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नवरात्रि 2025: माँ दुर्गा लाएंगी 5 राशियों के लिए खुशियों की बहार

धर्म डेस्क। इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 2025 की शुरुआत अत्यंत शुभ योगों के संयोग में होने जा रही है। 22 सितंबर से प्रारंभ हो रही नवरात्रि में देवी दुर्गा की आराधना विशेष फलदायी मानी जा रही है। इस बार अमृत सिद्धि योग, रवि योग और सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ योगों का प्रभाव 5 विशेष राशियों के लिए बेहद लाभकारी सिद्ध होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इन राशियों के जातकों को धन, करियर, पारिवारिक सुख और मान-सम्मान की प्राप्ति होगी।

1. मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए यह नवरात्रि नई शुरुआत का संकेत लेकर आई है। जो लोग नौकरी या व्यवसाय में बदलाव की सोच रहे थे, उनके लिए उत्तम अवसर मिल सकते हैं। परिवार में खुशियों का आगमन होगा और लंबे समय से अटके कार्य पूर्ण हो सकते हैं।

2. वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों को इस नवरात्रि आर्थिक लाभ के संकेत मिल रहे हैं। निवेश से जुड़े फैसले लाभकारी हो सकते हैं। साथ ही, सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होगी। जीवनसाथी के साथ रिश्ते मधुर होंगे और घर में सुख-शांति बनी रहेगी।

3. कन्या राशि

कन्या राशि के लिए यह समय आत्मविश्वास में वृद्धि और मानसिक शांति लेकर आएगा। कार्यक्षेत्र में सराहना मिलेगी और उच्च अधिकारियों से सहयोग प्राप्त होगा। विद्यार्थी वर्ग को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलने की संभावना है।

4. तुला राशि 

तुला राशि के लिए यह नवरात्रि शुभ समाचार लेकर आ सकती है। विशेष रूप से विवाह, संतान और संपत्ति से जुड़े मामलों में सफलता मिलने के योग बन रहे हैं। नए संपर्क और मित्रता भविष्य में लाभदायक सिद्ध हो सकते हैं।

5. मकर राशि 

मकर राशि वालों के लिए माँ दुर्गा की कृपा से रुके हुए कार्यों में गति आएगी। धन की आवक बढ़ेगी और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से राहत मिलेगी। पारिवारिक जीवन में सामंजस्य बढ़ेगा और धार्मिक कार्यों में रुचि जगेगी।

केंद्रीय कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर: 8वें वेतन आयोग में बदलेंगे भत्ते!

नई दिल्ली। आठवें वेतन आयोग को लेकर लाखों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की निगाहें सरकार पर टिकी हैं। हर वेतन आयोग सिर्फ सैलरी में इजाफे का ही जरिया नहीं होता, बल्कि यह सरकार की प्रशासनिक नीतियों और डिजिटल इंडिया जैसे बड़े विज़न को लागू करने का भी माध्यम होता है। इस बार चर्चा का केंद्र सिर्फ वेतन वृद्धि नहीं, बल्कि भत्तों में संभावित बदलाव है।

सातवें वेतन आयोग से अब तक की कहानी

जब सातवें वेतन आयोग ने अपनी रिपोर्ट पेश की थी, तब पाया गया कि केंद्र सरकार में करीब 196 तरह के भत्ते दिए जा रहे थे। यह संख्या एक अत्यधिक जटिल व्यवस्था को दर्शाती थी। आयोग ने इस व्यवस्था को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में सिफारिशें की थीं,  जिनमें से 52 भत्तों को खत्म करने और 36 को अन्य भत्तों में विलय करने की बात शामिल थी। सरकार ने इन सिफारिशों को बड़े पैमाने पर लागू भी किया।

आठवें वेतन आयोग का संभावित एजेंडा

अब जब आठवें वेतन आयोग की तैयारियाँ शुरू हो चुकी हैं, तो 'कम भत्ते, अधिक पारदर्शिता' की रणनीति अपनाई जा सकती है। इस बार सरकार उन भत्तों पर कैंची चला सकती है जिनकी मौजूदा दौर में प्रासंगिकता कम हो गई है। डिजिटल तकनीक, प्रशासनिक सुधार और कार्य-संस्कृति में बदलाव ने कई पारंपरिक भत्तों की उपयोगिता को खत्म कर दिया है।

उदाहरण के तौर पर: टाइपिंग अलाउंस, जो तब के दौर में ज़रूरी था जब टाइपराइटर आम थे, अब डिजिटल टूल्स की वजह से अप्रासंगिक हो गया है। स्पेशल ड्यूटी अलाउंस और रीजनल अलाउंस, जो कभी कार्यक्षेत्र की विशेष परिस्थितियों के आधार पर दिए जाते थे, अब उनके मूल्यांकन में पारदर्शिता की कमी मानी जा रही है। ट्रैवल अलाउंस भी अब उस रूप में जरूरी नहीं रह गया है, क्योंकि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और ऑनलाइन मीटिंग्स ने यात्राओं को सीमित कर दिया है।

कर्मचारियों पर संभावित असर

भत्तों को खत्म करने की खबर से यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या इससे कर्मचारियों की आमदनी पर नकारात्मक असर पड़ेगा? लेकिन इसका उत्तर है नहीं। सरकार का प्रयास रहेगा कि बेसिक पे और महंगाई भत्ते (DA) में संतुलन बनाकर कुल आय को स्थिर रखा जाए। दरअसल, बेसिक पे और DA जितने अधिक होंगे, कर्मचारियों की पेंशन की गणना भी उतनी ही बेहतर होगी, क्योंकि पेंशन इन्हीं दो घटकों पर आधारित होती है।

भारत बनेगा 'सेमीकंडक्टर' हब: अमेरिका-चीन सब हैरान!

नई दिल्ली। भारत आज जिस दिशा में कदम बढ़ा रहा है, वह केवल तकनीकी प्रगति की कहानी नहीं है, बल्कि एक वैश्विक आर्थिक और रणनीतिक बदलाव की नींव भी है। सेमीकंडक्टर उद्योग, जिसे तकनीक की रीढ़ माना जाता है, अब भारत के आर्थिक विकास और तकनीकी आत्मनिर्भरता का केंद्र बिंदु बनता जा रहा है। आने वाले वर्षों में यह क्षेत्र न केवल लाखों युवाओं के लिए रोजगार का स्रोत बनेगा, बल्कि भारत को एक टेक्नोलॉजी सुपरपावर के रूप में भी स्थापित करेगा।

तेजी से बढ़ता उपभोग, निर्माण की ओर बढ़ते कदम

वर्तमान में भारत हर साल लगभग 24 अरब डॉलर के सेमीकंडक्टर आयात करता है। मोबाइल फोन, ऑटोमोबाइल, कंप्यूटिंग डिवाइसेज और रक्षा प्रणालियों तक, सेमीकंडक्टर का उपयोग हर क्षेत्र में होता है। लेकिन चिंता की बात यह है कि भारत इस विशाल मांग के बावजूद अब तक घरेलू उत्पादन में लगभग नगण्य है। हालांकि, अब यह तस्वीर बदल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि 2030 तक भारतीय सेमीकंडक्टर बाज़ार 100 से 120 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।

गुजरात से शुरू, देशभर में विस्तार

गुजरात के सानंद में हाल ही में उद्घाटित OSAT यूनिट (Outsourced Semiconductor Assembly and Test) इस यात्रा का पहला वास्तविक कदम है। CG Semi Private Limited द्वारा स्थापित यह प्लांट दिखाता है कि भारत अब केवल सैद्धांतिक घोषणाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि जमीन पर वास्तविक बदलाव शुरू हो चुके हैं। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश की पहली स्वदेशी चिप को राष्ट्र को समर्पित करेंगे, तो वह एक प्रतीकात्मक क्षण होगा भारत के तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में एक निर्णायक मोड़।

ICEA और नेतृत्व का नया मंच

इंडिया सेलुलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) द्वारा शुरू किया गया 'सेमीकंडक्टर प्रोडक्ट डिज़ाइन लीडरशिप फोरम' इस बदलाव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस मंच का उद्देश्य स्पष्ट है, भारत को सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और इनोवेशन में वैश्विक लीडर बनाना। 2035 तक कम से कम 100 नई टेक कंपनियों की स्थापना, एक मजबूत तकनीकी इकोसिस्टम का निर्माण, निवेश और प्रतिभा विकास। यह सभी इस पहल का हिस्सा हैं। यह मंच केवल एक संगठन नहीं, बल्कि एक आंदोलन है जो भारत की तकनीकी क्षमता को नए स्तर पर ले जाने के लिए तैयार है।

सेमीकॉन मिशन 2.0: नज़रिया और रणनीति

सरकार द्वारा सेमीकंडक्टर क्षेत्र में 1.60 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश को मंजूरी देना दिखाता है कि यह केवल निजी क्षेत्र का नहीं, बल्कि नीति स्तर पर भी प्राथमिकता है। पहले चरण में 76,000 करोड़ रुपये का निवेश लगभग पूरा हो चुका है, और अब 'सेमीकॉन मिशन 2.0' की तैयारी हो रही है। गुजरात, असम, यूपी, ओडिशा जैसे राज्यों में इन परियोजनाओं का विस्तार इस उद्योग को केवल मेट्रो शहरों तक सीमित नहीं रखेगा, बल्कि देशभर में औद्योगिक और रोजगार का संतुलित विकास सुनिश्चित करेगा।

सीएम योगी का आदेश: यूपी के जेल से रिहा होंगे ये कैदी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की जेलों में बंद उन कैदियों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है जो गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि असाध्य रोगों से ग्रसित बंदियों की समयपूर्व रिहाई की प्रक्रिया को और अधिक मानवीय, पारदर्शी और सरल बनाया जाए।

मानवीय दृष्टिकोण से होगी रिहाई की प्रक्रिया

मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि गंभीर बीमारियों से पीड़ित ऐसे बंदियों की पहचान की जाए, जिनकी रिहाई के बाद इलाज से स्वास्थ्य में सुधार की संभावना है। खासतौर पर वे कैदी जो घातक बीमारी या शारीरिक अक्षमता से ग्रस्त हैं और जिनकी मृत्यु की आशंका निकट भविष्य में है, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर रिहा किया जाए।

इस पहल के पीछे एक मानवीय सोच है की बंदियों को जेल के कठोर वातावरण में असहनीय पीड़ा से बचाते हुए उन्हें सम्मानजनक चिकित्सा और देखभाल का अवसर देना। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि रिहाई के लिए पात्र बंदियों को अलग से आवेदन करने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। यह प्रक्रिया स्वतः संज्ञान में लेकर संचालित हो।

महिलाओं और बुजुर्गों को मिलेगी प्राथमिकता

मुख्यमंत्री योगी ने स्पष्ट किया कि महिला और बुजुर्ग बंदियों को रिहाई में प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इससे जेलों में भीड़ कम होने के साथ-साथ मानवाधिकारों की रक्षा भी सुनिश्चित की जा सकेगी।

जेलों में किया जाएगा सर्वेक्षण

प्रदेश की सभी जेलों में ऐसे बंदियों की वास्तविक संख्या जानने के लिए व्यापक सर्वेक्षण कराया जाएगा। यह सर्वेक्षण यह तय करने में मदद करेगा कि कितने बंदी असाध्य रोगों से पीड़ित हैं और उनकी हालत कितनी गंभीर है। हालांकि, मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि यह राहत सभी के लिए नहीं है। हत्या, आतंकवाद, देशद्रोह, महिला और बच्चों के विरुद्ध जघन्य अपराधों के मामलों में किसी भी तरह की रिहाई नहीं दी जाएगी। समाज की सुरक्षा सर्वोपरि है, और इस फैसले को लेते समय इसी संतुलन को बनाए रखना अनिवार्य होगा।

