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यूपी में मानसून का कहर: 20 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मानसूनी बारिश का दौर इन दिनों लगातार जारी है। दक्षिणी-पश्चिमी मानसून की सक्रियता के चलते राज्य के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में भारी वर्षा हो रही है, जिससे मौसम सुहावना तो हुआ है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में जनजीवन प्रभावित भी हो रहा है। 

रविवार को पूर्वी और पश्चिमी यूपी के कई इलाकों में तेज बारिश हुई, वहीं कई जगहों पर अभी भी मानसूनी वर्षा का इंतजार है। मौसम विभाग ने सोमवार को 20 जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। इसके अलावा 40 से अधिक जिलों में गरज-चमक के साथ बिजली गिरने और हल्की बारिश का अलर्ट भी जारी किया गया है।

भारी बारिश और मेघगर्जन के संभावित जिले

मौसम विभाग ने खास तौर पर प्रयागराज, प्रतापगढ़, सोनभद्र, मिर्जापुर, वाराणसी, गोरखपुर, बस्ती, महाराजगंज, गोंडा, बहराइच, लखीमपुर खीरी, सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर समेत कई जिलों में तेज बारिश और मेघगर्जन- वज्रपात की संभावना जताई है। इन जिलों के लोग विशेष सावधानी बरतें और मूसलाधार बारिश के कारण जलभराव व विद्युत दुर्घटनाओं से बचाव के उपाय करें।

भारी वर्षा के कारण बदलाव

राज्य के ज्यादातर इलाकों में हुई बारिश और हवा के चलने से तापमान में गिरावट आई है। अधिकतम व न्यूनतम तापमान में कमी होने से मौसम सुहावना बना हुआ है। इस बदलाव से मानसून की ताजगी महसूस की जा रही है, जिससे किसानों को भी राहत मिली है।

पिछले 24 घंटे में बारिश का रिकॉर्ड

पिछले 24 घंटे में उत्तर प्रदेश में 5 मिमी बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य से लगभग 29% अधिक है। वहीं, 1 से 22 जून तक प्रदेश में कुल 55.6 मिमी बारिश हुई है, जो सामान्य मात्रा से 12% ज्यादा है। यह आंकड़ा मानसून की अच्छी सक्रियता का संकेत है, लेकिन इससे कुछ इलाकों में जलभराव और यातायात प्रभावित हो सकता है।

बिहार के 'मुखिया' चुनावों में आरक्षण का नया चक्र!

पटना। बिहार में पंचायती राज व्यवस्था के तहत मुखिया और सरपंच पदों पर आरक्षण के नियम समय-समय पर बदलते रहते हैं। यह बदलाव बिहार पंचायती राज अधिनियम 2006 तथा पंचायत निर्वाचन नियमावली के अनुसार हर दो चुनावों के बाद किया जाता है। राज्य निर्वाचन आयोग ने हाल ही में स्पष्ट किया है कि 2026 में होने वाले पंचायत चुनावों में आरक्षण का नया चक्र लागू किया जाएगा।

मुखिया पदों पर आरक्षण का महत्व

बिहार में पंचायत समिति (प्रखंड) के अंतर्गत आने वाले मुखिया पदों के लिए अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी), और पिछड़े वर्गों को आरक्षण का लाभ दिया जाता है। मुखिया पदों के कुल 50 प्रतिशत पदों तक आरक्षण हो सकता है, जो कि पंचायत समिति क्षेत्र में संबंधित वर्गों की जनसंख्या के अनुपात में निर्धारित होता है। इसका उद्देश्य ग्रामीण स्तर पर समाज के पिछड़े वर्गों की भागीदारी बढ़ाना और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना है।

आरक्षण का नियम और बदलाव का चक्र

पंचायत समिति के अंतर्गत मुखिया पदों का आरक्षण उस क्षेत्र की जनसंख्या के आधार पर होता है, जहां एससी व एसटी की जनसंख्या के अनुपात में आरक्षित पद दिए जाते हैं। शेष पदों का 20 प्रतिशत हिस्सा अत्यंत पिछड़े वर्ग (EBC) के लिए आरक्षित रखा जाता है। वर्ष 2006 और 2011 में एक ही आरक्षित पदों के अनुसार चुनाव हुए थे। वर्ष 2016 और 2021 में आरक्षण का चक्र बदलकर नए पदों के अनुसार चुनाव करवाए गए। अब वर्ष 2026 में फिर से आरक्षण का नया चक्र लागू होगा, जिससे पंचायत स्तर पर मुखिया पदों पर आरक्षण का वितरण बदल जाएगा।

सारांश

बिहार में आरक्षण का नया चक्र 2026 के पंचायत चुनावों में लागू होगा।

आरक्षण हर दो चुनावों के बाद बदला जाता है ताकि सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिले।

अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, और पिछड़े वर्गों को पंचायत स्तर पर उचित हिस्सेदारी मिले।

यह व्यवस्था बिहार पंचायती राज अधिनियम 2006 के तहत संचालित होती है। जो आगामी 2026 के चुनावों में फिर से प्रभावी होंगे।

पटवारी के 705 पदों पर भर्ती: आवेदन हुआ शुरू

जयपुर। राजस्थान के युवाओं के लिए एक सुनहरा अवसर सामने आया है। राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड (RSMSSB), जयपुर ने पटवारी के 3705 पदों पर भर्ती के लिए आवेदन प्रक्रिया दोबारा शुरू कर दी है। पहले जहां 2020 पदों पर भर्ती होनी थी, वहीं अब 1685 पदों की बढ़ोतरी के साथ कुल 3705 पदों पर पटवारी भर्ती की जाएगी। इस भर्ती प्रक्रिया में अब तक करीब 6.5 लाख उम्मीदवार आवेदन कर चुके हैं, और दोबारा विंडो खुलने से यह संख्या और बढ़ सकती है।

