भारत का ‘रुद्रम’ बना रडार का काल, चीन हैरान!

नई दिल्ली। भारत की रक्षा शक्ति दिन-ब-दिन नई ऊँचाइयों को छू रही है। इसी कड़ी में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की जा रही ‘रुद्रम’ मिसाइल श्रृंखला भारतीय वायुसेना के लिए गेमचेंजर साबित हो रही है। यह एंटी-रेडार मिसाइल शत्रु के रडार, एयर डिफेंस सिस्टम और निगरानी उपकरणों को तबाह करने में सक्षम है। अब रुद्रम के कई उन्नत वैरिएंट तैयार किए जा रहे हैं, जिससे चीन और पाकिस्तान जैसे देशों में चिंता बढ़ना स्वाभाविक है।

क्या है रुद्रम मिसाइल?

‘रुद्रम’ भारत की पहली स्वदेशी एंटी-रेडार मिसाइल है, जिसे DRDO ने सुखोई-30 MKI जैसे फाइटर जेट्स से लॉन्च करने के लिए विकसित किया है। इसका पहला वैरिएंट रुद्रम-1 पहले ही सफल परीक्षणों में खरा उतरा है। अब DRDO ‘रुद्रम-2’ और ‘रुद्रम-3’ जैसे ज्यादा रेंज और उच्च मारक क्षमता वाले संस्करणों पर काम कर रहा है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक रुद्रम-1 की रेंज लगभग 150-200 किलोमीटर तक है, जबकि रुद्रम-2 की क्षमता इससे कहीं अधिक मानी जा रही है। रुद्रम-3 तो हाइपरसोनिक तकनीक से लैस हो सकता है, जो शत्रु की प्रतिक्रिया का समय ही खत्म कर देगा।

क्यों है चीन में हलचल?

भारत द्वारा लगातार उन्नत सैन्य तकनीकों पर काम किया जाना चीन और पाकिस्तान दोनों के लिए चिंता का विषय है। रुद्रम जैसी एंटी-रेडार मिसाइलें किसी भी देश की वायु रक्षा प्रणाली को अपंग कर सकती हैं। युद्ध की स्थिति में ये मिसाइलें दुश्मन के रडार को निशाना बनाकर उसके लड़ाकू विमानों को ‘अंधा’ बना देती हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्वी लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक फैली सीमाओं पर अगर टकराव की स्थिति बनी, तो रुद्रम मिसाइलें चीन की सबसे बड़ी चुनौती बन सकती हैं। यही वजह है कि चीन भारतीय मिसाइल कार्यक्रम पर लगातार नजर बनाए हुए है।

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