भू-राजनीति ने बदली ट्रेड की दिशा
इस बदलाव की पृष्ठभूमि में सबसे बड़ी भूमिका अमेरिका और चीन के बीच का बढ़ता तनाव है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में शुरू हुई "चाइना डीकप्लिंग" नीति अब और भी आक्रामक रूप ले चुकी है। अमेरिका ने चीन पर अपनी तकनीकी और आर्थिक निर्भरता घटाने के लिए वैकल्पिक सप्लायर की तलाश शुरू की, और भारत, ताइवान व स्विट्जरलैंड जैसे देश उसके लिए प्रमुख विकल्प बनकर उभरे हैं।
टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स: भारत की बड़ी छलांग
भारत ने विशेष रूप से टेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में अपनी साख मजबूत की है। अमेरिका द्वारा आयात किए जाने वाले उन्नत तकनीकी उत्पादों में भारत की हिस्सेदारी 2.3% से बढ़कर 3.5% हो चुकी है। मोबाइल फोन, सोलर सेल्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के क्षेत्र में भारत की ग्रोथ उल्लेखनीय रही है। इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर में चीन की हिस्सेदारी जहां गिरकर 11% रह गई है, वहीं भारत की हिस्सेदारी 7.2% तक जा पहुंची है — यह संकेत है कि भारत अब सिर्फ बैक ऑफिस नहीं, टेक्नोलॉजी का असली केंद्र भी बन रहा है।
कपड़ा उद्योग में भी भारत का प्रदर्शन शानदार दिखाई दे रहा
कपड़ा उद्योग में भी भारत ने खुद को एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है। जहां चीन की हिस्सेदारी 27% से गिरकर 14% पर आ गई है, वहीं भारत 9% से बढ़कर 12% तक पहुंच गया है। वियतनाम भले ही 18% हिस्सेदारी के साथ आगे हो, लेकिन भारत की ग्रोथ स्थायी और व्यापक नज़र आ रही है। हालांकि कृषि उत्पादों में भारत की हिस्सेदारी में मामूली इजाफा हुआ है।
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