यूपी में अब इन लोगों पर भी होगी सख्त कार्रवाई

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क सुरक्षा को सख्ती से लागू करने के लिए एक बार फिर "नो हेलमेट, नो पेट्रोल" अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान 30 सितंबर तक चलाया जाएगा, जिसमें दोपहिया वाहन चालकों को हेलमेट पहनने के लिए जागरूक किया जाएगा और नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

अभियान के पहले ही दिन 45 वाहन चालकों के चालान काटे गए, जिससे साफ है कि इस बार प्रशासन पूरी तरह से सख्त रुख अपनाए हुए है। परिवहन विभाग, यातायात विभाग, जिला पूर्ति अधिकारी और स्थानीय पुलिस को संयुक्त रूप से इस अभियान को सफल बनाने की जिम्मेदारी दी गई है।

हेलमेट किराए पर देने वालों पर सख्त नजर

पिछली बार चले इसी तरह के अभियान में कुछ लोगों ने इसका दुरुपयोग करते हुए हेलमेट को कमाई का जरिया बना लिया था। पेट्रोल पंपों पर 10-20 रुपये लेकर हेलमेट किराए पर दिए जाते थे, जिन्हें पेट्रोल भरवाने के बाद वापस कर दिया जाता था। इससे नियम का उद्देश्य ही विफल हो गया था।

इस बार प्रशासन ने ऐसे मामलों को गंभीरता से लेते हुए चेतावनी जारी की है कि यदि कोई व्यक्ति या पेट्रोल पंप स्टाफ इस तरह की गतिविधि में लिप्त पाया गया, तो उनके विरुद्ध दोगुना जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही, नियम तोड़ने वाले चालक पर भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।

पेट्रोल पंप मालिकों से सहयोग की अपील

इस बार प्रशासन ने सभी पेट्रोल पंप संचालकों से विशेष सहयोग की अपील की है। उन्हें निर्देश दिया गया है कि बिना हेलमेट आए किसी भी दोपहिया वाहन चालक को पेट्रोल न दिया जाए। यह सुनिश्चित करना सभी पंप मालिकों की जिम्मेदारी होगी कि नियम का उल्लंघन न हो।

एआरटीओ का बयान

एआरटीओ ने कहा, “हमारा उद्देश्य चालकों की सुरक्षा है, न कि केवल चालान करना। हेलमेट जीवन रक्षक है और इसके प्रति लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह अभियान सभी की भलाई के लिए है और इसके सफल क्रियान्वयन के लिए सभी विभागों को एक साथ मिलकर काम करना होगा।” प्रशासन ने आम जनता से भी अपील की है कि वे सड़क सुरक्षा नियमों का पालन करें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें। हेलमेट न केवल चालान से बचाता है, बल्कि जान भी बचाता है।

शाकाहारी लोग ध्यान दें: 1 विटामिन की हो सकती है कमी

हेल्थ डेस्क। स्वस्थ जीवनशैली के प्रति बढ़ती जागरूकता के चलते शाकाहारी भोजन (Vegetarian Diet) को आजकल तेजी से अपनाया जा रहा है। पौधों से प्राप्त खाद्य पदार्थों में फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट और आवश्यक पोषक तत्व भरपूर होते हैं, जो शरीर को कई बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। लेकिन एक विटामिन ऐसा है, जिसकी कमी शाकाहारी लोगों में अक्सर देखी जाती है और वह है विटामिन B12।

क्या है विटामिन B12 और क्यों है जरूरी?

विटामिन B12 शरीर के लिए एक अत्यंत आवश्यक पोषक तत्व है जो लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण, मस्तिष्क के कार्य और तंत्रिका तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी कमी से कमजोरी, थकान, चक्कर आना, याददाश्त की कमी, और यहां तक कि डिप्रेशन जैसे लक्षण भी उभर सकते हैं।

शाकाहारी डाइट में क्यों होती है इसकी कमी?

विटामिन B12 मुख्यतः जानवरों से प्राप्त खाद्य स्रोतों जैसे कि मांस, अंडा और डेयरी उत्पादों में पाया जाता है। पूर्ण शाकाहारी (Vegan) आहार लेने वालों के भोजन में ये स्रोत शामिल नहीं होते, जिससे समय के साथ शरीर में इसकी कमी हो सकती है।

किन लोगों को है ज्यादा खतरा?

लंबे समय से शाकाहारी या वेगन डाइट पर रहने वाले, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं, बुज़ुर्ग लोग, जिनकी पाचन क्षमता कम होती है, गैस्ट्रिक सर्जरी या आंतों की किसी बीमारी से पीड़ित लोग आदि।

कैसे करें इसकी कमी की पूर्ति?

बाजार में ऐसे कई फूड आइटम उपलब्ध हैं जिन्हें कृत्रिम रूप से B12 से समृद्ध (fortified) किया गया होता है, जैसे प्लांट-बेस्ड मिल्क, ब्रेकफास्ट सीरियल्स और न्यूट्रिशनल यीस्ट। वहीं, डॉक्टर की सलाह से B12 सप्लीमेंट्स लेना एक सुरक्षित और असरदार विकल्प हो सकता है। साल में एक बार ब्लड टेस्ट कराकर शरीर में B12 के स्तर की जांच करवाना चाहिए।

केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाली छुट्टियां: जानिए पूरी डिटेल

नई दिल्ली। सरकारी कर्मचारियों की सुविधाओं और वेतन-भत्तों पर चर्चा आम है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को अवकाश के क्षेत्र में भी विशेष लाभ देती है। इन अवकाशों का प्रावधान "केंद्रीय सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 1972" के तहत किया गया है।

हाल ही में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में अवकाश नियमों पर चर्चा करते हुए बताया कि केंद्रीय कर्मचारी न केवल अर्जित छुट्टियों का उपयोग पारिवारिक जिम्मेदारियों के लिए कर सकते हैं, बल्कि उनके पास कई प्रकार की विशेष छुट्टियों का विकल्प भी होता है।

अर्जित छुट्टी: पूरे साल में 30 दिन, निजी कारणों के लिए

हर केंद्रीय कर्मचारी को साल भर में 30 दिन की अर्जित छुट्टी (Earned Leave) मिलती है। इसका उपयोग वे माता-पिता की देखभाल, यात्रा या अन्य व्यक्तिगत कार्यों के लिए कर सकते हैं। यह छुट्टी जमा की जा सकती है, और सेवा काल के अंत में इसका नकद भुगतान भी लिया जा सकता है।

अर्ध वेतन छुट्टी: स्वास्थ्य कारणों के लिए 20 दिन की सुविधा

इसके अतिरिक्त कर्मचारी को 20 दिन की अर्ध वेतन छुट्टी (Half Pay Leave) मिलती है, जिसमें उन्हें आधा वेतन प्राप्त होता है। इसका उपयोग आमतौर पर बीमारी या चिकित्सकीय जरूरतों के लिए किया जाता है।

आकस्मिक छुट्टी: आपात स्थिति के लिए 8 दिन का विकल्प

Casual Leave के अंतर्गत कर्मचारी को साल में 8 दिन की छुट्टी मिलती है। यह छुट्टी आपातकालीन परिस्थितियों या तात्कालिक पारिवारिक कार्यों के लिए ली जाती है।

प्रतिबंधित अवकाश: त्योहारों के लिए 2 दिन की छूट

कर्मचारी अपनी पसंद के त्योहारों या धार्मिक अवसरों के लिए साल में 2 दिन का प्रतिबंधित अवकाश (Restricted Holiday) चुन सकते हैं। ये छुट्टियां सरकारी कैलेंडर में सूचीबद्ध त्योहारों में से किसी भी दो पर ली जा सकती हैं।

विशेष छुट्टियां: मातृत्व से लेकर अध्ययन तक की सुविधाएं

सरकार कर्मचारियों की विशेष परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कुछ अतिरिक्त अवकाश भी देती है।

मातृत्व अवकाश: महिला कर्मचारियों को 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश मिलता है, जो पहले दो बच्चों के लिए मान्य है। इस अवधि में पूरा वेतन दिया जाता है।

पितृत्व अवकाश: पुरुष कर्मचारियों को 15 दिन का पितृत्व अवकाश मिलता है। यह अवकाश बच्चे के जन्म के समय लिया जा सकता है।

अध्ययन अवकाश (Study Leave): सेवा में कुछ वर्ष पूरे करने के बाद, कर्मचारी को उच्च शिक्षा या विशेष प्रशिक्षण के लिए अध्ययन अवकाश भी मिल सकता है।

साप्ताहिक अवकाश और सार्वजनिक छुट्टियां भी अलग

इसके अतिरिक्त कर्मचारियों को साप्ताहिक अवकाश (शनिवार-रविवार) और सरकारी कैलेंडर के अनुसार घोषित सार्वजनिक छुट्टियां मिलती हैं, जिनमें स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, दिवाली, होली आदि शामिल हैं।

पनीर या अंडा: सेहत के लिए कौन है सबसे अच्छा सुपरफूड?

हेल्थ डेस्क। स्वस्थ जीवनशैली की ओर बढ़ते आज के युग में प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थों की मांग तेजी से बढ़ी है। पनीर और अंडा।  ये दो आम लेकिन शक्तिशाली भोज्य पदार्थ अक्सर सेहत के प्रति जागरूक लोगों की थाली में जगह पाते हैं। पर सवाल ये उठता है कि दोनों में से कौन है सबसे अच्छा सुपरफूड? आइए इस पर वैज्ञानिक तथ्यों और पोषण मूल्यों के आधार पर नजर डालते हैं।

पोषण मूल्य की तुलना:

पनीर (100 ग्राम में): प्रोटीन लगभग 18 ग्राम, कैल्शियम 200 मिलीग्राम, फैट 20-25 ग्राम (निर्भर करता है दूध की मलाई पर), कैलोरी लगभग 265, इसमें विटामिन A, B2, D भी मौजूद।

अंडा (1 अंडा, लगभग 50 ग्राम): प्रोटीन लगभग 6 ग्राम, फैट 5 ग्राम, कैलोरी लगभग 70, विटामिन A, D, E, B12, B6, फोलेट मौजूद। सेलेनियम, कोलीन, आयरन भी मौजूद। 

किनके लिए क्या बेहतर?

1. मसल्स बनाने वालों के लिए:

अंडा, खासकर उसका सफेद हिस्सा, लीन प्रोटीन से भरपूर होता है। यह बॉडी बिल्डिंग या वज़न घटाने वाले लोगों के लिए बेहतर विकल्प माना जाता है।

2. वज़न बढ़ाने वालों के लिए:

पनीर में फैट और कैलोरी ज़्यादा होती है, इसलिए जो लोग वज़न बढ़ाना चाहते हैं, उनके लिए यह एक प्रभावी विकल्प है।

3. हड्डियों के लिए:

पनीर में मौजूद कैल्शियम हड्डियों को मज़बूत बनाने में मदद करता है। यह बच्चों और वृद्धों दोनों के लिए फायदेमंद है।

4. दिल की सेहत:

अंडे की जर्दी में कोलेस्ट्रॉल अधिक होता है, जिससे हृदय रोग के जोखिम वाले लोगों को संतुलित मात्रा में ही सेवन की सलाह दी जाती है। लो-फैट पनीर इस मामले में बेहतर माना जा सकता है।

बिहार में 'संपत्ति मालिकों' के लिए बड़ी खबर, तुरंत पढ़ें!

