कृषि प्रसंस्करण उद्योगों पर विशेष फोकस
नई नीति के तहत कृषि प्रसंस्करण से जुड़े उद्योगों को केंद्र में रखा गया है। मखाना, शहद, फल-सब्जी, मक्का, बीज, औषधीय पौधे और चाय जैसे उत्पादों से संबंधित उद्योगों को प्राथमिकता दी जाएगी। चाहे आप कोई नया उद्योग स्थापित करना चाहें या पहले से मौजूद यूनिट का विस्तार करना चाहते हों, सरकार से आर्थिक सहायता पाने का यह बेहतरीन मौका है।
कौन ले सकता है इस योजना का लाभ?
इस योजना की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसका लाभ सिर्फ बड़ी कंपनियों तक सीमित नहीं है। छोटे उद्यमियों को ध्यान में रखते हुए नीति का दायरा व्यापक रखा गया है। इसमें एकल उद्यमी, साझेदारी फर्म, किसान उत्पादक कंपनियाँ (FPOs) और अन्य छोटे निवेशक भी शामिल हैं। यानी यदि आपके पास एक ठोस योजना है और आप कृषि उद्योग में काम करना चाहते हैं, तो यह नीति आपके लिए उपयुक्त है।
अनुदान के लिए जरूरी शर्तें
सरकारी सहायता प्राप्त करने के लिए कुछ मापदंड तय किए गए हैं। परियोजना की लागत कम से कम 25 लाख रुपये और अधिकतम 5 करोड़ रुपये होनी चाहिए। सरकार द्वारा दी जाने वाली पूंजी सब्सिडी पूरी तरह से बैंक ऋण से जुड़ी होगी। परियोजना की कुल लागत का कम से कम 20% बैंक या किसी वित्तीय संस्थान से दीर्घकालीन ऋण के रूप में लिया जाना अनिवार्य होगा।
विशेष वर्गों को अतिरिक्त प्रोत्साहन
सरकार ने सामाजिक न्याय को भी इस नीति में अहम स्थान दिया है। विशेष वर्गों को अतिरिक्त सब्सिडी का लाभ मिलेगा। SC, ST और अत्यंत पिछड़ा वर्ग के उद्यमियों को 5% अतिरिक्त अनुदान। महिला उद्यमी, दिव्यांग, एसिड अटैक पीड़िता, युद्ध विधवाएं, और तृतीय लिंग के उद्यमी को 2% अतिरिक्त अनुदान मिलेगा।
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