8वें वेतन आयोग की ये 8 बड़ी बातें, जानें क्या होगा असर?

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित 8वें वेतन आयोग को लेकर देशभर के करोड़ों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में उत्सुकता है। आयोग की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बदलावों की संभावना जताई जा रही है, जो सीधे तौर पर वेतन और पेंशन को प्रभावित करेंगे। आइए जानते हैं 8वें वेतन आयोग की 8 अहम बातें और उनका संभावित असर। 

1. वेतन में भारी बढ़ोतरी संभव

आयोग के प्रस्तावों में सबसे बड़ा बदलाव न्यूनतम वेतन में संभावित वृद्धि है। सूत्रों के अनुसार, फिटमेंट फैक्टर में संशोधन के चलते वेतन में 30% से 34% तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

2. फिटमेंट फैक्टर में बदलाव

नए वेतन मैट्रिक्स में फिटमेंट फैक्टर 1.92 से 2.28 के बीच रहने का अनुमान है। अगर फिटमेंट फैक्टर 1.92 होता है तो न्यूनतम बेसिक वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹34,200 हो जाएगा।

3. महंगाई भत्ते (DA) का पुनर्गठन

हर वेतन आयोग की तरह इस बार भी जब महंगाई को मूल वेतन में शामिल कर नई वेतन संरचना तय की जाएगी। इससे कर्मचारियों को दोहरा लाभ मिलने की संभावना है।

4. लागू होने की संभावित तिथि

हालांकि केंद्र ने जनवरी 2025 में आयोग के गठन की घोषणा की थी, लेकिन इसे 1 जनवरी 2026 से लागू करने की संभावना जताई जा रही है। यह पिछली परंपरा के अनुरूप ही है।

5. पेंशन में भी होगा बड़ा संशोधन

केवल वेतन ही नहीं, पेंशनरों को भी राहत मिलने की उम्मीद है। ये बढ़ोत्तरी फिटमेंट फैक्टर पर निर्भर करेगा। लेकिन उम्मीद हैं की न्यूनतम पेंशन ₹9,000 से बढ़कर ₹25,740 हो सकती है।

6. गठन में अब तक की देरी

घोषणा के बावजूद अब तक न तो आयोग के सदस्य नियुक्त किए गए हैं और न ही इसकी अधिसूचना जारी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रक्रिया में समय भी लग सकता है।

7. बकाया भुगतान की उम्मीद

हालांकि कार्यान्वयन में देरी संभव है, लेकिन वेतन वृद्धि पिछली तिथि (रेट्रोस्पेक्टिव) यानी 1 जनवरी 2026 से लागू मानी जाएगी, और बकाया वेतन व पेंशन का भुगतान किया जाएगा।

8. पिछले आयोगों का अनुभव

7वें वेतन आयोग समेत अधिकांश आयोगों को लागू होने में 2 से 3 साल का समय लगा है। ऐसे में कर्मचारियों को लंबा इंतज़ार करना पड़ सकता है, लेकिन राहत निश्चित मानी जा रही है।

क्या कहती है विशेषज्ञ राय?

वित्त मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार आयोग के गठन और क्रियान्वयन को समयबद्ध रूप से पूरा करती है, तो इससे न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी, बल्कि बाजार में खर्च और मांग भी बढ़ेगी। इससे अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है।

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