अधिसूचना में देरी के कारण
8वें वेतन आयोग की अधिसूचना लंबित है क्योंकि वित्त मंत्रालय ने अभी तक टर्म ऑफ रिफ्रेंस (ToR) को अंतिम रूप नहीं दिया है। ToR वे वे नियम और शर्तें होंगी, जिनके आधार पर आयोग केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वेतन और पेंशन में संशोधन की सिफारिशें करेगा। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में स्पष्ट किया कि सरकार ने प्रमुख हितधारकों जैसे रक्षा मंत्रालय, गृह मंत्रालय, कार्मिक विभाग और राज्यों से सुझाव मांगे हैं ताकि सभी पक्षों की आवश्यकताओं और मांगों को ध्यान में रखा जा सके।
सदस्यों और अध्यक्ष की नियुक्ति
सरकार ने आधिकारिक रूप से 8वें वेतन आयोग के गठन का निर्णय तो ले लिया है, लेकिन सदस्यों और अध्यक्ष की नियुक्ति अधिसूचना के बाद ही होगी। यह कदम सुनिश्चित करता है कि आयोग की संरचना और उसके दायरे को पूरी तरह से निर्धारित किया जाए। वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि आयोग की सिफारिशों को मंजूरी मिलने के बाद ही उन्हें लागू किया जाएगा।
8वें वेतन आयोग का महत्व
7वें वेतन आयोग की सिफारिशें जनवरी 2016 से लागू हैं, और परंपरा के अनुसार हर लगभग 10 साल में एक नया आयोग गठित किया जाता है। 8वें वेतन आयोग की नियुक्ति 2024-25 के बीच होने की उम्मीद थी, ताकि नई सिफारिशें 2026 से लागू की जा सकें। इस आयोग की भूमिका सिर्फ वेतन वृद्धि तक सीमित नहीं होगी, बल्कि यह पेंशन, महंगाई भत्ता, भत्ते, न्यूनतम वेतन जैसे अनेक महत्वपूर्ण आर्थिक पहलुओं पर भी निर्णय करेगा।
भविष्य की संभावनाएं
सूत्रों की मानें तो 2025 के अंत तक आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति हो सकती है। ToR में न्यूनतम वेतन, महंगाई भत्ता, पेंशन दरों की समीक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषय शामिल किए जाएंगे। इसके बाद ही आयोग अपना काम शुरू करेगा और सरकार के समक्ष अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगा।
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