आवेदन की प्रमुख तिथियां

आवेदन की शुरुआत: 23 जून 2025

अंतिम तिथि: 29 जून 2025

संशोधन विंडो: 30 जून से 6 जुलाई 2025

आवेदन वापसी की तिथि: 7 जुलाई से 9 जुलाई 2025

पात्रता (Eligibility Criteria)

आयु सीमा: न्यूनतम आयु: 18 वर्ष, अधिकतम आयु: 40 वर्ष, आयु की गणना: 1 जनवरी 2026 के अनुसार की जाएगी। आयु में छूट मिलेगी ।

शैक्षिक योग्यता:

सीईटी स्नातक (CET-Graduate) परीक्षा उत्तीर्ण होना अनिवार्य है। किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में स्नातक डिग्री। कंप्यूटर योग्यता में से कोई एक होना चाहिए: NIELIT ‘O’ Level या COPA प्रमाण पत्र या कंप्यूटर साइंस/आईटी में डिग्री या डिप्लोमा या RS-CIT प्रमाण पत्र या इंजीनियरिंग की डिग्री जिसमें कंप्यूटर विषय सम्मिलित हो।

चयन प्रक्रिया

चयन लिखित परीक्षा के माध्यम से किया जाएगा।, परीक्षा तिथि: 17 अगस्त 2025, परीक्षा पैटर्न और सिलेबस चयन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध रहेगा।

कैसे करें आवेदन?

RSMSSB की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं: rsmssb.rajasthan.gov.in

पटवारी भर्ती 2025 लिंक पर क्लिक करें।

आवश्यक जानकारी भरें और दस्तावेज़ अपलोड करें।

शुल्क का भुगतान करें और फॉर्म जमा करें।

भविष्य के लिए आवेदन पत्र की प्रिंट कॉपी सुरक्षित रखें।

भारत का सुपरड्रोन ‘सबल-50’: दुश्मनों के छक्के छुड़ाने को तैयार!

न्यूज डेस्क। भारत के रक्षा क्षेत्र में एक नई क्रांति आने वाली है। IIT कानपुर एक ऐसा अत्याधुनिक ड्रोन तैयार कर रहा है जो न केवल दुश्मनों को चौंकाएगा, बल्कि आने वाले वर्षों में भारत को ड्रोन तकनीक में विश्वगुरु बना सकता है। इस नए ड्रोन का नाम है ‘सबल-50’, जो जल्द ही भारत का सबसे शक्तिशाली ड्रोन कहलाने वाला है।

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू, मगर नजरें विश्वस्तर पर

‘सबल-50’ को फिलहाल एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर विकसित किया जा रहा है, लेकिन इसकी क्षमताएं इसे किसी भी युद्ध या आपात स्थिति में अत्यंत उपयोगी बना रही हैं। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध में ड्रोन ने जिस तरह से निर्णायक भूमिका निभाई है, उसने दुनिया को यह दिखा दिया है कि अगली लड़ाई आकाश में उड़ते इन ‘बिना पायलट’ योद्धाओं के हाथों लड़ी जाएगी।

पहले ‘सबल-20’, अब उससे कई गुना ताकतवर ‘सबल-50’

IIT कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अभिषेक के नेतृत्व में पहले ‘सबल-20’ नामक ड्रोन बनाया गया था, जो 20 किलो वजन ले जाने की क्षमता रखता था। यह ड्रोन पहले ही भारतीय सेना की ईस्टर्न कमांड को सौंपा जा चुका है और उसे सफलतापूर्वक इस्तेमाल किया जा रहा है। अब टीम ‘सबल-50’ को लेकर काम कर रही है, जो 150 किलो वजन का है और 50 किलो तक अतिरिक्त भार के साथ उड़ान भर सकता है। यह केवल एक डिलीवरी ड्रोन नहीं होगा, बल्कि एक पूर्ण रूप से सक्षम अटैक और सर्विलांस ड्रोन बनेगा।

यह ड्रोन AI और हाई-विजिबिलिटी कैमरा से है लैस

‘सबल-50’ में AI (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) और हाई विजिबिलिटी कैमरा जैसे आधुनिकतम उपकरण लगाए गए हैं। यह कैमरा लाखों रुपये की कीमत वाला है और धूल, धुंध या बर्फ की आंधी में भी क्लियर विज़ुअल देने में सक्षम है। ड्रोन 3-4 घंटे तक हवा में रह सकता है और दुश्मनों के क्षेत्र का पूरा सर्विलांस कर सुरक्षित लौट सकता है।

अटैक और डिलीवरी दोनों मिशन में पूरी तरह सक्षम

इस ड्रोन की ताकत केवल वजन उठाने तक सीमित नहीं है। सेना इसे हवाई हमलों और सामरिक सामान पहुंचाने – दोनों ही कामों में इस्तेमाल कर सकती है। इसकी भार वहन करने की क्षमता इतनी है कि यह एक बार में कई अटैक कैरी कर सकता है।

इजरायल बनाम ईरान: किसकी वायुसेना है ज़्यादा ताकतवर?

