भारत ने रूस से निभाई दोस्‍ती: जानकार चौंक जाएंगे

न्यूज डेस्क। भारत और रूस के संबंध दशकों पुराने और ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं। शीत युद्ध के समय से ही रूस भारत का एक विश्वसनीय साझेदार रहा है—चाहे वह हथियारों की आपूर्ति हो, परमाणु तकनीक का आदान-प्रदान, या अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर एक-दूसरे का समर्थन। परंतु रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते इन संबंधों की जटिलता बढ़ गई है। भारत ने जहां इस युद्ध को लेकर तटस्थ रुख अपनाया है, वहीं हाल ही में एक रिपोर्ट ने भारत-रूस व्यापारिक रिश्तों को लेकर वैश्विक चिंताओं को जन्म दिया है।

HMX सप्लाई की रिपोर्ट: एक नई बहस की शुरुआत

ब्रिटिश समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने भारतीय सीमा शुल्क के आंकड़ों के हवाले से दावा किया है कि भारत की एक निजी कंपनी ने दिसंबर 2024 में रूस को HMX (Octogen) नामक विस्फोटक केमिकल की एक बड़ी खेप भेजी। बताया गया है कि इस खेप की कीमत 1.4 मिलियन डॉलर थी और इसे प्राप्त करने वाली कंपनियों में एक प्रमुख नाम Promsintez का है—जो कथित तौर पर रूसी सेना के लिए हथियार निर्माण से जुड़ी हुई है।

HMX एक उच्च-शक्ति विस्फोटक होता है, जिसका उपयोग मिसाइल, टारपीडो, रॉकेट मोटर्स, और एडवांस वारहेड सिस्टम में किया जाता है। इसे सैन्य दृष्टिकोण से अत्यंत संवेदनशील माना जाता है। ऐसे में भारत से इसकी आपूर्ति ने वैश्विक ताकतों—खासकर अमेरिका—की चिंताओं को बढ़ा दिया है।

भारत की नीति: तटस्थता या संतुलन?

भारत ने अब तक रूस-यूक्रेन युद्ध में कोई पक्ष नहीं लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा है कि "यह युद्ध का नहीं, संवाद का समय है।" भारत संयुक्त राष्ट्र में भी संयमित रुख अपनाता रहा है और रूस पर सीधे प्रतिबंध लगाने से परहेज किया है।

रॉयटर्स की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उनके पास इस बात के कोई प्रमाण नहीं हैं कि HMX की यह खेप भारत सरकार की नीति का उल्लंघन करती है। संभवतः यह एक निजी कंपनी द्वारा किया गया व्यावसायिक लेन-देन है, जिसे अब अंतर्राष्ट्रीय जांच और दबाव का सामना करना पड़ सकता है।

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