चीन की आपूर्ति में कटौती और बाजार पर असर
पिछले कुछ महीनों में चीन ने घरेलू बाजार में उर्वरक की कीमतों को स्थिर रखने के उद्देश्य से निर्यात पर कड़ाई शुरू कर दी। इसका सीधा प्रभाव भारत पर पड़ा, क्योंकि चीन DAP के बड़े आपूर्तिकर्ताओं में से एक था। चीन ने भारत को DAP की आपूर्ति घटा दी, जिससे वैश्विक बाजार में DAP की कीमतें $630 प्रति टन से बढ़कर $800 प्रति टन तक पहुंच गईं। भारत में जहां सरकारी मूल्य 1350 रुपये प्रति 50 किलो तय है, वहीं खुले बाजार में दाम इससे भी अधिक बढ़ गए। इस स्थिति ने सरकार पर सब्सिडी का दबाव बढ़ा दिया और किसानों की लागत भी भारी बढ़ गई।
रूस की मदद से बनी उम्मीद की किरण
ऐसे समय में रूस ने भारत के लिए एक मजबूत सहयोगी साबित होते हुए संकटमोचक का रोल निभाया। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने खुलासा किया कि भारत की शीर्ष नेतृत्व ने रूस से उर्वरक की बढ़ी हुई आपूर्ति की मांग की थी। इस पर रूस ने अपनी सप्लाई को चार गुना तक बढ़ा दिया। पुतिन ने रूसी उर्वरक उत्पादक संघ के अध्यक्ष आंद्रेई गुरयेव के साथ बैठक में भी इस बात की पुष्टि की। गुरयेव ने कहा कि भारत की सभी मांगें पूरी कर दी गई हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच हुई बातचीत के बाद रूस ने तुरंत कदम उठाए और भारत को अतिरिक्त मात्रा में उर्वरक भेजना शुरू किया। इस सप्लाई से न केवल भारत को घरेलू उर्वरक संकट से निजात मिली, बल्कि किसानों के लिए खाद की उपलब्धता भी सुनिश्चित हुई।
राजनीतिक और आर्थिक परिप्रेक्ष्य
भारत का उर्वरक आयात मुख्यतः चीन और रूस से होता है। हालांकि चीन की कटौती ने भारत को संकट में डाल दिया था, लेकिन रूस ने इस कमी को पूरा कर देश की कृषि अर्थव्यवस्था को स्थिर रखने में मदद की। यह रणनीतिक सहयोग दोनों देशों के बीच गहरे राजनीतिक और आर्थिक रिश्तों को दर्शाता है। खासतौर पर जब यूरोपीय संघ द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद भारत ने रूस से उर्वरक का आयात जारी रखा, यह दोस्ती और भरोसे की मिसाल बनी।
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