न्यूज डेस्क: इजरायल और ईरान के बीच युद्ध का लगातार विस्तार हो रहा हैं। दोनों देशों के बीच वाकयुद्ध से लेकर साइबर हमलों और मिसाइल अटैक किये जा रहे हैं। लेकिन अब चर्चा इस बात पर है कि वायुसेना की सीधी टक्कर में कौन ज़्यादा ताकतवर हैं।

इजरायल की वायुसेना: अत्याधुनिक तकनीक और अमेरिकी समर्थन

इजरायल की वायुसेना को दुनिया की सबसे उन्नत और प्रशिक्षित वायु सेनाओं में गिना जाता है। इसके पास अमेरिका निर्मित अत्याधुनिक F-35I "Adir" स्टील्थ फाइटर जेट हैं, जो दुश्मन की रडार प्रणाली से बचते हुए गहरे हमले करने में सक्षम हैं। इसके अलावा IAF के पास F-15 और F-16 जैसे उन्नत जेट, शक्तिशाली ड्रोन बेड़े और उच्चस्तरीय इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली भी है। इजरायल के पास 241 फाइटर जेट्स हैं, जिनमें से 193 हमले के लिए हमेशा रेडी रहते हैं। 

ईरान की वायुसेना: संख्या में ज़्यादा, तकनीक में पिछड़ा

ईरान की वायुसेना (IRIAF) में करीब 300 से अधिक फाइटर एयरक्राफ्ट शामिल हैं, जिनमें से अधिकतर पुराने अमेरिकी F-4, F-5 और F-14 विमान हैं, जो 1979 की क्रांति से पहले लिए गए थे। हालाँकि ईरान ने रूस से Su-35 जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों के लिए प्रयास किया है, लेकिन प्रतिबंधों और आर्थिक संकटों ने उसकी वायुसेना के आधुनिकीकरण में बाधा डाली है। ईरान के पास 121 फाइटर जेट हर समय हमले के लिए तैयार रहते हैं

ईरान का असली फोकस ड्रोन और मिसाइल तकनीक पर है। हाल के वर्षों में उसने सैकड़ों सशस्त्र ड्रोन विकसित किए हैं, जिन्हें यमन, इराक और सीरिया में अपने सहयोगी गुटों के माध्यम से इस्तेमाल किया जाता रहा है। ईरान के पास बैलेस्टिक मिसाइल का भंडार हैं।

तकनीकी श्रेष्ठता बनाम रणनीतिक गहराई

इजरायल की ताकत उसकी तकनीकी बढ़त, रियल-टाइम इंटेलिजेंस और अमेरिका से मिले समर्थन में है। दूसरी ओर, ईरान के पास भले ही तकनीकी कमियां हों, लेकिन उसकी रणनीति ‘प्रत्यक्ष संघर्ष’ के बजाय छद्म युद्ध (proxy warfare) और असंबद्ध सैन्य रणनीति पर आधारित है। ईरान का लंबी दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलों पर विशेष ध्यान है।

यूपी में इन परिवारों के हर पुरुष को मिलेंगे 10 लाख

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने मानव-वन्यजीव संघर्ष की जटिल समस्या के समाधान की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। प्रदेश के दुधवा टाइगर रिजर्व अंतर्गत कतर्नियाघाट वन क्षेत्र में रहने वाले परिवारों को जंगल से बाहर पुनर्वासित करने की योजना प्रारंभ की गई है। इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक वयस्क पुरुष को 10 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी, साथ ही अचल संपत्तियों की भरपाई व बुनियादी सुविधाएं भी सुनिश्चित की जाएंगी।

पृष्ठभूमि: मानव-वन्यजीव संघर्ष की चुनौती

प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष कोई नई बात नहीं है, लेकिन इसकी तीव्रता लगातार बढ़ती जा रही है। वर्ष 2024-25 में ऐसे संघर्षों में 60 लोगों की मौत और 220 घायल होने की घटनाएं सामने आईं। वर्ष 2023 में सिर्फ बिजनौर जिले में ही तेंदुओं ने 13 लोगों की जान ले ली थी। सबसे अधिक घटनाएं कतर्नियाघाट, साउथ खीरी, बहराइच, नॉर्थ खीरी और बिजनौर जैसे वनवर्ती क्षेत्रों में हुईं।

योजना का स्वरूप और लाभ

इस योजना को राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की गाइडलाइंस के अनुरूप तैयार किया गया है। इसके तहत: प्रत्येक 18 वर्ष या उससे अधिक उम्र के पुरुष (चाहे विवाहित हों या अविवाहित) को एक अलग पात्र इकाई मानते हुए 10 लाख रुपये की एकमुश्त सहायता राशि दी जाएगी।

वहीं, दिव्यांग व्यक्ति, चाहे किसी भी उम्र या लिंग के हों, उन्हें भी अलग परिवार के रूप में सहायता मिलेगी। नाबालिग अनाथ, जिनके माता-पिता नहीं हैं, उन्हें भी योजना का स्वतंत्र लाभ मिलेगा। अचल संपत्तियों जैसे मकान, कृषि भूमि, कुएं, पेड़ आदि के मूल्य का मूल्यांकन कर उसका भी मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही, नए पुनर्वासित क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाएं जैसे आवास, जलस्रोत (हैंडपंप, कुएं), बिजली और सड़क आदि सुनिश्चित की जाएंगी।

पहला चरण: कतर्नियाघाट के 118 लोग होंगे पुनर्वासित

पहले चरण में कतर्नियाघाट वन क्षेत्र के 118 लोगों की पहचान की गई है, जिन्होंने स्वेच्छा से पुनर्वास के लिए सहमति दे दी है। यह सहमति योजना की पारदर्शिता और लाभ के प्रति विश्वास को दर्शाती है। इससे संकेत मिलता है कि समुदाय भी अब जंगल के भीतर की कठिन और असुरक्षित जीवनशैली से बाहर आकर एक सुरक्षित, स्थायी और समृद्ध भविष्य की ओर बढ़ना चाहता है।

हवा के शेर: ये हैं दुनिया के 7 सबसे ताकतवर जेट

नई दिल्ली। आज की बदलती वैश्विक राजनीति और सुरक्षा की जटिल परिस्थितियों में किसी भी देश की सैन्य ताकत को मापने का एक महत्वपूर्ण पैमाना है उसकी वायुसेना, और खासतौर पर उसके फाइटर जेट्स। ये फाइटर जेट्स न सिर्फ दुश्मनों के लिए चेतावनी होते हैं, बल्कि रणनीतिक दबाव बनाने और रक्षा प्रणाली को मज़बूत करने में भी इनका अहम योगदान होता है। आइए नज़र डालते हैं दुनिया के 7 सबसे ताक़तवर और आधुनिक लड़ाकू विमानों पर, जिन्हें सही मायनों में 'हवा के शेर' कहा जा सकता है।

