क्यों जरूरी है नगर निकायों का पुनर्गठन?
राज्य में हाल के वर्षों में कई छोटे-छोटे बाजार तेजी से विकसित हुए हैं। ये क्षेत्र अब शहरी स्वरूप ले चुके हैं और नगर निकाय बनाए जाने की सभी आवश्यक शर्तों को पूरा करते हैं। शहरी सुविधाओं की बढ़ती आवश्यकता, जनसंख्या में वृद्धि और अधोसंरचना के दबाव को देखते हुए इन क्षेत्रों को व्यवस्थित रूप से विकसित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।
वर्तमान स्थिति और प्रस्तावित बदलाव
वर्ष 2020 में राज्य सरकार ने 121 नए नगर निकायों का गठन किया था। वर्तमान में बिहार में कुल 262 नगर निकाय कार्यरत हैं। अब इस संख्या में और वृद्धि की योजना है। इसके अंतर्गत: नए नगर पंचायतों, नगर परिषदों और नगर निगमों का गठन होगा। छोटे लेकिन प्रगतिशील नगर पंचायतों को नगर परिषद बनाया जाएगा। कुछ बड़े नगर परिषदों को नगर निगम का दर्जा दिया जाएगा। पहले से मौजूद नगर निकायों के शहरी क्षेत्रों का भी विस्तार किया जाएगा।
जनसंख्या के आधार पर नगर निकायों का वर्गीकरण
नगर निगम के लिए 1.5 लाख से अधिक जनसंख्या, नगर परिषद के लिए 30 हजार से 1.5 लाख, , नगर पंचायत के लिए 9 हजार से 30 हजार जनसंख्या होनी चाहिए।
क्या होंगी नगर निकायों को मिलने वाली सुविधाएं?
1 .सुनियोजित विकास: मास्टरप्लान के आधार पर सुव्यवस्थित तरीके से विकास।
2 .साफ-सफाई एवं कचरा प्रबंधन: नियमित कूड़ा संग्रहण और सफाई की व्यवस्था।
3 .ड्रेनेज प्रणाली: जल निकासी की बेहतर व्यवस्था।
4 .स्ट्रीट लाइट और जलापूर्ति: रात्रिकालीन रोशनी और पेयजल की सुचारु आपूर्ति।
5 .बुनियादी ढांचे में सुधार: सड़कों, बाजारों, सार्वजनिक स्थानों का बेहतर रखरखाव।
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