1. डॉलर की दादागिरी
अमेरिकी डॉलर सिर्फ एक मुद्रा नहीं, बल्कि वैश्विक कारोबार की रीढ़ है। तेल से लेकर तकनीक तक, हर बड़ी डील डॉलर में होती है। अमेरिका को यह विशेषाधिकार हासिल है कि वह अपनी करेंसी खुद छापता है और पूरी दुनिया उसे मान्यता देती है। यही वजह है कि जब अमेरिका किसी देश पर आर्थिक प्रतिबंध लगाता है, तो उसका असर सिर्फ एक बैंकिंग सिस्टम पर नहीं, पूरी अर्थव्यवस्था पर होता है।
2. टेक्नोलॉजी का बादशाह
आपके फोन में इस्तेमाल होने वाला सर्च इंजन, ऐप, सोशल मीडिया, क्लाउड स्टोरेज सब कुछ कहीं न कहीं अमेरिकी कंपनियों के अधीन है। गूगल, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और अमेजन जैसी कंपनियां सिर्फ टेक ब्रांड नहीं हैं, ये वैश्विक सूचना और डेटा की नियंत्रक हैं। अमेरिका AI, साइबर सिक्योरिटी और स्पेस टेक्नोलॉजी में अग्रणी है, जिससे वह दुनिया की अगली पीढ़ी की टेक्नोलॉजी का नियम निर्धारक बन गया है।
3. हर कोने में तैनात अमेरिकी सेना
दुनिया में कोई भी देश ऐसा नहीं जिसकी सीमाओं के आस-पास अमेरिकी सैन्य मौजूदगी न हो। अमेरिका के पास 750 से अधिक विदेशी सैन्य ठिकाने हैं। जापान से लेकर जर्मनी और क़तर से लेकर गुआम तक। उसकी नौसेना के पास 11 एयरक्राफ्ट कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स हैं जो कभी भी, कहीं भी तैनात हो सकते हैं। इस नेटवर्क की वजह से अमेरिका दुनिया में कहीं भी तुरंत हस्तक्षेप करने की सैन्य क्षमता रखता है, और बहुत से देश सुरक्षा के लिए उसी पर निर्भर रहते हैं।
4. दिल और दिमाग जीतने की रणनीति
हॉलीवुड की फिल्में, नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज़, अमेरिकन म्यूज़िक, फैशन और फूड ये सब अमेरिका की 'सांस्कृतिक ताकत' हैं। अमेरिका ने दुनिया को सिर्फ हथियार नहीं दिए, उसने 'अमेरिकन ड्रीम' दिया, एक ऐसी सोच जहां लोग आज़ादी, सफलता और ग्लैमर के पीछे भागते हैं। यही सांस्कृतिक प्रभाव कई देशों में सोच, भाषा और व्यवहार को भी बदल रहा है।
5. नियमों की साजिश: वैश्विक संस्थाओं की चाल
दरअसल संयुक्त राष्ट्र (UN), नाटो, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO), IMF ये सभी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अमेरिका की कूटनीतिक ताकत का हिस्सा हैं। हालांकि ये संस्थाएं 'तटस्थ' मानी जाती हैं, लेकिन उनके फंडिंग से लेकर नेतृत्व तक, अमेरिका का प्रभाव साफ नजर आता है। जब कोई देश इन नियमों से अलग चलता है, तो उसे वैश्विक मंच पर अलग-थलग किया जाता है, जैसा कि कई देशों के साथ हुआ है।
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