1. F-22 Raptor (अमेरिका)

अमेरिका का यह 5वीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर जेट दुनिया का पहला "सुपर क्रूज़" सक्षम विमान है, जो बिना आफ्टरबर्नर के भी सुपरसोनिक गति से उड़ सकता है। इसकी स्टेल्थ तकनीक, अविश्वसनीय गति और हवा से हवा में लड़ाई की क्षमता इसे दुनिया के सबसे घातक विमानों में शामिल करती है।

2. F-35 Lightning II (अमेरिका)

यह मल्टीरोल फाइटर जेट न सिर्फ हवा से हवा और हवा से ज़मीन तक हमले करने में सक्षम है, बल्कि यह एक अत्याधुनिक सेंसर फ्यूज़न सिस्टम से लैस है, जो इसे जासूसी, निगरानी और नेटवर्क युद्ध में भी अग्रणी बनाता है। इसके तीन वेरिएंट हैं, जो अलग-अलग तरह की रनवे और मिशन आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

3. Sukhoi Su-57 (रूस)

रूस का यह 5वीं पीढ़ी का स्टेल्थ फाइटर, सुपरमैन्युवरेबिलिटी और हाई-स्पीड एयर-टू-एयर मुकाबले के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें उन्नत एवियोनिक्स और एआई-आधारित सिस्टम लगे हैं, जो इसे भविष्य के युद्ध के लिए तैयार बनाते हैं।

4. Chengdu J-20 (चीन)

चीन का यह स्टेल्थ फाइटर जेट अपने उन्नत डिज़ाइन और लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता के लिए जाना जाता है। यह चीन की वायुसेना को अमेरिका और रूस के समकक्ष लाने की रणनीति का हिस्सा है।

5. Eurofighter Typhoon (यूरोप)

चार यूरोपीय देशों (जर्मनी, इटली, स्पेन और यूके) द्वारा संयुक्त रूप से विकसित यह फाइटर जेट अत्यंत तीव्र गति, उच्च तकनीकी सटीकता और नेटवर्क युद्ध क्षमताओं के लिए प्रसिद्ध है। यह 21वीं सदी के लिए पूरी तरह तैयार मल्टीरोल विमान है।

6. Dassault Rafale (फ्रांस)

इस फाइटर जेट को बहुउद्देशीय युद्धक विमान माना जाता है। यह हवा से हवा, हवा से ज़मीन और परमाणु हमलों की क्षमता रखता है। इसकी उड़ान क्षमता, हथियार प्रणाली और मल्टीरोल टेक्नोलॉजी इसे विश्व के टॉप फाइटर जेट्स में जगह दिलाती है। इसे भारत ने भी खरीदा हैं।

7. Boeing F-15EX (अमेरिका)

F-15 के नवीनतम संस्करण को अमेरिकी वायुसेना में शामिल किया गया है। यह भारी हथियार क्षमता और लंबी दूरी की हवाई लड़ाई में अपनी ताक़त के लिए मशहूर है। इसमें डिजिटल कॉकपिट, ओपन मिशन सिस्टम और एआई-सक्षम मिशन सॉफ़्टवेयर लगे हैं।

ब्लड कैंसर क्यों होता है? जानिए इसके 7 लक्षण

हेल्थ डेस्क। ब्लड कैंसर, जिसे ल्यूकेमिया, लिंफोमा और मायलोमा जैसे नामों से भी जाना जाता है, एक गंभीर और तेजी से फैलने वाली बीमारी है जो खून, अस्थि मज्जा (Bone Marrow) और लिम्फ प्रणाली को प्रभावित करती है। भारत में हर साल लाखों लोग इससे पीड़ित होते हैं, और समय पर पहचान तथा इलाज ही इससे लड़ने का सबसे बड़ा हथियार है।

ब्लड कैंसर क्यों होता है?

ब्लड कैंसर तब होता है जब खून बनाने वाली कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली को बाधित करती हैं। इसकी कोई एक निश्चित वजह नहीं है, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:

1 .जेनेटिक म्युटेशन (आनुवंशिक परिवर्तन): कोशिकाओं के डीएनए में बदलाव से असामान्य कोशिकाएं बनने लगती हैं।

2 .परिवार में कैंसर का इतिहास: यदि किसी के परिवार में पहले किसी को ब्लड कैंसर हुआ है, तो जोखिम बढ़ जाता है।

3 .रेडिएशन और केमिकल्स का संपर्क: बेंजीन जैसे रसायनों या रेडिएशन की अधिक मात्रा से ब्लड कैंसर का खतरा बढ़ता है।

4 .कमजोर इम्यून सिस्टम: एचआईवी/एड्स या ऑर्गन ट्रांसप्लांट के बाद कमजोर इम्यूनिटी ब्लड कैंसर का जोखिम बढ़ा सकती है।

5 .कुछ वायरल संक्रमण: जैसे कि ह्यूमन टी-सेल ल्यूकेमिया वायरस (HTLV-1) आदि।

ब्लड कैंसर के 7 प्रमुख लक्षण

1 .लगातार थकान और कमजोरी: शरीर में ऊर्जा की कमी और हर समय थकावट महसूस होना सामान्य लक्षण है।

2 .बुखार या ठंड लगना: बार-बार बुखार आना या रात में पसीना आना कैंसर की चेतावनी हो सकती है।

3 .बार-बार संक्रमण होना: इम्यून सिस्टम के कमजोर होने के कारण रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है।

4 .त्वचा पर नीले-पीले धब्बे या अधिक ब्लीडिंग: शरीर में प्लेटलेट्स की कमी से ऐसे लक्षण दिख सकते हैं।