पटना। बिहार के पटना नगर निगम क्षेत्र के नागरिकों के लिए सितंबर का महीना विशेष महत्व रखता है। इस अवधि में संपत्ति कर का भुगतान करना अनिवार्य है, ताकि जुर्माने और अतिरिक्त शुल्क से बचा जा सके। नगर निगम ने स्पष्ट किया है कि 30 सितंबर तक कर जमा करने वालों को किसी प्रकार की पेनल्टी नहीं देनी होगी। यह उन संपत्ति मालिकों के लिए अंतिम अवसर है जो अभी तक अपना टैक्स समय पर नहीं भर सके हैं।

नगर निगम की तैयारियाँ और निर्देश

नगर आयुक्त अनिमेष कुमार पराशर ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया है कि पटना नगर निगम के सभी टैक्स काउंटरों पर कर्मचारियों की नियमित उपस्थिति सुनिश्चित की जाए। इसका उद्देश्य यह है कि करदाताओं को टैक्स भरने में किसी भी प्रकार की असुविधा न हो और वे सही समय पर सहायता प्राप्त कर सकें।

साथ ही, ठोस कचरा प्रबंधन शुल्क के भुगतान की सुविधा भी इन्हीं काउंटरों पर उपलब्ध रहेगी। यह कदम नगर निगम की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है जिसके तहत वह करदाताओं को सरल और सुलभ सेवाएं प्रदान करना चाहता है।

टैक्स भुगतान का समयानुसार लाभ

पटना नगर निगम द्वारा अप्रैल से जून तक टैक्स भुगतान करने वालों को पाँच प्रतिशत की छूट दी जाती है। जबकि जुलाई से सितंबर तक भुगतान करने वालों को कोई छूट तो नहीं मिलती, लेकिन उन्हें किसी प्रकार की पेनल्टी भी नहीं देनी होती। वहीं, 1 अक्टूबर से 31 मार्च के बीच टैक्स भरने पर डेढ़ प्रतिशत दंड (पेनल्टी) निर्धारित की गई है।

घर बैठे ऑनलाइन भुगतान की सुविधा

करदाताओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए नगर निगम ने ऑनलाइन भुगतान की व्यवस्था भी की है। अब पटनावासी घर बैठे https://www.pmc.bihar.gov.in/Home.aspx या https://pmcptax.bihar.gov.in/pmc/public वेबसाइट पर जा कर ऑनलाइन टैक्स जमा कर सकते हैं।

इसके अलावा, व्हाट्सएप चैटबोट 9244474449 के माध्यम से भी टैक्स भुगतान संभव है। साथ ही, मांग पत्र (डिमांड नोटिस) की होम डिलीवरी की सुविधा भी निगम कर्मियों द्वारा दी जा रही है। पटना नगर निगम ने सभी नागरिकों से अपील की है कि वे रोस्टर के अनुसार समय पर अपने संपत्ति कर का भुगतान करें और अनावश्यक आर्थिक बोझ से बचें। एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में समय पर टैक्स भुगतान केवल कानूनी दायित्व नहीं है, बल्कि यह शहर के विकास में भी भागीदारी है।

UPSSSC 2025: PET परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड जारी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UPSSSC) ने प्रारंभिक अर्हता परीक्षा (PET)-2025 के लिए एडमिट कार्ड जारी कर दिए हैं। यह परीक्षा 6 और 7 सितंबर 2025 को राज्य के 48 जिलों में आयोजित की जाएगी। आयोग ने जानकारी दी है कि परीक्षा में 25 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल होंगे।

अभ्यर्थी अपने प्रवेश पत्र आयोग की आधिकारिक वेबसाइट upsssc.gov.in से डाउनलोड कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, आयोग के आधिकारिक एंड्रॉयड एप के माध्यम से भी प्रवेश पत्र प्राप्त किए जा सकते हैं। इसको लेकर निर्देश दिए गए हैं।

निर्देशों को ध्यान से पढ़ना अनिवार्य

यूपीएसएसएससी ने सभी परीक्षार्थियों को सलाह दी है कि वे एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के बाद उस पर दिए गए निर्देशों को ध्यानपूर्वक पढ़ें। परीक्षा केंद्र पर समय से पहले पहुंचना, एडमिट कार्ड और वैध पहचान पत्र साथ लाना, और अनुशासन बनाए रखना अनिवार्य होगा। किसी भी तरह की गड़बड़ी या निर्देशों की अनदेखी करने पर परीक्षार्थी की उम्मीदवारी रद्द की जा सकती है।

परीक्षा का उद्देश्य

यूपीएसएसएससी पीईटी परीक्षा का उद्देश्य विभिन्न ग्रुप 'सी' पदों की भर्ती के लिए प्रारंभिक चयन करना है। PET स्कोर के आधार पर ही अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा में शामिल होने का मौका मिलेगा। यदि किसी अभ्यर्थी को एडमिट कार्ड डाउनलोड करने में समस्या हो रही है, तो वह आयोग की हेल्पलाइन या वेबसाइट पर उपलब्ध संपर्क विकल्पों का उपयोग कर सकता है।

महत्वपूर्ण लिंक

वेबसाइट: upsssc.gov.in

यूपीएसएसएससी एंड्रॉयड ऐप: Google Play Store पर उपलब्ध

बिहार: BPSC पीटी परीक्षा को लेकर बड़ी घोषणा

पटना: बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) ने सोमवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए 71वीं संयुक्त (प्रारंभिक) प्रतियोगिता परीक्षा को लेकर चल रही अटकलों पर पूरी तरह विराम लगा दिया है। आयोग ने स्पष्ट किया है कि परीक्षा को स्थगित नहीं किया गया है और यह पूर्व निर्धारित तिथि पर ही आयोजित की जाएगी।

आयोग द्वारा जारी आधिकारिक नोटिफिकेशन के अनुसार, BPSC 71वीं पीटी परीक्षा का आयोजन 13 सितंबर 2025 (शनिवार) को किया जाएगा। परीक्षा का समय दोपहर 12:00 बजे से 2:00 बजे तक निर्धारित किया गया है। यह परीक्षा राज्य भर के विभिन्न परीक्षा केंद्रों पर एक साथ आयोजित की जाएगी।

परीक्षा टलने की अटकलों पर विराम

हाल के दिनों में सोशल मीडिया और कई गैर-आधिकारिक स्रोतों पर परीक्षा स्थगित होने की संभावनाओं को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही थीं। छात्रों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो गई थी। लेकिन BPSC की इस आधिकारिक घोषणा के बाद अब स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो चुकी है।

उम्मीदवारों के लिए जरूरी निर्देश

आपको बता दें की BPSC ने अभ्यर्थियों से अपील की है कि वे केवल आयोग की आधिकारिक वेबसाइट या अधिसूचनाओं पर ही भरोसा करें। परीक्षा से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए bpsc.bih.nic.in पर समय-समय पर विजिट करते रहें।

अभ्यर्थियों को सलाह दी गई है कि वे अब अंतिम तैयारी में जुट जाएं, क्योंकि परीक्षा की तिथि अब बेहद नजदीक है। साथ ही, परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड परीक्षा से कुछ दिन पहले आयोग की वेबसाइट पर ही जारी किए जाएंगे, जिसे उम्मीदवार डाउनलोड कर सकेंगे।

सीमेंट कारपोरेशन ऑफ इंडिया में क्लर्क की भर्ती

न्यूज डेस्क। सीमेंट कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (CCI) ने क्लर्क (ऑफिस क्लर्क) और क्षेत्र सहायक (फील्ड असिस्टेंट) के पदों पर भर्ती हेतु अधिसूचना जारी की है। इच्छुक और योग्य अभ्यर्थी 18 सितंबर 2025 तक आवेदन कर सकते हैं। यह भर्ती प्रक्रिया कर्नाटक राज्य के हुबली स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के लिए आयोजित की जा रही है।

रिक्त पदों का विवरण:

ऑफिस क्लर्क (जनरल), ऑफिस क्लर्क (अकाउंट्स), फील्ड असिस्टेंट (एग्रीकल्चर)

पदों की संख्या: आवश्यकता के अनुसार

वेतनमान: ₹25,000 से ₹37,000 प्रतिमाह

शैक्षणिक योग्यता:

फील्ड असिस्टेंट (Temporary Field Assistant): बी.एससी. (कृषि) स्नातक, मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से। साथ ही कंप्यूटर का ज्ञान आवश्यक है। सामान्य/ओबीसी वर्ग के लिए न्यूनतम 50% अंक एवं एससी/एसटी/पीएच वर्ग के लिए 45%।

ऑफिस क्लर्क (अकाउंट्स): बी.कॉम स्नातक, मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से। कंप्यूटर ज्ञान अनिवार्य। न्यूनतम अंक वही हैं जैसा ऊपर वर्णित।

ऑफिस क्लर्क (जनरल): किसी भी विषय में स्नातक डिग्री, मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से। कंप्यूटर का ज्ञान आवश्यक।

आयु सीमा:

इन पदों पर आवेदन करने के लिए अभ्यर्थी की अधिकतम आयु 35 वर्ष होनी चाहिए। इसके बारे में और अधिक जानकारी के लिए नोटिश देखें।

आवेदन कैसे करें:

इच्छुक उम्मीदवार www.cotcorp.org.in वेबसाइट से आवेदन फॉर्म डाउनलोड करें। भरे हुए फॉर्म के साथ प्रमाण पत्रों की सत्यापित प्रतियाँ संलग्न करें करें।

महत्वपूर्ण तिथियाँ:

आवेदन की अंतिम तिथि: 18 सितंबर 2025

बीपी कम रही? तुरंत खाएं ये 4 हेल्दी चीजें और पाएं राहत!

हेल्थ डेस्क। आज के व्यस्त जीवन में तनाव, गलत खान-पान और अपर्याप्त नींद के कारण हाई या लो ब्लड प्रेशर की समस्या आम हो गई है। खासकर लो ब्लड प्रेशर (बीपी कम होना) की समस्या से जूझ रहे लोगों को चक्कर आना, कमजोरी, थकावट जैसी परेशानियां होती हैं। यदि आपको भी बीपी कम होने की समस्या है तो चिंता न करें, क्योंकि कुछ खास और हेल्दी खाद्य पदार्थ हैं जिन्हें आप अपने आहार में शामिल करके तुरंत राहत पा सकते हैं।

1. नमक

कम ब्लड प्रेशर के मामले में नमक की मात्रा बढ़ाना फायदेमंद होता है। नमक में सोडियम होता है, जो रक्त वाहिकाओं में दबाव बनाए रखने में मदद करता है। लेकिन ध्यान रखें कि अत्यधिक नमक का सेवन नुकसानदेह हो सकता है, इसलिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही सेवन करें।

2. नारियल पानी

नारियल पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स, खासकर पोटैशियम, सोडियम और मैग्नीशियम होते हैं, जो शरीर में पानी और खून के प्रवाह को संतुलित रखते हैं। यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है और कमजोरी को दूर करता है।

3. चुकंदर का रस

चुकंदर का रस शरीर में रक्त संचार बढ़ाने में सहायक होता है। इसमें नाइट्रेट्स होते हैं जो रक्त वाहिकाओं को फैलाकर ब्लड प्रेशर को संतुलित रखते हैं। रोजाना एक गिलास चुकंदर का रस पीना बीपी कम होने पर लाभकारी साबित होता है।

4. अखरोट (Walnuts)

अखरोट ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर होता है, जो हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व रक्त संचार को बेहतर बनाते हैं और ब्लड प्रेशर को संतुलित करते हैं। इसे नाश्ते में लेना बेहतर होता है।

यूपी में "किसानों" को बड़ी राहत, नई व्यवस्था लागू

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने खरीफ सीजन में किसानों को समय पर और बिना किसी परेशानी के खाद (उर्वरक) उपलब्ध कराने के लिए एक नई और सुव्यवस्थित प्रणाली की शुरुआत की है। सहकारिता विभाग की इस पहल का उद्देश्य खाद वितरण में पारदर्शिता और सुगमता सुनिश्चित करना है, जिससे किसानों को बार-बार होने वाली समस्याओं से निजात मिल सके।

