प्रधानमंत्री पद पर लंबी पारी: मोदी ने फिर रचा नया रिकॉर्ड

नई दिल्ली। भारत की राजनीति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सफर अब एक और ऐतिहासिक मुकाम तक पहुँच चुका है। 25 जुलाई 2025 को उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के 4078 दिन पूरे कर लिए हैं। इसी के साथ उन्होंने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पीछे छोड़ते हुए देश के दूसरे सबसे लंबे समय तक लगातार प्रधानमंत्री बने रहने का गौरव हासिल कर लिया है। इंदिरा गांधी ने 24 जनवरी 1966 से 24 मार्च 1977 तक कुल 4077 दिन प्रधानमंत्री पद संभाला था, जबकि नरेंद्र मोदी का यह कार्यकाल 26 मई 2014 से लगातार जारी है।

मोदी की लंबी राजनीतिक यात्रा: एक नया अध्याय

प्रधानमंत्री मोदी का यह सफर सिर्फ प्रधानमंत्री पद तक सीमित नहीं रहा। वे राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर कुल 24 वर्षों से लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार का नेतृत्व कर रहे हैं। उन्होंने 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला और 2014 से लगातार प्रधानमंत्री पद पर बने हुए हैं। यह उपलब्धि भारत के किसी भी नेता के लिए एक मिसाल है।

नवभारत के पहले स्वतंत्रता-उत्तरजन्म प्रधानमंत्री

नरेंद्र मोदी 1947 के बाद जन्मे पहले प्रधानमंत्री हैं। इसके अलावा वे गैर-हिंदी भाषी राज्य (गुजरात) से आने वाले ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं, जो लगातार इतने लंबे समय तक इस पद पर बने हुए हैं। वह सबसे लंबे समय तक पद पर रहने वाले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी हैं, जिससे भारत की बहुदलीय लोकतंत्र में राजनीतिक विविधता और जनसमर्थन की गहराई को भी समझा जा सकता है।

चुनावी सफलता का अभूतपूर्व रिकॉर्ड

मोदी का राजनीतिक सफर चुनावी सफलता की दृष्टि से भी बेजोड़ रहा है। वे भारत के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिन्होंने लगातार छह चुनावों में पार्टी का नेतृत्व किया और विजय दिलाई—तीन बार गुजरात विधानसभा चुनाव (2002, 2007, 2012) और तीन बार लोकसभा चुनाव (2014, 2019, 2024)। यह रिकॉर्ड न केवल संगठनात्मक क्षमता का प्रमाण है, बल्कि जनविश्वास की स्थिरता का भी संकेत है।

अब लक्ष्य: नेहरू का रिकॉर्ड

भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू 15 अगस्त 1947 से लेकर 27 मई 1964 तक लगातार 6126 दिनों तक प्रधानमंत्री पद पर रहे थे। नरेंद्र मोदी के लिए इस रिकॉर्ड को छूने के लिए अभी 2048 दिन और इस पद पर बने रहना होगा। यानी लगभग साढ़े पांच वर्षों की निरंतरता और अपेक्षित जनसमर्थन।

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