5 .हड्डियों या जोड़ों में दर्द: विशेष रूप से पीठ, कमर या टांगों में असहनीय दर्द महसूस हो सकता है।

6 .अचानक वजन कम होना: बिना किसी कारण के तेजी से वजन घटना एक गंभीर संकेत है।

6 .लिम्फ नोड्स में सूजन: गर्दन, बगल या जांघों के पास गांठें बनना।

यूपी दरोगा भर्ती 2025: 4543 पदों पर जल्द शुरू

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में युवाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। प्रदेश पुलिस विभाग में उपनिरीक्षक (SI) यानी दरोगा के 4543 पदों पर सीधी भर्ती की प्रक्रिया जल्द शुरू होने जा रही है। उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड (UPPRPB) द्वारा इस भर्ती की तैयारियाँ अंतिम चरण में हैं और माना जा रहा है कि अगले माह तक भर्ती की आधिकारिक विज्ञप्ति जारी की जा सकती है।

24 हजार पदों पर भर्ती की तैयारी

डीजीपी मुख्यालय की ओर से पुलिस भर्ती बोर्ड को कुल 24,000 पदों पर भर्ती का प्रस्ताव भेजा गया है, जिसमें से 19220 पद सिपाही (Constable) एवं उसके समकक्ष पदों के लिए हैं, जबकि 4543 पद उपनिरीक्षक एवं समकक्ष पदों के लिए आरक्षित हैं। हालांकि, वर्तमान में बोर्ड ने पहले दरोगा भर्ती को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है।

आयु सीमा में मिली छूट

उम्मीदवारों के लिए राहत की बात यह है कि इस बार दरोगा भर्ती में आयु सीमा में 3 वर्ष की छूट देने का निर्णय शासन द्वारा पहले ही लिया जा चुका है। यह फैसला उन अभ्यर्थियों के लिए बेहद महत्वपूर्ण है जो बीते वर्षों में आयुसीमा पार कर चुके थे या कोरोना काल के कारण चयन प्रक्रिया में भाग नहीं ले सके थे।

सिपाही भर्ती में विलंब, दरोगा भर्ती को प्राथमिकता

जहां एक ओर दरोगा भर्ती की प्रक्रिया शुरू होने को है, वहीं सिपाही भर्ती में कुछ तकनीकी पहलुओं को लेकर शासन से मंजूरी की प्रतीक्षा है। इसी कारण सिपाही भर्ती में अभी और देरी की संभावना जताई जा रही है। ऐसे में भर्ती बोर्ड ने पहले दरोगा भर्ती पर ध्यान केंद्रित करने का फैसला किया है।

यूपी में पंचायत चुनाव से पहले होगा रैपिड सर्वे

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में आगामी पंचायत चुनाव की तैयारियाँ तेज़ हो चुकी हैं। इस बार चुनाव प्रक्रिया में एक बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। ओबीसी आरक्षण के निर्धारण के लिए सरकार ने पहली बार डेडिकेटेड पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है। आयोग की निगरानी में राज्य भर में रैपिड सर्वे कराया जाएगा, जो ओबीसी आबादी की हिस्सेदारी के आधार पर पंचायत सीटों का आरक्षण तय करेगा।

जिले से वॉर्ड स्तर तक होगा सर्वे

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, यह सर्वे वॉर्ड, ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत तक के स्तर पर कराया जाएगा। आयोग की टीमें जिलों में जाकर सुझाव, आपत्तियों और संवाद के जरिए स्थानीय परिस्थितियों का मूल्यांकन करेंगी। पूरी प्रक्रिया में 3 से 4 महीने का समय लग सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के ट्रिपल टेस्ट का पालन अनिवार्य

गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण को लेकर ‘ट्रिपल टेस्ट’ फॉर्मूले का पालन अनिवार्य कर रखा है। इसमें तीन बिंदु शामिल हैं: ओबीसी की जनसंख्या और सामाजिक पिछड़ेपन का डेटा जुटाना। राज्य सरकार द्वारा एक समर्पित आयोग का गठन। आरक्षण की सीमा कुल 50% से अधिक न होना। 2022 के नगर निकाय चुनाव में इस फॉर्मूले का अनुपालन न होने के कारण चुनाव प्रक्रिया बाधित हुई थी। उस समय कोर्ट की टिप्पणी के बाद सरकार को आयोग का गठन करना पड़ा था।

उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनावों में आरक्षण व्यवस्था

27% सीटें ओबीसी के लिए आरक्षित,

21% अनुसूचित जातियों के लिए,

2% अनुसूचित जनजातियों के लिए,

और इनमें से 33% सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित।

आरक्षण का निर्धारण आमतौर पर पिछली जनगणना और रोटेशन प्रणाली के आधार पर किया जाता है। हालांकि, ओबीसी वर्ग की जातिगत गणना जनगणना में न होने के कारण सरकार को रैपिड सर्वे की प्रक्रिया अपनानी पड़ती है।

बिहार के इन जिलों में आंधी-बारिश मचाएगी तबाही

पटना। बिहार में इन दिनों मानसून पूरी तरह सक्रिय हो चुका है, जिससे राज्य के अधिकतर हिस्सों में मौसम सामान्य बना हुआ है। बादलों की गड़गड़ाहट, तेज हवाएं, वज्रपात और छिटपुट से लेकर भारी वर्षा ने मौसम को सुहाना जरूर बना दिया है, लेकिन इसके साथ ही लोगों की चिंता भी बढ़ गई है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में कुछ जिलों के लिए गंभीर चेतावनी जारी की है।

पटना समेत कई जिलों में बारिश का दौर जारी

राजधानी पटना और उसके आसपास के इलाकों में लगातार छिटपुट बारिश का सिलसिला जारी है। मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के अनुसार, अगले 24 घंटों के भीतर इन इलाकों में गरज-चमक और हल्की से मध्यम वर्षा की संभावना बनी हुई है। इससे मौसम में नमी बनी रहेगी और तापमान में भी विशेष बदलाव की संभावना नहीं है।

