यूपी में 'बेटियों' के लिए बड़ी खुशखबरी, सरकार देगी तोहफा!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की बेटियों के लिए एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आ रही है। राज्य सरकार अब पिछड़े वर्ग के गरीब परिवारों की बेटियों की शादी के लिए मिलने वाले विवाह अनुदान में भारी बढ़ोतरी करने जा रही है। अब तक जहां यह राशि ₹20,000 थी, वहीं सरकार इसे बढ़ाकर ₹60,000 करने का प्रस्ताव तैयार कर चुकी है।

तीन गुना बढ़ेगा अनुदान, प्रस्ताव भेजा गया

पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा संचालित इस योजना के तहत अब तक प्रति परिवार अधिकतम दो बेटियों की शादी पर ₹20,000 की सहायता राशि दी जाती थी। अब इस राशि को तीन गुना बढ़ाकर ₹60,000 करने का प्रस्ताव तैयार कर लिया गया है और इसे मंजूरी के लिए उच्च स्तर पर भेजा गया है।  पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेंद्र कश्यप ने बताया कि इस निर्णय से प्रदेश के लाखों गरीब परिवारों को राहत मिलेगी।

किन्हें मिलेगा लाभ?

योजना का लाभ अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के गरीब परिवारों की बालिग बेटियों को मिलेगा। लाभ पाने के लिए परिवार की वार्षिक आय ₹1 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए। एक परिवार से अधिकतम दो बेटियों की शादी पर ही अनुदान मिलेगा। विधवा या निराश्रित महिलाओं को आवेदन में प्राथमिकता दी जाएगी और उन्हें आय प्रमाण पत्र की आवश्यकता नहीं होगी।

पहले भी उठी थी मांग, अब मिली बड़ी सुनवाई

वर्ष 2017 से लेकर अब तक इस योजना के अंतर्गत लाखों बेटियों को शादी के समय मदद दी जा चुकी है। लेकिन महंगाई के दौर में ₹20,000 की राशि अपर्याप्त मानी जा रही थी। कई सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने समय-समय पर अनुदान बढ़ाने की मांग की थी। पहले विभाग द्वारा ₹35,000 करने का प्रस्ताव तैयार किया गया था, लेकिन अब सरकार ने इसे और उचित बढ़ोतरी देते हुए सीधे ₹60,000 तक ले जाने की योजना बनाई है।

2047 तक का लक्ष्य: 24 लाख बेटियों को सहायता

पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग ने दीर्घकालिक योजना बनाते हुए वर्ष 2047 तक 24 लाख बेटियों को सहायता देने का लक्ष्य रखा है। इसके लिए अनुमानित ₹14,400 करोड़ रुपये की आवश्यकता होगी। यह आंकड़ा सरकार की सशक्तिकरण और समावेशन की नीति को दर्शाता है।

सामाजिक सशक्तिकरण की दिशा में बड़ा कदम

यह प्रस्ताव यदि मंजूरी पा लेता है, तो यह न सिर्फ बेटियों के लिए एक आर्थिक संबल बनेगा, बल्कि समाज में लिंग समानता और शिक्षा के बाद विवाह में सहयोग जैसे महत्वपूर्ण आयामों को भी बल देगा। इससे विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में रह रहे उन परिवारों को राहत मिलेगी, जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं।

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