एम-पैक्स के माध्यम से होगा खाद वितरण

नई व्यवस्था के तहत खाद का वितरण एम-पैक्स (बहुउद्देशीय सहकारी समितियों) के माध्यम से किया जाएगा। सहकारिता विभाग के आयुक्त एवं निबंधक योगेश कुमार ने इस प्रक्रिया को लेकर एक मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) जारी की है। इस SOP के माध्यम से सभी जिलों के सहायक और संयुक्त आयुक्तों तथा निबंधकों को निर्देश दिए गए हैं कि खाद वितरण प्रक्रिया में किसानों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।

किसानों की सुविधा के लिए विशेष प्रबंध

खाद वितरण केंद्रों पर किसानों की लंबी कतारों को देखते हुए वहां शेड और टेंट की व्यवस्था की जाएगी ताकि किसान धूप या बारिश से सुरक्षित रह सकें। साथ ही, कतार में लगे किसानों को बुलाने के लिए माइक्रोफोन या पब्लिक एड्रेस सिस्टम का उपयोग अनिवार्य किया गया है।

बायोमेट्रिक में न आए दिक्कत

खाद वितरण के समय फिंगरप्रिंट और स्कैनिंग में आने वाली समस्याओं को दूर करने के लिए पॉइंट ऑफ सेल (POS) मशीनों को नियमित रूप से साफ रखने के निर्देश दिए गए हैं। किसानों को यह भी जागरूक किया जाएगा कि मशीन पर उंगली रखने से पहले वे अपनी उंगली साफ कर लें ताकि बायोमेट्रिक सिस्टम सही ढंग से काम कर सके।

सभी को मिलेगा खाद - बटाईदार और गैर-सदस्य भी शामिल

इस नई व्यवस्था में सिर्फ जमीन के मालिक ही नहीं, बल्कि बटाईदार किसान भी खाद प्राप्त कर सकेंगे। बटाईदारों को खाद देने से पहले भूस्वामी और बटाईदार के बीच एक लिखित सहमति पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। वहीं, गैर-सदस्य किसान भी समिति की सदस्यता लेकर खाद प्राप्त कर सकते हैं। ऐसे किसानों की खतौनी और आधार कार्ड की प्रति समिति में सुरक्षित रखी जाएगी।

रोज खुले रहेंगे वितरण केंद्र, निगरानी और रिपोर्टिंग प्रणाली होगी

सभी खाद वितरण केंद्रों को प्रतिदिन खोलने के आदेश दिए गए हैं और यह सुनिश्चित किया गया है कि हर केंद्र पर पर्याप्त मात्रा में स्टॉक उपलब्ध रहे। स्टॉक और वितरण रजिस्टर को हमेशा अपडेट रखना जरूरी होगा ताकि किसी भी समय रिकॉर्ड की जांच की जा सके। साथ ही ब्लॉक स्तर से लेकर मंडल स्तर तक सभी संबंधित अधिकारी नियमित निरीक्षण करेंगे और हर बुधवार शाम तक अपनी रिपोर्ट ई-मेल के माध्यम से मुख्यालय को भेजेंगे। जिलाधिकारियों को भी निर्देशित किया गया है कि वे आवश्यकता अनुसार सहकारी समितियों और निजी विक्रेताओं के माध्यम से स्थानीय स्तर पर खाद वितरण का निर्णय लें।

अमेरिका, चीन और भारत - GDP की लड़ाई में कौन बनेगा विजेता?

नई दिल्ली। दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में अमेरिका, चीन और भारत और रूस का नाम शुमार है। आर्थिक ताकत के पैमाने पर इन तीनों देशों की GDP (सकल घरेलू उत्पाद) की तुलना अक्सर चर्चा में रहती है। लेकिन सवाल यह है कि इस आर्थिक दौड़ में आखिर कौन बनेगा विजेता?

अमेरिका: विश्व की नंबर 1 अर्थव्यवस्था

अमेरिका अभी भी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, जिसकी GDP लगभग 30 ट्रिलियन डॉलर है। अमेरिकी अर्थव्यवस्था की ताकत उसकी टेक्नोलॉजी, वित्तीय बाजारों, और उपभोक्ता खर्च पर आधारित है। हालांकि चीन तेजी से बढ़ रहा है, अमेरिका का आर्थिक प्रभाव और वैश्विक दबदबा अभी भी सबसे मजबूत माना जाता है।

चीन: तेजी से बढ़ती आर्थिक ताकत

चीन की GDP लगभग 19 ट्रिलियन डॉलर है और यह अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर है। पिछले दो दशकों में चीन की अर्थव्यवस्था ने अभूतपूर्व विकास किया है। विनिर्माण और निर्यात में उसका दबदबा इसे अमेरिका की टक्कर देने वाला प्रमुख खिलाड़ी बनाता है। हालांकि, चीन को कई घरेलू और वैश्विक चुनौतियों का सामना भी करना पड़ रहा है।

भारत: उभरता हुआ आर्थिक सितारा

भारत की GDP लगभग 4 ट्रिलियन डॉलर है, जो लगातार बढ़ रही है। युवाओं की बड़ी आबादी, डिजिटल क्रांति, और आर्थिक सुधारों ने भारत को तेजी से आगे बढ़ाया है। हालांकि, अमेरिका और चीन के मुकाबले अभी काफी दूरी है, लेकिन भारत का ग्रोथ रेट इसे भविष्य में एक बड़ा आर्थिक खिलाड़ी बनने की राह पर ले जा रहा है।

कौन बनेगा विजेता?

अभी के लिए अमेरिका सबसे मजबूत खिलाड़ी है, लेकिन चीन तेजी से उसकी पकड़ को चुनौती दे रहा है। भारत की उभरती अर्थव्यवस्था भविष्य में इसे और ऊपर ले जा सकती है। हालांकि, आर्थिक जीत सिर्फ GDP के आंकड़ों से तय नहीं होती, बल्कि स्थिरता, विकास दर, नवाचार और वैश्विक सहयोग से भी जुड़ी है। आने वाले दशकों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह तीनों देश अपनी आर्थिक ताकत को कैसे बढ़ाते हैं और विश्व अर्थव्यवस्था में अपनी जगह कैसे मजबूत करते हैं।

नवरात्रि 2025: गज पर आएंगी मां दुर्गा, 10 दिनों तक होगी शक्ति की आराधना

धर्म डेस्क। शारदीय नवरात्रि 2025 इस बार विशेष और अद्भुत संयोग लेकर आ रही है। मां दुर्गा का आगमन हाथी (गज) पर हो रहा है, जो सुख, शांति और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस बार नवरात्रि का प्रारंभ 22 सितंबर से हो रहा है और यह 10 दिनों तक चलेगा। आमतौर पर नवरात्रि नौ दिनों की होती है, लेकिन इस वर्ष चतुर्थी तिथि के विस्तार के कारण पूजा का एक अतिरिक्त दिन जुड़ गया है। माता का विदाई दिवस 2 अक्टूबर को रहेगा, और विजयादशमी भी इसी दिन मनाई जाएगी।

मां दुर्गा का आगमन: शुभ संकेतों की बारिश

मान्यताओं के अनुसार, जब मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं, तो वह वर्षा, हरियाली और समृद्धि का संदेश लाती हैं। यह आगमन न केवल प्रकृति के लिए बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए भी शुभ फलदायी होता है। ज्योतिष विद्वान यह भी मानते हैं कि इस बार माता का प्रस्थान मनुष्य के कंधे पर होगा, जो दर्शाता है कि आने वाला समय जनता की भागीदारी और सहयोग से राष्ट्र के लिए उन्नति भरा होगा।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त: शुभ योगों का संगम

नवरात्रि की शुरुआत प्रतिपदा तिथि को हस्त नक्षत्र और शुक्ल योग के संयोग में हो रही है, जो इसे अत्यंत मंगलकारी बनाता है।

अमृत मुहूर्त: सुबह 6:19 से 7:49 बजे तक

शुभ मुहूर्त: सुबह 9:14 से 10:49 बजे तक

अभिजीत मुहूर्त: 11:55 से 12:43 बजे तक

शारदीय नवरात्रि 2025: दिनवार, तिथिवार और देवी स्वरूप। 

22 सितंबर 2025, सोमवार – प्रतिपदा, माता शैलपुत्री की पूजा।

23 सितंबर 2025, मंगलवार – द्वितीया, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा।

24 सितंबर 2025, बुधवार – तृतीया, माता चंद्रघंटा की पूजा।

25 सितंबर 2025, गुरुवार – चतुर्थी (पहला दिन), माता कूष्मांडा की पूजा।

26 सितंबर 2025, शुक्रवार – चतुर्थी (दूसरा दिन), माता कूष्मांडा की पूजा।

27 सितंबर 2025, शनिवार – पंचमी, माता स्कंदमाता की पूजा।

28 सितंबर 2025, रविवार – षष्ठी, माता कात्यायनी की पूजा।

29 सितंबर 2025, सोमवार – सप्तमी, माता कालरात्रि की पूजा।

30 सितंबर 2025, मंगलवार – अष्टमी, माता महागौरी की पूजा (अष्टमी व्रत)।

1 अक्टूबर 2025, बुधवार – नवमी, माता सिद्धिदात्री की पूजा (महानवमी)।

2 अक्टूबर 2025, गुरुवार – दशमी, विजयादशमी और मां की विदाई।

यूपी में इस जिले के लिए बड़ी खुशखबरी, जनता को फायदा!

न्यूज डेस्क। उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के लिए यह एक बड़ी और महत्वपूर्ण खबर है। जिले की तीन नगर पंचायतों कुर्थीजाफरपुर, चिरैयाकोट और कोपागंज को अब पंडित दीन दयाल उपाध्याय आदर्श नगर पंचायत योजना के तहत शामिल कर लिया गया है। यह निर्णय आने वाले वर्षों में इन क्षेत्रों के समग्र विकास के द्वार खोल देगा और स्थानीय नागरिकों को मूलभूत सुविधाओं से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगा।

विकास की नई दिशा

इस योजना के तहत अलग-अलग वित्तीय वर्षों के लिए तीनों पंचायतों को शामिल किया गया है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में कुर्थीजाफरपुर और चिरैयाकोट, वित्तीय वर्ष 2026-27 में कोपागंज, अब इन सभी क्षेत्रों में सड़क निर्माण, पेयजल आपूर्ति, सीवरेज व्यवस्था, सार्वजनिक शौचालय, पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा व्यवस्था, और शहरी सुधार जैसे कार्य प्राथमिकता पर किए जाएंगे।

तीनों नगर पंचायतों की विशेषताएं

चिरैयाकोट: 2016 में गठित इस नगर पंचायत में 24 वार्ड हैं और आबादी करीब 38,000 है। पहले यह एक प्रमुख बाजार था, जिसे अब नगर निकाय का दर्जा मिला है। आदर्श योजना से अब इस कस्बे की तस्वीर बदलने की उम्मीद है।

कुर्थीजाफरपुर: 2019 में गठित यह पंचायत पहले कोपागंज ब्लॉक का हिस्सा थी। लगभग 20,500 की आबादी और 15 वार्डों वाली इस पंचायत में पहली बार 2022 में चुनाव हुए। सीमित संसाधनों की वजह से अब तक विकास धीमा था, लेकिन अब उम्मीदें जागी हैं।

कोपागंज: यह सबसे पुरानी नगर पंचायत है, जिसकी स्थापना 1920 में हुई थी। 17 वार्डों और 55,000 से अधिक आबादी वाले इस कस्बे को अब 2026-27 में आदर्श योजना का लाभ मिलेगा।