बिहार के इन जिलों में भारी तबाही की आशंका

मौसम विभाग ने राज्य के पाँच जिलों — पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, किशनगंज और अररिया — के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इन क्षेत्रों में अत्यंत भारी वर्षा की संभावना जताई गई है, जिससे जलजमाव, नदियों का जलस्तर बढ़ने और सामान्य जनजीवन प्रभावित होने की आशंका है।

सीतामढ़ी, शिवहर, मधुबनी और सुपौल में यलो अलर्ट

इन जिलों में भारी वर्षा को लेकर यलो अलर्ट जारी किया गया है। इसका मतलब है कि लोगों को सतर्क रहने की आवश्यकता है। भारी बारिश से निचले इलाकों में पानी भरने, सड़कों के जाम होने और बिजली गिरने की घटनाएं हो सकती हैं।

अगले छह दिन: प्रदेश में आंधी और बारिश की चेतावनी

मौसम विभाग ने आगामी छह दिनों तक राज्य के विभिन्न हिस्सों में आंधी-पानी की चेतावनी दी है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली गिरने की घटनाएं चिंता का विषय बनी हुई हैं। ऐसे में किसानों और खेतों में काम करने वाले लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

प्रयागराज के 137 गावों से होकर गुजरेगी रिंग रोड

न्यूज डेस्क। प्रयागराज जनपद में बुनियादी ढांचे के तीव्र विकास के साथ-साथ अब संपत्तियों के सर्किल रेट में भी उल्लेखनीय वृद्धि की तैयारी चल रही है। राजस्व और निबंधन विभाग द्वारा गठित एक समिति वर्तमान में जिले के विभिन्न हिस्सों में सर्किल रेट बढ़ाने के लिए सर्वेक्षण कर रही है। इस प्रक्रिया का सीधा प्रभाव आम नागरिकों, निवेशकों तथा भूमि स्वामियों पर पड़ेगा। सर्किल रेट में यह प्रस्तावित वृद्धि मुख्यतः गंगा एक्सप्रेस-वे, प्रयागराज रिंग रोड और प्रयागराज-सिंगरौली हाईवे जैसे नवविकसित क्षेत्रों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है।

रिंग रोड परियोजना और प्रभावित क्षेत्र

प्रयागराज रिंग रोड परियोजना जिले की पांच प्रमुख तहसीलों — सदर, करछना, बारा, फूलपुर और सोरांव — के कुल 137 गांवों से होकर गुजरेगी। परियोजना के पहले और दूसरे चरण का कार्य प्रगति पर है, जिनमें बारा, करछना और फूलपुर के 45 गांवों में 60 प्रतिशत काम पहले ही पूरा हो चुका है। 

इन 45 गांवों में सर्किल रेट में 15 से 20 प्रतिशत की वृद्धि प्रस्तावित है। रिंग रोड का एक महत्वपूर्ण हिस्सा नैनी और झूंसी क्षेत्रों को जोड़ता है, जिसके लिए गंगा नदी पर एक नया पुल भी निर्माणाधीन है। इससे न केवल आवागमन में सुविधा होगी, बल्कि इन क्षेत्रों की रियल एस्टेट वैल्यू भी बढ़ेगी।

प्रमुख शहरी मार्गों पर सर्वेक्षण

सदर तहसील के अंतर्गत एयरपोर्ट रोड, गंगा पथ, करेली से कौशांबी मार्ग तथा एयरपोर्ट से कौशांबी मार्ग जैसे प्रमुख इलाकों में भी संपत्ति के सर्किल रेट बढ़ाने हेतु सर्वेक्षण जारी है। यह क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहे हैं और भविष्य में आवासीय तथा व्यावसायिक निवेश के केंद्र बन सकते हैं।

अन्य विकास परियोजनाएं

गंगा एक्सप्रेस-वे: यह सोरांव तहसील के 20 गांवों से होकर गुजरेगा, जहां सर्किल रेट बढ़ाने की सिफारिश की गई है।

प्रयागराज-सिंगरौली हाईवे: यह नया हाईवे प्रयागराज से मध्य प्रदेश के सिंगरौली तक निर्मित हो रहा है। इस मार्ग के किनारे स्थित गांवों की जमीनों का सर्किल रेट भी बढ़ाने की संस्तुति की गई है।

बिहार में JEE-NEET की तैयारी फ्री में, आवेदन शुरू

पटना। बिहार में इंजीनियरिंग (JEE) और मेडिकल (NEET) जैसी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे मेधावी छात्रों के लिए एक सुनहरा अवसर उपलब्ध कराया गया है। बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB) ने आर्थिक रूप से कमजोर और प्रतिभाशाली छात्रों के लिए "BSEB सुपर-50" योजना के अंतर्गत नि:शुल्क कोचिंग कार्यक्रम शुरू किया है। इस योजना का उद्देश्य योग्य विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं की उच्चस्तरीय तैयारी के लिए सहयोग प्रदान करना है, जिससे वे देश की शीर्ष तकनीकी और मेडिकल संस्थानों में दाखिला ले सकें।

आवेदन प्रक्रिया

आवेदन की अंतिम तिथि: 1 जुलाई 2025

आवेदन शुल्क: ₹100

आवेदन माध्यम: केवल ऑनलाइन

आधिकारिक वेबसाइट: coaching.biharboardonline.com/index

आपको बता दें की ऑनलाइन फॉर्म भरने के लिए छात्रों को निर्धारित वेबसाइट पर जाकर आवश्यक विवरण दर्ज करना होगा। यह स्पष्ट कर दिया गया है कि किसी भी ऑफलाइन या अन्य माध्यम से प्राप्त आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे।

