बंटवारे की प्रक्रिया में आया बदलाव
पहले तक संपत्ति का बंटवारा कराने के लिए कुल संपत्ति के मूल्य का लगभग 4 प्रतिशत शुल्क जमा करना पड़ता था और साथ ही अलग-अलग प्रकार के स्टांप भी खरीदने होते थे, जो लोगों के लिए एक भारी आर्थिक बोझ बन जाता था। इससे कई बार लोग खर्च को लेकर बंटवारा कराने से ही बच जाते थे और उनके बीच विवाद न्यायालय तक पहुंच जाते थे।
अब नए नियम के अनुसार, व्यक्ति केवल पांच हजार रुपये का शुल्क और पांच हजार रुपये के स्टांप खरीदकर तीन पीढ़ियों तक की संपत्ति का बंटवारा कर सकते हैं। यह बदलाव पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे को आसान, किफायती और तेज बनाने के लिए किया गया है।
क्या-क्या दस्तावेज़ चाहिए होंगे?
नए नियमों के तहत बंटवारा कराने वाले को कुछ जरूरी दस्तावेज जमा करने होंगे, जिनमें उत्तराधिकार प्रमाण पत्र, खतौनी, पारिवारिक सदस्यता प्रमाण पत्र, नामांतरण संबंधी अभिलेख या परिवार की पहचान संबंधित दस्तावेज शामिल हैं। इन कागजातों के आधार पर रजिस्ट्री कार्यालय में संपत्ति का बंटवारा किया जाएगा।
पहले से चली आ रही परंपरा में बदलाव
यह कदम प्रदेश में वर्षों से चली आ रही जटिल और महंगी प्रक्रिया में बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है। नए नियमों से न केवल बंटवारा सरल होगा, बल्कि इससे संपत्ति विवादों को भी कम करने में मदद मिलेगी। अब लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी, क्योंकि अधिकांश मामलों का समाधान सीधे रजिस्ट्री कार्यालय में संभव होगा।
पहले बंटवारे का उदाहरण
इस नई व्यवस्था का पहला लाभ बिसौली क्षेत्र में देखने को मिला है, जहां निबंधक कार्यालय में दो संपत्ति बंटवारे सफलतापूर्वक संपन्न हो चुके हैं। बदायूं जैसे जिलों में जहां संपत्ति विवादों की संख्या अधिक है, वहां इस नियम के लागू होने से भविष्य में मुकदमों की संख्या में कमी आने की उम्मीद है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव
सरकार द्वारा लागू किए गए इस सुधार से न केवल संपत्ति विवादों को कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि लोगों को आर्थिक बोझ से राहत भी मिलेगी। साथ ही, यह पारिवारिक सदस्यों के बीच मेलजोल बढ़ाने और आपसी समझदारी से संपत्ति के बंटवारे को संभव बनाएगा। इससे उत्तर प्रदेश में संपत्ति से जुड़ी समस्याओं का दीर्घकालीन समाधान मिल सकेगा।
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