यूपी में 'बिजली उपभोक्ताओं' के लिए बड़ा बदलाव

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव लागू किया गया है। राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है कि अब नए बिजली कनेक्शन (कृषि उपभोक्ताओं को छोड़कर) केवल प्रीपेड स्मार्ट मीटर के माध्यम से ही दिए जाएंगे। यह फैसला केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत लिया गया है, लेकिन इसे लेकर उपभोक्ता संगठनों और आम जनता के बीच असंतोष भी देखने को मिल रहा है।

क्या है नया आदेश?

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार गोयल ने वितरण निगमों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि स्मार्ट प्रीपेड मीटर के साथ कनेक्शन देने की प्रक्रिया में कोई ढिलाई न बरती जाए। इस दिशा में अब निगमों को समर्पित टीमें गठित करने के लिए कहा गया है जो तय समयसीमा के भीतर उपभोक्ताओं को कनेक्शन उपलब्ध कराएंगी।

नियमित निगरानी की व्यवस्था

प्रबंधन की मंशा है कि दीपावली से पहले सभी लंबित आवेदनों को पूरा कर दिया जाए। इसके लिए निगमों के मुख्य अभियंता (वितरण) को प्रतिदिन प्रगति की समीक्षा करने का निर्देश मिला है, जबकि निदेशक (वाणिज्य) साप्ताहिक आधार पर रिपोर्ट लेंगे। इसका उद्देश्य यह है कि कहीं भी आवेदन करने वाले उपभोक्ताओं को अनावश्यक देरी का सामना न करना पड़े।

बढ़ता खर्च और विरोध के स्वर

हालांकि सरकार का उद्देश्य बिजली वितरण को पारदर्शी और नियंत्रित बनाना है, लेकिन उपभोक्ताओं पर इसका सीधा आर्थिक असर दिख रहा है। पहले जहां एक सामान्य मीटर के लिए लगभग ₹900 का खर्च आता था, वहीं अब स्मार्ट प्रीपेड मीटर के लिए करीब ₹6000 तक खर्च करना पड़ रहा है। यही वजह है कि कई उपभोक्ता और संगठन इस फैसले का विरोध कर रहे हैं।

प्रीपेड मीटर का उद्देश्य

प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाने का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ता को अपनी बिजली खपत पर नियंत्रण का अधिकार देना है। इससे बिलिंग की पारदर्शिता बढ़ेगी और बिजली चोरी जैसी समस्याओं पर भी अंकुश लगेगा। उपभोक्ता को यह सुविधा मिलेगी कि वह जितनी बिजली उपयोग करना चाहता है, उतनी ही राशि पहले से भर सके।

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