पात्रता मानदंड

आवेदक ने वर्ष 2025 में कक्षा 10वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की हो। छात्र किसी भी बोर्ड से (BSEB / CBSE / ICSE या अन्य मान्यता प्राप्त बोर्ड) से 10वीं पास हो सकता है। 11वीं कक्षा में BSEB से मान्यता प्राप्त विद्यालय में एडमिशन लेना अनिवार्य होगा।

चयन प्रक्रिया

इस योजना के तहत चयनित छात्रों को मेडिकल और इंजीनियरिंग दोनों ही क्षेत्र की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उच्च गुणवत्ता की फ्री कोचिंग प्रदान की जाएगी। इसके लिए बिहार बोर्ड की ओर से "BSEB Super 50 परीक्षा" आयोजित की जाएगी, जिसमें प्रदर्शन के आधार पर छात्रों का चयन किया जाएगा।

योजना के लाभ

नि:शुल्क कोचिंग – छात्रों को JEE और NEET जैसी कठिन परीक्षाओं की तैयारी के लिए किसी प्रकार की शुल्क नहीं देनी होगी।

सर्वश्रेष्ठ मार्गदर्शन – चयनित छात्रों को अनुभवी शिक्षकों और विशेषज्ञों द्वारा पढ़ाया जाएगा।

सुविधाएं – छात्रावास, अध्ययन सामग्री, नियमित टेस्ट और मॉनिटरिंग जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जा सकती हैं (विवरण चयन के बाद मिलेगा)।

BrahMos-NG से लैस होंगे भारत के 3 फाइटर जेट

नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना को मिलने जा रही है एक और नई मारक शक्ति—BrahMos-NG। यह अत्याधुनिक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल जल्द ही भारत के तीन प्रमुख फाइटर जेट्स — MiG-29, Mirage 2000 और स्वदेशी Tejas — के साथ एकीकृत की जाएगी। IDRW की रिपोर्ट के मुताबिक, यह कदम भारतीय वायुसेना की हमलावर क्षमता को एक नई ऊंचाई देगा।

BrahMos-NG: क्या है ये 'नया ब्रह्मास्त्र'?

BrahMos-NG (Next Generation), ब्रह्मोस मिसाइल का नया और उन्नत संस्करण है। इसे भारत के DRDO और रूस की NPO Mashinostroyeniya द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। यह अपने पहले वर्जन BrahMos-A से कई मामलों में बेहतर है। इसकी रेंज 300 से 450 किलोमीटर तक हैं।

किन फाइटर जेट्स पर होगी BrahMos-NG की तैनाती?

1 .MiG-29: रूसी मूल का यह लड़ाकू विमान भारतीय वायुसेना का अहम हिस्सा है। इसकी तेज गति और मैनुवरेबिलिटी के साथ BrahMos-NG की जोड़ी इसे अत्यधिक घातक बना देगी।

2 .Mirage 2000: कारगिल युद्ध में अपनी सटीकता का प्रदर्शन कर चुका यह फ्रांसीसी विमान अब और ज्यादा खतरनाक बनेगा जब इसमें सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल जोड़ी जाएगी।

3 .Tejas (LCA): भारत में निर्मित यह हल्का लड़ाकू विमान अब BrahMos-NG से लैस होकर भारत की आत्मनिर्भर रक्षा नीति की मिसाल बनेगा।

कैसे बढ़ेगी वायुसेना की ताकत?

1 .लंबी रेंज अटैक: अब भारतीय फाइटर जेट्स दुश्मन के बेस, हथियार डिपो, और नौसेनिक ठिकानों पर 450 किमी दूर से हमला कर सकेंगे, बिना ज़रूरत से ज़्यादा जोखिम उठाए।

2 .स्टील्थ और चकमा: BrahMos-NG में लो-रेडार सिग्नेचर और एडवांस गाइडेंस सिस्टम है, जिससे यह दुश्मन के एयर डिफेंस सिस्टम को चकमा दे सकती है।

3 .अधिक फ्लेक्सिबिलिटी: हल्का और कॉम्पैक्ट डिज़ाइन होने की वजह से यह मिसाइल एक ही जेट पर दो तक लगाई जा सकती है, जिससे स्ट्राइक पावर बढ़ जाती है।

4 .तेज गति: 2.8 Mach की स्पीड से यह मिसाइल दुश्मन को रिएक्ट करने का मौका भी नहीं देती।

बिहार में स्थाई ड्राइविंग लाइसेंस के लिए नया नियम

पटना। बिहार सरकार ने स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस (Permanent Driving License) जारी करने की प्रक्रिया को और ज्यादा पारदर्शी और प्रभावी बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। अब सिर्फ आवेदन पत्र भरने से काम नहीं चलेगा। आवेदकों को हाईटेक ऑटोमेटिक ट्रैक पर रीयल टाइम ड्राइविंग टेस्ट पास करना होगा।

क्या है नया नियम?

राज्य के परिवहन विभाग ने टेस्ट प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और नियमों पर आधारित बना दिया है। नए नियमों के तहत – टू-व्हीलर (बाइक या स्कूटी) चलाने वालों को 69 सेकंड में ट्रैक पूरा करना होगा। जबकि फोर-व्हीलर (कार) चलाने वालों के लिए 4 मिनट का समय तय किया गया है। यदि कोई अभ्यर्थी निर्धारित समय और ट्रैफिक नियमों के अनुसार टेस्ट पास नहीं कर पाता है, तो उसे फेल माना जाएगा। फेल होने पर अगली बार फिर से स्लॉट बुक कर टेस्ट देना होगा।

कहां शुरू हुआ है यह सिस्टम?