नागरिकों में उत्साह

जैसे ही यह खबर सामने आई, तीनों नगर पंचायतों के नागरिकों में खुशी की लहर दौड़ गई। स्थानीय लोगों का मानना है कि अब उनकी बुनियादी समस्याएं दूर होंगी और क्षेत्र का कायाकल्प होगा। वर्षों से लंबित विकास कार्यों को गति मिलेगी और बेहतर जीवनशैली की ओर कदम बढ़ाया जा सकेगा।

अगर बीपी बढ़ता है बार-बार, तो आज से ही खाना शुरू करें ये 4 चीजें

हेल्थ डेस्क। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी, असंतुलित खानपान और तनाव भरी दिनचर्या का सबसे आम दुष्प्रभाव हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप के रूप में देखने को मिल रहा है। यह एक 'साइलेंट किलर' है, जो धीरे-धीरे हृदय, मस्तिष्क, आंख और किडनी जैसे महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है। लेकिन अच्छी खबर यह है कि कुछ साधारण बदलाव और सही खानपान की मदद से इसे नियंत्रित किया जा सकता है।

1. केला:

केले में प्रचुर मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है, जो शरीर में सोडियम के प्रभाव को संतुलित करता है। चूंकि सोडियम बीपी बढ़ाने का एक प्रमुख कारण है, इसलिए पोटैशियम इसका संतुलन बनाकर रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है। रोज़ाना एक या दो केले खाना एक सरल लेकिन प्रभावशाली उपाय है।

2. चुकंदर: 

चुकंदर में नाइट्रेट्स पाए जाते हैं, जो शरीर में जाकर नाइट्रिक ऑक्साइड में बदलते हैं। यह रक्त नलिकाओं को फैलाकर रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है और बीपी को कम करता है। एक गिलास ताजे चुकंदर का रस पीना या इसे सलाद के रूप में शामिल करना लाभकारी होता है।

3. लहसुन:

लहसुन में एलिसिन नामक एक सक्रिय यौगिक होता है, जो रक्तचाप को प्राकृतिक रूप से कम करने में सक्षम है। रोज़ सुबह खाली पेट एक या दो कच्ची लहसुन की कलियां चबाना या खाने में इसका प्रयोग करना हाई बीपी के मरीजों के लिए फायदेमंद है।

4. ओट्स:

ओट्स में मौजूद सॉल्युबल फाइबर कोलेस्ट्रॉल को कम करने और रक्त वाहिकाओं की सेहत सुधारने में मदद करता है। यह हाई बीपी के जोखिम को घटाने के लिए एक आदर्श नाश्ता माना जाता है। बिना चीनी के दूध या पानी में उबले ओट्स, फल और नट्स के साथ सेवन करें।

बिहार में 'लैब टेक्नीशियन' की भर्ती शुरू - आज से करें आवेदन!

पटना। बिहार में सरकारी नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर सामने आया है। राज्य स्वास्थ्य समिति, बिहार द्वारा लैब टेक्नीशियन पदों पर बंपर भर्तियां निकाली गई हैं। इस भर्ती अभियान के तहत कुल 1075 पदों पर नियुक्ति की जाएगी, जिसमें 1068 पद लैबोरेटरी टेक्नीशियन और 7 पद सीनियर लैबोरेटरी टेक्नीशियन के लिए आरक्षित हैं।

ऑनलाइन आवेदन आज से शुरू

इस भर्ती प्रक्रिया के लिए आवेदन 1 सितंबर 2025 से शुरू हो गए हैं और 15 सितंबर 2025 तक जारी रहेंगे। इच्छुक एवं योग्य उम्मीदवार राज्य स्वास्थ्य समिति की आधिकारिक वेबसाइट shs.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। ध्यान दें कि आवेदन केवल ऑनलाइन माध्यम से ही स्वीकार किए जाएंगे।

पात्रता और आयु सीमा

इस भर्ती के लिए आवेदन करने वाले अभ्यर्थी की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम आयु 37 वर्ष निर्धारित की गई है। हालांकि, अनुसूचित जाति/जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं महिला उम्मीदवारों को अधिकतम आयु में सरकारी नियमानुसार छूट प्रदान की जाएगी। उम्र की गणना 1 अगस्त 2025 के आधार पर की जाएगी।

शैक्षणिक योग्यता

लैब टेक्नीशियन पदों के लिए अभ्यर्थियों से संबंधित विषय में डिप्लोमा, डिग्री या समकक्ष तकनीकी योग्यता अपेक्षित है। विस्तृत शैक्षणिक योग्यता और अन्य नियमों की जानकारी के लिए अभ्यर्थी भर्ती नोटिफिकेशन को ध्यानपूर्वक पढ़ें, जो कि वेबसाइट पर उपलब्ध है।

जरूरी तिथियाँ:

आवेदन शुरू होने की तिथि: 1 सितंबर 2025

आवेदन की अंतिम तिथि: 15 सितंबर 2025

लिवर और किडनी में नहीं होंगे रोग, 4 चीजें खाएं रोज!

हेल्थ डेस्क। सेहतमंद जीवन की पहली शर्त है शरीर के आंतरिक अंगों का स्वस्थ रहना। विशेष रूप से लिवर (यकृत) और किडनी (गुर्दे), ये हमारे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंगों में शामिल हैं, जो हमारे खून को साफ़ करने, विषैले तत्वों को बाहर निकालने और पाचन से लेकर मेटाबॉलिज्म तक में अहम भूमिका निभाते हैं। आजकल बदलती जीवनशैली, अनियमित खानपान और प्रदूषण के चलते इन अंगों पर खतरा बढ़ गया है। 

लेकिन रोज़ की डाइट में कुछ आसान बदलाव लाकर इन अंगों को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, नीचे बताई गई 4 चीज़ें अगर आप नियमित रूप से खाएं, तो लिवर और किडनी को कई बीमारियों से बचाया जा सकता है।

1. आंवला 

आंवला विटामिन C का बेहतरीन स्रोत है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो लिवर को फ्री-रेडिकल्स से होने वाले नुकसान से बचाता है। रोज़ सुबह खाली पेट आंवले का रस पीना या कच्चा आंवला खाना लिवर के लिए बेहद फायदेमंद होता है। यह लिवर को डिटॉक्स करने में मदद करता है और पाचन क्रिया को भी मजबूत बनाता है।

2. लौकी का जूस

लौकी का जूस हल्का, ठंडा और डिटॉक्सिफाइंग गुणों से भरपूर होता है। यह शरीर से अतिरिक्त यूरिक एसिड और टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है, जिससे किडनी पर दबाव नहीं पड़ता। सुबह खाली पेट एक गिलास ताज़ा लौकी का रस पीना किडनी को साफ़ रखने का एक कारगर उपाय माना जाता है।

3. हल्दी 

हल्दी में करक्यूमिन नामक तत्व पाया जाता है, जो सूजन को कम करता है और लिवर की कोशिकाओं को रिपेयर करता है। यह शरीर में जमा ज़हरीले तत्वों को साफ करने में मदद करती है। हल्दी वाला गर्म पानी या हल्दी दूध रोज़ पीने से लिवर और किडनी दोनों पर सकारात्मक असर पड़ता है।

4. नींबू पानी

नींबू पानी लिवर और किडनी दोनों के लिए लाभकारी होता है। इसमें मौजूद साइट्रिक एसिड किडनी में पथरी बनने से रोकता है और लिवर को साफ रखने में मदद करता है। सुबह-सुबह गुनगुने पानी में आधा नींबू निचोड़कर पीना शरीर को अंदर से साफ़ करता है और इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाता है।

बिहार में AI क्रांति की शुरुआत: छात्रों के लिए बड़ी खुशखबरी

पटना। बिहार, जो कभी केवल पारंपरिक शिक्षा प्रणाली के लिए जाना जाता था, अब एक नई डिजिटल क्रांति की ओर कदम बढ़ा चुका है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य सरकार ने एक साहसिक और दूरदर्शी फैसला लेते हुए शिक्षा क्षेत्र में तकनीकी बदलाव की नींव रख दी है। यह बदलाव न केवल राज्य की छवि को बदलने वाला है, बल्कि बिहार के लाखों बच्चों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करेगा।

डिजिटल इंडिया की दिशा में बिहार की बड़ी छलांग

बिहार सरकार की योजना के तहत कक्षा 6 से 12 तक के एक करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), कंप्यूटर स्किल्स, डेटा एनालिसिस, क्रिएटिव थिंकिंग और प्रॉब्लम-सॉल्विंग जैसी 21वीं सदी की महत्वपूर्ण क्षमताएं सिखाई जाएंगी। यह पहल सीधे तौर पर राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के उस दृष्टिकोण से जुड़ी हुई है, जिसमें शिक्षा को केवल किताबी ज्ञान तक सीमित न रखकर बच्चों को व्यावहारिक और तकनीकी ज्ञान से लैस करने की बात कही गई है।

Adobe के साथ साझेदारी: तकनीक और शिक्षा का संगम

राज्य सरकार Adobe जैसी वैश्विक टेक कंपनी के साथ मिलकर इस योजना को धरातल पर उतारेगी। Adobe का डिजिटल लर्निंग प्लेटफॉर्म बच्चों के लिए एक इंटरेक्टिव और रोचक अनुभव प्रदान करेगा, जिसमें ऑडियो-विजुअल कंटेंट, एनिमेशन, क्विज़ और प्रोजेक्ट-आधारित लर्निंग शामिल होगी। इससे छात्रों को जटिल विषयों को समझने में आसानी होगी और सीखना एक मजेदार अनुभव बन जाएगा।

पायलट से पूरे राज्य तक: क्रियान्वयन की ठोस योजना

शिक्षा विभाग ने यह योजना 2025-26 सत्र से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कुछ चुने हुए स्कूलों में लागू करने की योजना बनाई है। इस चरण में कार्यक्रम की गुणवत्ता, शिक्षक प्रशिक्षण, और टेक्नोलॉजी इन्फ्रास्ट्रक्चर का मूल्यांकन किया जाएगा। इसके बाद 2026-27 तक इस योजना को राज्य के सभी मिडल और हायर सेकेंडरी स्कूलों में लागू किया जाएगा। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शहरी और ग्रामीण - दोनों क्षेत्रों के छात्रों को समान अवसर मिले।

समावेशी शिक्षा की ओर एक कदम, भविष्य की तैयारी

इस पहल का सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह ग्रामीण भारत के बच्चों को तकनीकी शिक्षा से जोड़ने का मौका देगा। अब गांवों के बच्चे भी उसी स्तर की डिजिटल ट्रेनिंग पाएंगे जो अभी तक केवल शहरी स्कूलों में उपलब्ध थी। AI और डिजिटल स्किल्स की शिक्षा न केवल बच्चों को आने वाले समय की नौकरियों के लिए तैयार करेगी, बल्कि उनमें समस्या सुलझाने की क्षमता, तार्किक सोच, और नवाचार जैसे गुण भी विकसित करेगी।

8वां वेतन आयोग: कितना इंतजार और क्या हैं ताजा हालात?

नई दिल्ली। देशभर में केंद्र सरकार के करीब एक करोड़ कर्मचारी और पेंशनभोगी लंबे समय से 8वें वेतन आयोग की घोषणा और उसकी सिफारिशों के लागू होने का इंतजार कर रहे हैं। हालिया रिपोर्टों और विशेषज्ञों के आकलन के अनुसार, इस आयोग की सिफारिशों को जमीन पर उतरने में अभी भी दो से तीन साल का समय लग सकता है। ऐसे में कर्मचारियों के बीच उत्सुकता के साथ-साथ चिंता भी लगातार बढ़ रही है।

अब तक क्या हुआ है?

