भारत की 'GDP' ग्रोथ ने चौकाया: जानिए विकास दर!

नई दिल्ली। भारत की अर्थव्यवस्था ने एक बार फिर अपनी मजबूती का प्रदर्शन करते हुए वैश्विक विश्लेषकों को चौंका दिया है। जहां एक ओर दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं धीमी गति से आगे बढ़ रही हैं, वहीं भारत ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में 7.8% की मजबूत वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर्ज की है। इस आधार पर वैश्विक सलाहकार फर्म ईवाई ने भारत की वर्षिक वास्तविक जीडीपी ग्रोथ दर के अनुमान को संशोधित कर 6.5% से बढ़ाकर 6.7% कर दिया है।

जीएसटी 2.0 और घरेलू मांग बनी मजबूती की नींव

भारत में जीएसटी सुधारों का दूसरा चरण, जिसे जीएसटी 2.0 के रूप में जाना जा रहा है, न केवल राजस्व संग्रहण में पारदर्शिता लेकर आया है, बल्कि इससे उपभोक्ताओं की डिस्पोजेबल इनकम में भी इजाफा हुआ है। इसका प्रत्यक्ष प्रभाव घरेलू मांग की वृद्धि पर पड़ा है, जिसने आर्थिक गतिविधियों को तेज करने में सहायता की है। ईवाई इंडिया के मुख्य नीति सलाहकार डी.के. श्रीवास्तव के अनुसार, सुधारों के चलते देश में खपत और निवेश दोनों में वृद्धि हुई है।

उत्पादन और सेवा क्षेत्र में जबरदस्त तेजी

अगस्त 2025 में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 59.3 पर पहुंच गया, जो कि फरवरी 2008 के बाद सबसे उच्च स्तर है। वहीं, सेवा क्षेत्र का पीएमआई भी बढ़कर 62.9 हो गया है। यह जून 2010 के बाद का सर्वोच्च स्तर है। इससे स्पष्ट है कि दोनों प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादन और मांग में उल्लेखनीय तेजी आई है। साथ ही, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) में भी तेजी देखी गई है। जुलाई 2025 में IIP वृद्धि दर 3.5% रही, जबकि जून में यह मात्र 1.5% थी।

मुद्रास्फीति में हलचल, पर नियंत्रण में

हालांकि मुद्रास्फीति के मोर्चे पर थोड़ी चिंता बनी हुई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) आधारित महंगाई दर जुलाई 2025 के 1.6% से बढ़कर अगस्त में 2.1% हो गई है। कोर मुद्रास्फीति भी मामूली रूप से बढ़ी है। इसके अलावा, थोक मूल्य सूचकांक (WPI) भी अगस्त में 0.5% पर सकारात्मक रहा, जो जुलाई में -0.6% था। सब्जियों की कीमतों में वृद्धि, खासकर टमाटर जैसी वस्तुओं की कीमतों में उछाल, महंगाई को थोड़ा ऊपर ले गई है। लेकिन, यह मौसमी और आधार प्रभाव से प्रभावित है, जिससे यह दीर्घकालिक चिंता का कारण नहीं माना जा रहा।

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