प्रत्येक सब्जी केंद्र लगभग 10,000 वर्ग फीट में बनाया जाएगा और इस पर लगभग 96 लाख से एक करोड़ रुपये तक खर्च किए जाएंगे। इन केंद्रों में 10 टन क्षमता का कोल्ड स्टोरेज, 20 टन क्षमता का गोदाम, और सब्जियों की छंटाई व पैकेजिंग के लिए विशेष शेड की व्यवस्था होगी। इससे किसानों की उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकेगा और बाजार तक पहुंचाने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी होगी।
सहकारिता विभाग की योजना है कि अगले दो वर्षों में यह सभी केंद्र पूरे राज्य में स्थापित कर दिए जाएं। साथ ही, पंचायत स्तर पर भी इसी तरह के केंद्र खोलने की तैयारी है, जिसके लिए राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी ली जाएगी। यह पहल न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाएगी।
इसके अतिरिक्त, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि और सहकारिता विभाग ने मिलकर जैविक सब्जियों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत जैविक खेती के लिए किसानों को अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। बिहार से जैविक सब्जियों का निर्यात भी बढ़ रहा है, हाल ही में थाईलैंड, बैंकाक और दुबई जैसे देशों को जैविक सब्जियों की खेप भेजी गई है, जो राज्य की कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और मांग को दर्शाता है।
बता दें की यह पहल न केवल किसानों के लिए लाभकारी साबित होगी, बल्कि बिहार को कृषि निर्यात में भी नई ऊँचाइयों तक पहुंचाएगी। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और राज्य की कृषि प्रणाली अधिक टिकाऊ तथा पर्यावरण के अनुकूल बनेगी।
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