केंद्र सरकार ने जनवरी 2025 में 8वें वेतन आयोग के गठन का संकेत दिया था, लेकिन इसके बाद से आयोग की Terms of Reference (ToR), चेयरपर्सन और अन्य सदस्यों की घोषणा नहीं हुई है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि आयोग का कामकाज अब तक शुरू नहीं हो पाया है। इस देरी से यह संभावना और मजबूत हो रही है कि नई सिफारिशें 2027 के अंत या 2028 की शुरुआत तक ही लागू हो पाएंगी।

7वें वेतन आयोग से क्या सीख मिली?

अगर 7वें वेतन आयोग की प्रक्रिया को देखा जाए, तो इसे लागू होने में लगभग 34 महीने लगे थे। इसका गठन फरवरी 2014 में हुआ था, रिपोर्ट नवंबर 2015 में सौंपी गई, और नई सैलरी जनवरी 2016 से प्रभाव में आई थी। ऐसे में अगर 8वां आयोग भी इसी रास्ते पर चला, तो कर्मचारियों को 2028 तक इंतजार करना पड़ सकता है।

तेजी लाने की संभावनाएं कितनी हैं?

आज के डिजिटल युग में कई प्रक्रियाएं पहले की तुलना में तेज हो गई हैं। आयोग की रिपोर्टिंग, आंकड़ों का संकलन और विश्लेषण जैसे काम अब ऑनलाइन माध्यम से तेजी से हो सकते हैं। यदि सरकार जल्द ToR तय करती है और आयोग का गठन पूरा हो जाता है, तो यह मुमकिन है कि रिपोर्ट अपेक्षित समय से पहले तैयार हो जाए। फिर भी, अब तक की देरी को देखते हुए यह सिर्फ एक आशा ही कही जा सकती है।

सरकार की प्रतिक्रिया क्या रही है?

राज्यसभा में हाल ही में एक प्रश्न के जवाब में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा था कि सरकार को विभिन्न पक्षों से सुझाव प्राप्त हुए हैं और जल्द ही औपचारिक अधिसूचना जारी की जाएगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आयोग तय समयसीमा के भीतर ही अपनी रिपोर्ट देगा, जो ToR में निर्धारित की जाएगी।

SCO में पीएम मोदी: चीन-पाक को साफ संदेश, अमेरिका को भी सुनाया!

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के तियानजिन में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में आतंकवाद के मुद्दे पर न सिर्फ भारत की आवाज बुलंद की, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच से एक स्पष्ट और साहसी संदेश भी दिया की आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं होगा, चाहे सामने कोई भी देश क्यों न हो।

आतंकवाद के खिलाफ भारत का अडिग रुख

सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री ने पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले का ज़िक्र करते हुए इसे न सिर्फ भारत की आत्मा पर हमला बताया, बल्कि मानवता के लिए भी एक गंभीर चुनौती कहा। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कोई भी ‘दोहरा मापदंड’ भारत को स्वीकार नहीं है। यह बयान तब और महत्वपूर्ण हो जाता है जब यह शिखर सम्मेलन पाकिस्तान की उपस्थिति में हो रहा था, जो स्वयं एससीओ का स्थायी सदस्य है।

एससीओ के मंच से चीन को भी संकेत

मोदी ने एससीओ की परिभाषा को एक नए नजरिए से प्रस्तुत करते हुए कहा की ‘एस’ का मतलब सिक्योरिटी (सुरक्षा) और ‘ओ’ का मतलब ऑपर्च्युनिटी (अवसर) है। इस नई परिभाषा के जरिए उन्होंने इशारों-इशारों में चीन को यह साफ कर दिया कि एससीओ किसी एक देश के प्रभाव का मंच नहीं है, बल्कि यह साझा सुरक्षा और सहयोग का संगठन है।

यह बयान ऐसे समय आया है जब चीन बार-बार पाकिस्तान के साथ कूटनीतिक और सामरिक रिश्ते मजबूत करता नजर आता है, चाहे वह ऑपरेशन सिंदूर के समय पर्दे के पीछे का समर्थन हो या संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान पर कार्रवाई रोकना हो।

अमेरिका को भी सुनाया

पीएम मोदी ने अपनी बातों में अमेरिका की ओर भी परोक्ष रूप से इशारा किया, जो अक्सर आतंकवाद पर ‘नीतिगत लचीलापन’ दिखाता है, विशेष रूप से पाकिस्तान के मामले में। टैरिफ और वित्तीय सहयोग जैसे मुद्दों पर अमेरिका का नरम रवैया भारत को अक्सर खटकता रहा है। ऐसे में मोदी का यह वक्तव्य उन सभी ताकतवर देशों के लिए था जो आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में गंभीरता से खड़े नहीं होते।

बिहार में मतदाता सूची में नाम जोड़ने का अंतिम मौका

पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान अंतिम चरण में है। लोकतंत्र के इस महापर्व में हर योग्य नागरिक की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राज्य निर्वाचन विभाग ने विशेष व्यवस्था की है। यदि आपने अब तक वोटर लिस्ट में नाम नहीं जुड़वाया है या उसमें कोई त्रुटि है, तो आपके पास 1 सितंबर शाम 4 बजे तक का समय है।

क्यों ज़रूरी है वोटर लिस्ट में नाम होना?

वोट डालना केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी का प्रतीक है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि हर योग्य नागरिक अपना मताधिकार प्रयोग कर सके, निर्वाचन आयोग ने 1 अगस्त को प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशित की थी। इसके बाद से दावा-आपत्ति की प्रक्रिया चालू है।

कौन कर सकता है आवेदन?

वह नागरिक जो 1 जुलाई 2025 तक 18 वर्ष के हो चुके हैं या 1 अक्टूबर 2025 तक हो जाएंगे। जिनका नाम प्रारूप मतदाता सूची में नहीं है। जिनके नाम में त्रुटि है, या पता बदलवाना है। जो दिव्यांग श्रेणी में चिह्नित होना चाहते हैं। जिनका नाम गलत तरीके से सूची में दर्ज हो गया है (जैसे मृत्यु हो चुकी हो या स्थानांतरण हो गया हो)।

कौन-से फॉर्म भरें?

नया नाम जुड़वाना: फॉर्म 6

नाम, पता या अन्य विवरण में संशोधन: फॉर्म 8

किसी मृत/अपात्र व्यक्ति का नाम हटवाना: फॉर्म 7

आवेदन कहां करें?

ऑनलाइन के लिए वेबसाइट https://voters.eci.gov.in पर जा कर, यहां से फॉर्म भरकर दस्तावेज़ अपलोड करें और सबमिट करें। ऑफलाइन माध्यम के लिए अपने नजदीकी बीएलओ (Booth Level Officer) से संपर्क करें। प्रखंड सह अंचल कार्यालय या नगर निकाय कार्यालय में विशेष कैंप लगाए गए हैं।

अंतिम अपील

अगर आप चाहते हैं कि आपकी आवाज़ लोकतंत्र में सुनी जाए, तो समय रहते वोटर लिस्ट में नाम दर्ज कराना जरूरी है। यह न केवल आपका अधिकार है, बल्कि लोकतंत्र की मज़बूती के लिए आपकी जिम्मेदारी भी है।

रोज़ाना सूखा नारियल खाने से मिलेंगे ये 6 चौंकाने वाले फायदे!

हेल्थ डेस्क। सूखा नारियल, भारतीय रसोई में केवल स्वाद बढ़ाने तक सीमित नहीं है। इसमें मौजूद प्राकृतिक तत्व शरीर को कई तरह से फायदा पहुंचाते हैं। अगर आप रोज़ाना एक छोटी मात्रा में सूखा नारियल अपनी डाइट में शामिल करते हैं, तो यह आपकी सेहत के लिए एक चमत्कारी आदत बन सकती है।

जानिए सूखा नारियल खाने के 6 जबरदस्त फायदे:

1. दिमागी ताकत बढ़ाए

सूखे नारियल में मौजूद हेल्दी फैट्स, खासकर मीडियम चेन ट्राइग्लिसराइड्स (MCTs), मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बेहतर बनाते हैं। यह याददाश्त, एकाग्रता और मानसिक स्पष्टता को बढ़ावा देने में मदद करता है।

2. पाचन तंत्र को बनाए मज़बूत

सूखा नारियल फाइबर से भरपूर होता है, जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखता है। यह कब्ज से राहत दिलाने और पेट साफ रखने में सहायक है। साथ ही आंतों की सेहत को बेहतर बनाता है।

3. इम्यून सिस्टम को दे मजबूती

इसमें पाए जाने वाले लॉरिक एसिड में एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं, जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं और सामान्य संक्रमणों से रक्षा करते हैं।

4. ऊर्जा का पावरहाउस

अगर आप थकान महसूस करते हैं, तो सूखा नारियल एक नैचुरल एनर्जी बूस्टर की तरह काम करता है। इसमें मौजूद हेल्दी फैट्स शरीर को तुरंत ऊर्जा प्रदान करते हैं।

5. त्वचा को बनाए चमकदार

सूखा नारियल खाने से त्वचा में नमी बनी रहती है और यह अंदर से पोषण प्रदान करता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट्स झुर्रियों को कम करने और त्वचा को जवान बनाए रखने में मदद करते हैं।

6. हड्डियों को बनाए मज़बूत

इसमें कैल्शियम, फॉस्फोरस और मैग्नीशियम जैसे खनिज तत्व होते हैं, जो हड्डियों और दांतों को मज़बूती प्रदान करते हैं।

पासपोर्ट पावर 2025: वैश्विक मंच पर भारत की बड़ी छलांग

नई दिल्ली। दुनियाभर के नागरिकों की अंतरराष्ट्रीय यात्रा की स्वतंत्रता को आंकने वाले हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2025 की नई रैंकिंग सामने आ चुकी है, और इस बार भारत के लिए यह ख़बर गर्व से भरी है। भारत ने पासपोर्ट ताकत की इस रैंकिंग में चार स्थान की छलांग लगाते हुए 76वें स्थान पर जगह बना ली है। यह उछाल न केवल संख्यात्मक है, बल्कि भारत की वैश्विक छवि और रणनीतिक कूटनीति की भी झलक देता है।

58 देशों में वीजा-फ्री एंट्री

अब भारतीय पासपोर्टधारक 58 देशों में बिना वीज़ा के प्रवेश कर सकते हैं। बीते वर्षों की तुलना में यह संख्या और रैंक दोनों में सुधार का संकेत है। साल 2024 में भारत 80वें स्थान पर था, और उस समय वीजा फ्री या वीजा ऑन अराइवल की सुविधा कुछ कम गंतव्यों तक सीमित थी। यह बदलाव भारत की विदेश नीति, अंतरराष्ट्रीय साझेदारियों और वैश्विक मंचों पर बढ़ती सक्रियता की सफलता का परिणाम है।

अमेरिका की गिरावट, सिंगापुर का दबदबा

जहां एक ओर भारत ऊपर की ओर बढ़ा है, वहीं दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से एक, अमेरिका, इस साल की रैंकिंग में गिरावट का सामना कर रहा है। अमेरिका अब आइसलैंड और लिथुआनिया के साथ संयुक्त रूप से 10वें स्थान पर आ गया है। यह बीते दो दशकों में अमेरिका की सबसे कम रैंकिंग मानी जा रही है।

दूसरी ओर, सिंगापुर ने एक बार फिर अपनी स्थिति मजबूत करते हुए विश्व का सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट बनने का गौरव हासिल किया है। सिंगापुर के नागरिक अब 193 देशों में वीजा-मुक्त यात्रा कर सकते हैं, जो अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी का उच्चतम स्तर है।

शीर्ष देशों की स्थिति एक नज़र में:

