राज़ील को पीछे छोड़ा।
2019 में 6वां, फ्रांस को पीछे को छोड़ा।
2021 में 5वां, इंग्लैंड (UK) को पीछे छोड़ा।
2025 (अनुमानित) में भारत 4वें स्थान पर पहुंचकर जापान को पीछे छोड़ देगा।
2028 में अगला पड़ाव – जर्मनी?
वर्तमान गति को देखते हुए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2028 तक भारत जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए तीसरे स्थान पर काबिज हो सकता है। यदि ऐसा होता है, तो यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि होगी, क्योंकि यह अमेरिका और चीन के बाद विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।
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