सिंगापुर: 193 गंतव्य (1वां स्थान)

जापान, दक्षिण कोरिया: 190 गंतव्य (2 स्थान)

जर्मनी, फ्रांस, इटली आदि: 189 गंतव्य (3 स्थान)

स्वीडन, ऑस्ट्रिया आदि: 188 गंतव्य (4था स्थान)

स्विट्ज़रलैंड, ग्रीस, न्यूजीलैंड: 187 गंतव्य (5वां स्थान)

Pinaka Mk-IV: भारत का नया 300 किमी रेंज वाला रॉकेट लॉन्चर

नई दिल्ली। हिंद महासागर में बढ़ते तनाव और सुरक्षा खतरों को देखते हुए भारत अपनी समुद्री सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए लगातार नए हथियार विकसित कर रहा है। इसी कड़ी में, भारत का स्वदेशी रॉकेट सिस्टम Pinaka Mk-IV अब नौसेना के लिए एक विशेष संस्करण के रूप में तैयार हो रहा है, जो दुश्मन के जहाजों को सैकड़ों किलोमीटर दूर से निशाना बनाने में सक्षम होगा।

नौसेना के लिए खास डिजाइन

इस नए संस्करण को रक्षा अनुसंधान संगठन DRDO की विभिन्न शाखाओं जैसे ARDE, RCI, और DRDL ने मिलकर विकसित किया है। इसका मकसद भारतीय नौसेना को तटीय रक्षा के लिए एक किफायती और प्रभावी हथियार प्रदान करना है, जो जमीन-आधारित बैटरियों से तैनात किया जा सके। यह सिस्टम विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के दुश्मन के जहाजों जैसे कि पाकिस्तान के अजमत-श्रेणी और MRTP-33 को रोकने के लिए तैयार किया जा रहा है।

Pinaka Mk-IV की तकनीकी खूबियां

Pinaka Mk-IV अपने पूर्ववर्ती मॉडलों से कई मायनों में बेहतर है। इसकी सबसे बड़ी खासियत इसकी लंबी मारक क्षमता है, जो 300 किलोमीटर तक है। यह एक गाइडेड रॉकेट है, जो उच्च सटीकता के साथ अपने लक्ष्य पर हमला कर सकता है, जिससे मिसाइल का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित होता है।

रॉकेट का कैलिबर 300mm है, जो पिछले 214mm मॉडल से अधिक है, और यह 250 किलोग्राम तक का वारहेड ले जाने में सक्षम है। इससे इसका विनाशक शक्ति काफी बढ़ जाती है। इसके अलावा, इस रॉकेट में DRDO की 'प्रलय' मिसाइल से प्रेरित अत्याधुनिक तकनीकें शामिल हैं, जिसमें अर्ध-बैलिस्टिक मार्गदर्शन और मार्ग बदलने की क्षमता भी शामिल है।

आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीकें

Pinaka Mk-IV में इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर (ECM) सिस्टम भी है, जो दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा देने में मदद करता है। यह तकनीक रॉकेट को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाती है, जिससे इसे टारगेट तक पहुंचने से रोकना मुश्किल हो जाता है।

भविष्य की समुद्री सुरक्षा के लिए भारत का नया कदम

Pinaka Mk-IV नौसेना संस्करण भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इससे न केवल भारत की तटीय सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि यह एक सस्ता और भरोसेमंद विकल्प भी पेश करेगा, जो महंगी मिसाइल प्रणालियों की जगह ले सकेगा। जैसे-जैसे हिंद महासागर में सुरक्षा चुनौतियां बढ़ रही हैं, इस तरह की स्वदेशी तकनीक भारत को मजबूती प्रदान करेगी।

बिहार में लोगों को बड़ी खुशखबरी, मछली पालन पर अब 80% सब्सिडी!

पटना। बिहार सरकार मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना चला रही है, जिसमें मछली पालकों को आर्थिक सहायता के रूप में 60% से लेकर 80% तक की सब्सिडी दी जा रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के जलाशयों में मत्स्य पालन की उत्पादकता बढ़ाना और मछली पालन को व्यवसाय के रूप में प्रोत्साहित करना है।

जलाशय मात्स्यिकी विकास योजना

इस योजना का नाम है ‘मुख्यमंत्री जलाशय मात्स्यिकी विकास योजना 2025-26’, जिसे बिहार सरकार के पशुपालन एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मत्स्य निदेशालय द्वारा संचालित किया जा रहा है। इसके तहत जलाशयों में संचयन आधारित मत्स्य पालन तथा केज (पिंजरा) आधारित मछली पालन तकनीक को बढ़ावा दिया जाएगा। यह योजना विशेष रूप से दक्षिण बिहार के उन जिलों में लागू होगी जहां जलाशय व्यवस्थित नहीं हैं और मत्स्य पालन की संभावनाएं बहुत अधिक हैं।

किन जिलों में लागू होगी योजना?

यह योजना खासकर बांका, नवादा, जमुई, सासाराम, कैमूर, मुंगेर और लखीसराय जिलों में लागू की जा रही है। इन जिलों में मछली पालन को व्यवस्थित कर ग्रामीण विकास में मदद करने के लिए सरकार ने यह आर्थिक सहायता योजना शुरू की है।

आवेदन की अंतिम तिथि और पात्रता

मछली पालन में रुचि रखने वाले इच्छुक किसान और मछली पालक 31 दिसंबर 2025 तक इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस तारीख के बाद आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे। योजना के तहत सभी वर्गों के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध है, लेकिन अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए यह सब्सिडी 80% तक है, जबकि अन्य वर्गों के लिए 60% की सब्सिडी दी जाएगी।

सब्सिडी के अलावा क्या करना होगा?

सब्सिडी के अतिरिक्त शेष राशि मछली पालक को स्वयं या बैंक लोन के माध्यम से वहन करनी होगी। इसका मतलब है कि योजना के तहत आपको कुल लागत का एक हिस्सा ही भरना होगा, जिससे मछली पालन व्यवसाय शुरू करना आसान और सस्ता हो जाता है।

मछली पालन को बढ़ावा देने की जरूरत क्यों?

बिहार में जलाशयों की संख्या अच्छी खासी है, लेकिन उनका सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। मछली पालन न केवल ग्रामीण लोगों को रोजगार देता है बल्कि पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित करता है। यह योजना ग्रामीण विकास और आर्थिक सशक्तिकरण का एक अहम कदम है।

IBPS भर्ती 2025: 13000+ पदों के लिए आवेदन

नई दिल्ली: देश की प्रमुख बैंकिंग भर्ती संस्था Institute of Banking Personnel Selection (IBPS) ने RRB XIV (14वीं) स्केल-I, II, III और ऑफिस असिस्टेंट (OA) पदों के लिए भर्ती अधिसूचना जारी कर दी है। इस भर्ती के तहत कुल 13,217 से अधिक पद भरे जाएंगे। इच्छुक उम्मीदवार 1 सितंबर 2025 से ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं, जो 21 सितंबर 2025 तक चलेगी।

महत्वपूर्ण तिथियाँ:

आवेदन प्रारंभ: 1 सितंबर 2025

आवेदन समाप्ति: 21 सितंबर 2025

परीक्षा शुल्क भुगतान की अंतिम तिथि: 21 सितंबर 2025

आवेदन के लिए उम्मीदवारों की योग्यता: स्नातक पास। 

आयु सीमा और योग्यता:

आवेदकों की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और अधिकतम आयु 28 से 40 वर्ष तक पदों के अनुसार निर्धारित है, जो 1 सितंबर 2025 को लागू होगी। सभी उम्मीदवारों से निवेदन है कि वे आवेदन करने से पहले आधिकारिक नोटिफिकेशन में दी गई योग्यता और आयु सीमा जरूर जांच लें।

आवेदन शुल्क:

सामान्य, ओबीसी एवं ईडब्ल्यूएस वर्ग के लिए आवेदन शुल्क ₹850 है, जबकि एससी, एसटी और पीएच वर्ग के लिए यह ₹175 निर्धारित किया गया है। भुगतान ऑनलाइन माध्यमों से किया जा सकता है जिसमें डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, नेट बैंकिंग, IMPS, कैश कार्ड और मोबाइल वॉलेट शामिल हैं।

कैसे करें आवेदन?

इच्छुक उम्मीदवार IBPS की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भर सकते हैं। आवेदन फॉर्म भरते समय सभी विवरण सही-सही भरना अत्यंत आवश्यक है। अधूरी या गलत जानकारी पर आवेदन निरस्त किया जा सकता है।

यूपी समेत देशभर के 'ग्रामीण बैंकों' में बंपर भर्ती

लखनऊ। यूपी समेत देशभर के ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेक्टर में करियर बनाना चाहने वाले युवाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सिलेक्शन (IBPS) ने 2025 के लिए रीजनल रूरल बैंक (RRB) भर्ती परीक्षा की ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस भर्ती प्रक्रिया के तहत ग्रुप ए ऑफिसर स्केल और ग्रुप बी ऑफिस असिस्टेंट (मल्टीपर्पज) के पदों पर भर्ती की जाएगी।

IBPS CRP RRB XIV भर्ती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी

इस बार की भर्ती के लिए आवेदन IBPS की आधिकारिक वेबसाइट ibps.in पर किए जा सकते हैं। आवेदन करने की अंतिम तिथि 21 सितंबर 2025 है, इसलिए इच्छुक उम्मीदवार जल्द से जल्द आवेदन कर लें। हालांकि वैकेंसी की कुल संख्या अभी साझा नहीं की गई है, लेकिन ये अवसर बैंकिंग सेक्टर में सरकारी नौकरी की चाह रखने वालों के लिए बड़ा मौका साबित होगा।

शैक्षणिक योग्यता और आयु सीमा

ऑफिसर स्केल I (असिस्टेंट मैनेजर): इस पद के लिए उम्मीदवार की आयु 18 से 30 वर्ष के बीच होनी चाहिए। किसी भी विषय में बैचलर डिग्री आवश्यक है।

ऑफिसर स्केल II (जनरल बैंकिंग ऑफिसर): उम्र सीमा 21 से 32 वर्ष है। किसी भी विषय में बैचलर डिग्री, कम से कम 50% अंकों के साथ। प्राथमिकता कृषि व तकनीकी विषयों में डिग्रीधारकों को दी जाएगी।

ऑफिसर स्केल II (स्पेशलिस्ट ऑफिसर): जैसे आईटी ऑफिसर के लिए संबंधित विषयों में बैचलर डिग्री और प्रोग्रामिंग लैंग्वेज में प्रमाणपत्र आवश्यक है। चार्टर्ड अकाउंटेंट और लॉ ऑफिसर के लिए भी निर्धारित योग्यताएं हैं।

ऑफिसर स्केल III (सीनियर मैनेजर): 21 से 40 वर्ष की आयु सीमा के साथ किसी भी विषय में 50% अंकों के साथ बैचलर डिग्री और बैंकिंग या वित्तीय संस्था में 5 साल का अनुभव जरूरी है।

ऑफिस असिस्टेंट (मल्टीपर्पस): किसी भी विषय में बैचलर डिग्री, स्थानीय भाषा का ज्ञान और कंप्यूटर की बेसिक जानकारी अनिवार्य है।

परीक्षा का शेड्यूल

IBPS ने परीक्षा प्रक्रिया का समय-सारणी भी जारी कर दिया है। प्री-एग्जाम ट्रेनिंग नवंबर 2025 में होगी। प्रीलिम्स परीक्षा नवंबर-दिसंबर 2025 में आयोजित होगी, जिसका परिणाम जनवरी 2026 में आएगा। मेन्स परीक्षा फरवरी 2026 में होगी, जबकि ग्रुप ए के लिए इंटरव्यू जनवरी-फरवरी 2026 के बीच होंगे।

आवेदन शुल्क

ऑफिसर पदों के लिए: SC/ST/PwBD उम्मीदवारों के लिए ₹175 और अन्य के लिए ₹850। जबकि ऑफिस असिस्टेंट के लिए: SC/ST/PwBD/ESM/DESM उम्मीदवारों के लिए ₹175 और अन्य के लिए ₹850 निर्धारित किया गया हैं।

सख्ती शुरू: यूपी में आज से हेलमेट नहीं तो पेट्रोल नहीं

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने सड़क सुरक्षा को लेकर एक कड़ा और निर्णायक कदम उठाया है। राज्य भर में 1 सितंबर से ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ अभियान शुरू हो चुका है, जिसके तहत यदि बाइक चालक हेलमेट नहीं पहनेंगे तो उन्हें पेट्रोल पंप पर ईंधन नहीं दिया जाएगा। यह अभियान 30 सितंबर तक पूरे प्रदेश के जिला स्तर पर डीएम के नेतृत्व में जिला सड़क सुरक्षा समिति (डीआरएससी) के समन्वय में संचालित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अभियान की शुरुआत के पीछे के मकसद को साफ करते हुए कहा है कि इसका उद्देश्य दंडित करना नहीं बल्कि प्रत्येक नागरिक को कानून का पालन करने के लिए प्रेरित करना है। उन्होंने आम जनता से अपील की है कि सड़क सुरक्षा को गंभीरता से लें, क्योंकि हेलमेट पहनना केवल एक नियम नहीं बल्कि अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा का अधिकार है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा, “पहले हेलमेट, बाद में ईंधन।”

परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने पेट्रोल पंप संचालकों से इस अभियान में सहयोग की अपील करते हुए कहा कि हेलमेट पहनने की आदत जल्दी ही बाइक चालकों में जागरूकता और सुरक्षा को बढ़ावा देती है। उन्होंने बताया कि खाद्य एवं रसद विभाग की टीम पेट्रोल पंपों पर निगरानी रखेगी ताकि अभियान प्रभावी ढंग से लागू हो और नियमों का उल्लंघन न हो।

बता दें की यह पहल खासतौर पर उन बाइक चालकों के लिए है, जो हेलमेट पहनने में लापरवाही बरतते हैं। ‘नो हेलमेट, नो फ्यूल’ अभियान से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सड़क पर नियमों का सख्ती से पालन हो और दुर्घटनाओं की संख्या में कमी आए।

यूपी सरकार का यह कदम सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता फैलाने के साथ-साथ सड़क दुर्घटनाओं से होने वाली जान-माल की हानि को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उम्मीद है कि इस अभियान के माध्यम से प्रदेश के लोग नियमों का सम्मान करेंगे और सुरक्षित सवारी को अपनी आदत बनाएंगे।

यूपी के 20+ जिलों से नया एक्सप्रेस-वे, नागरिकों के लिए बड़ी खुशखबरी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सड़क परिवहन के क्षेत्र में एक और बड़ी पहल शुरू होने जा रही है। प्रदेश को एक नई हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे का तोहफा मिलने वाला है, जो शामली से गोरखपुर तक 750 किलोमीटर की लंबाई में फैला होगा। यह एक्सप्रेसवे न केवल उत्तर प्रदेश के 22 जिलों को जोड़ने वाला है, बल्कि हरियाणा के पानीपत को भी शामली से जोड़कर एक व्यापक औद्योगिक और आर्थिक कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जाएगा। इस परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 35,000 करोड़ रुपये है।

परियोजना का मार्ग और लाभ

शामली-गोरखपुर एक्सप्रेसवे का शुभारंभ थानाभवन के गोगवान जलालपुर गांव से होगा और यह सीधे गोरखपुर तक पहुंचेगा। इस मार्ग में मेरठ, बिजनौर, अमरोहा, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, सीतापुर, बहराइच, बलरामपुर, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर सहित कुल 22 जिले और 36 तहसील शामिल होंगी। यह एक्सप्रेसवे गंगा एक्सप्रेसवे, पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और लखनऊ-गोरखपुर एक्सप्रेसवे के साथ जुड़कर उत्तर प्रदेश की सड़क परिवहन व्यवस्था को और भी मजबूत बनाएगा।

इससे प्रदेश के विभिन्न हिस्सों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी, जिससे यात्रा का समय और खर्च दोनों कम होंगे। उद्योग, व्यापार, कृषि उत्पादकता के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। विशेषकर, हरियाणा के पानीपत से शामली और फिर गोरखपुर तक का कॉरिडोर बनने से दो राज्यों के आर्थिक रिश्ते और भी सशक्त होंगे।

परियोजना की वर्तमान स्थिति और आगे की राह

प्राधिकरण ने इस प्रोजेक्ट के लिए ड्रोन सर्वेक्षण सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। दिवाली तक डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) भी तैयार हो जाएगी। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी। यह योजना न केवल क्षेत्रीय विकास को गति देगी, बल्कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को जोड़ते हुए सामाजिक-आर्थिक समृद्धि का पुल भी बनेगी।

चीन में SCO की मीटिंग: भारत समेत 10 देश सदस्य

नई दिल्ली। चीन के तियानजिन शहर में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की एक बड़ी बैठक का आयोजन शुरू हो चुका है, जिसमें भारत, चीन, रूस समेत कुल 10 सदस्य देश हिस्सा ले रहे हैं। यह बैठक न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा और आर्थिक सहयोग के मुद्दों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक बहुपक्षवाद और सहयोग की नई राह भी खोलने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस बैठक के प्लेनरी सेशन को संबोधित करेंगे, इसके बाद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से उनकी अहम मुलाकात भी होने वाली है, जो इस सम्मेलन की महत्ता को और बढ़ाती है।

SCO की क्या है भूमिका और इसका महत्व?

शंघाई सहयोग संगठन की स्थापना 2001 में हुई थी, जिसका उद्देश्य सदस्य देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देना है। चीन, भारत, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, पाकिस्तान, ईरान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान और बेलारूस इसके प्रमुख सदस्य हैं। यह संगठन क्षेत्रीय शांति, आतंकवाद, उग्रवाद, और अस्थिरता को कम करने के लिए मिलकर काम करता है। खासकर आज के वैश्विक परिदृश्य में, जहां सुरक्षा चुनौतियां और आर्थिक प्रतिस्पर्धा तेज हो रही हैं, SCO का महत्व और भी बढ़ गया है।

भारत की भागीदारी और रणनीतिक दृष्टिकोण

भारत SCO का सक्रिय सदस्य है और इसे अपनी क्षेत्रीय और वैश्विक नीति के लिए एक महत्वपूर्ण मंच मानता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बैठक में मौजूदगी और उनके संबोधन से यह स्पष्ट होगा कि भारत कैसे SCO के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत कर सकता है। भारत आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाता है और क्षेत्रीय स्थिरता के लिए SCO को एक प्रभावी मंच मानता है। इसके अलावा, भारत आर्थिक और तकनीकी सहयोग के क्षेत्रों में भी अपने सहयोग को बढ़ाना चाहता है।

तियानजिन बैठक के एजेंडे पर नजर

इस बार की बैठक में आतंकवाद, आर्थिक पुनर्बलन, ऊर्जा सहयोग, कोविड-19 महामारी के बाद पुनरुद्धार, डिजिटल अर्थव्यवस्था और जलवायु परिवर्तन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे चर्चा के केंद्र में हैं। इसके अलावा, सदस्य देशों के बीच सीमा सुरक्षा, सामरिक सहयोग और व्यापारिक समझौतों को भी मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए जाएंगे।

भारत-रूस वार्ता की भूमिका

प्रधानमंत्री मोदी की रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से होने वाली मुलाकात SCO के सत्र के बाद दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय रिश्तों को और गहरा करने का अवसर होगी। दोनों देश आर्थिक, सुरक्षा और वैश्विक राजनीतिक मुद्दों पर आपसी सहयोग को और बढ़ाने की संभावना रखते हैं।

बिहार में युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी, जल्दी पढ़ें!

पटना। बिहार में शिक्षक बनने का सपना देखने वाले हजारों युवाओं के लिए एक महत्वपूर्ण अपडेट आया है। राज्य सरकार और शिक्षा विभाग ने विद्यालय अध्यापक नियुक्ति परीक्षा (टीआरई) के चौथे चरण से पहले राज्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (एसटीईटी) कराने की प्रक्रिया को लेकर चर्चा तेज कर दी है। यह परीक्षा शिक्षा विभाग की तैयारी के अनुसार अब बहुत जल्द आयोजित की जा सकती है, जिससे टीआरई-4 में पदों के लिए योग्य उम्मीदवारों का चयन संभव होगा।

टीआरई-4 और एसटीईटी की स्थिति

टीआरई-4, जिसमें लगभग 50 हजार पदों पर नियुक्ति की संभावना है, के पहले एसटीईटी आयोजित करने की मांग अभ्यर्थियों द्वारा काफी समय से की जा रही है। हालांकि, सरकार ने पहले स्पष्ट किया था कि टीआरई-4 से पहले एसटीईटी नहीं होगी और यह परीक्षा टीआरई-5 से पहले कराई जाएगी। लेकिन हाल ही में मुख्य सचिव के निर्देश पर इस विषय पर पुनः विचार किया जा रहा है। राजधानी में अभ्यर्थियों द्वारा भी दो बार मार्च किया जा चुका है, जो इस परीक्षा के महत्व को दर्शाता है।

शिक्षा विभाग ने उच्च स्तर पर इस मामले में विमर्श शुरू कर दिया है और सरकार के उच्च स्तरीय सलाह के आधार पर बीएसईबी को फिर से सलाह भेजी जाएगी कि टीआरई-4 के पहले एसटीईटी कराई जाए या नहीं। इससे यह स्पष्ट होता है कि राज्य सरकार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को पारदर्शी और समयानुकूल बनाने के लिए गंभीर प्रयास कर रही है।

एसटीईटी की पात्रता और नियम

बीएसईबी द्वारा आयोजित एसटीईटी परीक्षा में सफल होना उच्च माध्यमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक बनने के लिए अनिवार्य है। इस परीक्षा के दो पेपर होते हैं: पेपर 1: कक्षा 9 और 10 के शिक्षक बनने के लिए। पेपर 2: कक्षा 11 और 12 के उच्च माध्यमिक शिक्षक बनने के लिए।

इस परीक्षा में उत्तीर्ण होने के लिए सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को कम से कम 50 प्रतिशत अंक प्राप्त करना आवश्यक है, जबकि एससी, एसटी, पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, दिव्यांग और महिलाओं को न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक लाना होता है।  पात्रता के लिए स्नातक में 50 प्रतिशत अंक के साथ बीएड होना जरूरी है। कक्षा 11 और 12 के लिए स्नातकोत्तर में 50 प्रतिशत अंक के साथ एसटीईटी पेपर 2 उत्तीर्ण करना अनिवार्य है।

आगामी प्रक्रिया और युवाओं के लिए संदेश

जैसे-जैसे टीआरई-4 का आयोजन नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे एसटीईटी परीक्षा को लेकर अंतिम फैसला शीघ्र ही लिया जाएगा। यह परीक्षा बिहार के युवाओं के लिए रोजगार का एक बड़ा अवसर लेकर आएगी। इससे न केवल योग्य शिक्षक मिलेंगे बल्कि शिक्षा व्यवस्था भी मजबूत होगी। जो युवा शिक्षक बनने का सपना देख रहे हैं, उन्हें सलाह दी जाती है कि वे अपनी तैयारी को और मजबूत करें और सभी आधिकारिक घोषणाओं पर नजर बनाए रखें।