फिलहाल यह नई प्रक्रिया पटना और दरभंगा में लागू की जा चुकी है। अगले चरण में इसे भागलपुर, गया, छपरा और पूर्णिया सहित अन्य जिलों में भी शुरू किया जाएगा। राज्य के 26 जिलों में ऑटोमेटिक टेस्ट ट्रैक बनकर तैयार हो चुके हैं, जबकि 10 जिलों में निर्माण कार्य जारी है।

फेल होने पर दोबारा मौका

अगर कोई उम्मीदवार ड्राइविंग टेस्ट में फेल हो जाता है, तो उसे एक सप्ताह बाद फिर से टेस्ट देने का मौका मिलेगा। एक वाहन (बाइक या कार) में फेल होने पर ₹800 शुल्क देना होगा। दोनों में फेल होने पर ₹1150 शुल्क देना पड़ेगा। अगला टेस्ट देने के लिए फिर से स्लॉट बुकिंग अनिवार्य होगी।

शुल्क और समय सीमा की जानकारी

लर्निंग लाइसेंस (LL) के लिए – ₹740

स्थायी ड्राइविंग लाइसेंस (DL) के लिए – ₹2300

यदि 6 महीने के भीतर स्थायी DL के लिए आवेदन नहीं किया गया तो लर्निंग लाइसेंस स्वतः समाप्त हो जाएगा। फिर से लर्निंग लाइसेंस बनवाने पर ₹690 शुल्क देना होगा।

पुरुषों की ताकत और स्टैमिना बढ़ाती हैं ये 5 चीजें!

हेल्थ डेस्क। आधुनिक जीवनशैली में व्यस्तता, तनाव और गलत खान-पान की वजह से पुरुषों में शारीरिक कमजोरी और थकान की समस्या बढ़ती जा रही है। शरीर की ताकत और स्टैमिना (सहनशक्ति) कम होने से न सिर्फ दैनिक कामकाज प्रभावित होते हैं, बल्कि इससे मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ता है। ऐसे में पुरुषों के लिए जरूरी है कि वे अपनी डाइट और जीवनशैली में कुछ खास बदलाव लाएं, जो उन्हें फिर से ऊर्जावान और मजबूत बनाए।

1. अश्वगंधा (Ashwagandha)

अश्वगंधा एक प्राचीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो पुरुषों की शारीरिक और मानसिक ताकत बढ़ाने में मदद करती है। यह तनाव कम करती है और टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर को बढ़ाकर वीर्य उत्पादन में सुधार लाती है। रोजाना अश्वगंधा का सेवन करने से स्टैमिना बढ़ती है और शरीर में ऊर्जा का संचार होता है।

2. अखरोट (Walnuts)

अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड, विटामिन ई और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो पुरुषों की प्रजनन क्षमता और वीर्य की गुणवत्ता बेहतर बनाते हैं। अखरोट नियमित खाने से न केवल शरीर को ताकत मिलती है, बल्कि यह मस्तिष्क की कार्यक्षमता और हार्मोन संतुलन में भी मदद करता है।

3. शहद (Honey)

शहद प्राकृतिक ऊर्जा का बेहतरीन स्रोत है। यह शरीर की सहनशक्ति बढ़ाता है और थकान को दूर करता है। शहद में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स और पोषक तत्व रक्त संचार सुधारते हैं, जिससे शरीर में ताकत और स्टैमिना बढ़ती है। विशेषकर सुबह खाली पेट शहद के सेवन से फायदा दोगुना होता है।

4. अनार (Pomegranate)

अनार में उच्च मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो शरीर की कोशिकाओं की मरम्मत करते हैं और रक्त संचार बढ़ाते हैं। यह हार्मोन के स्तर को बेहतर बनाकर पुरुषों की यौन शक्ति और स्टैमिना को बढ़ावा देता है। अनार का रस या फल दोनों ही स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं।

5. चुकंदर (Beetroot)

चुकंदर में नाइट्रिक ऑक्साइड होता है, जो रक्त वाहिकाओं को फैलाकर शरीर में ऑक्सीजन की आपूर्ति बेहतर करता है। इससे मांसपेशियों की ताकत और सहनशक्ति बढ़ती है। चुकंदर का जूस नियमित सेवन करने से शारीरिक प्रदर्शन में सुधार आता है और थकान कम होती है।

यूपी में नगर पंचायत व नगर पालिका की बढ़ी पावर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने नगर निकायों के विकास और प्रशासन में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। नगर विकास विभाग ने वर्ष 2021 में जारी मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) में व्यापक संशोधन करते हुए इसे और अधिक सरल, जवाबदेह और पारदर्शी बनाया है। इस कदम का उद्देश्य स्थानीय नगरीय निकायों को वित्तीय एवं प्रशासनिक रूप से सशक्त बनाना है ताकि वे तेजी से विकास कार्य कर सकें और उनकी गुणवत्ता सुनिश्चित हो।

यूपी में नगर पंचायत व नगर पालिका की बढ़ी पावर

संशोधित एसओपी के तहत अब यूपी की नगर पंचायतें ₹1 करोड़ तक और नगर पालिका परिषद ₹2 करोड़ तक के निर्माण एवं विकास कार्य खुद कर सकेंगी। इससे पहले उनकी वित्तीय सीमा मात्र ₹40 लाख थी, जो बाजार दरों और विकास कार्यों की बढ़ती मांग के हिसाब से कम पड़ रही थी। इस बढ़ी हुई सीमा से नगरीय निकायों को अपने क्षेत्र के विकास कार्यों को तेज़ी से और प्रभावी ढंग से संचालित करने में मदद मिलेगी।

गुणवत्ता में कमी पर कड़ी जवाबदेही

नगर विकास विभाग ने निर्माण कार्यों में गुणवत्ता और मापन त्रुटियों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए ठेकेदारों, अभियंताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही सुनिश्चित की है। यदि किसी निर्माण या विकास कार्य में गड़बड़ी पाई जाती है या गुणवत्ता में कमी होती है, तो उस अतिरिक्त भुगतान की 50 प्रतिशत राशि ठेकेदार से वसूली जाएगी और बाकी 50 प्रतिशत अभियंता और प्रशासनिक अधिकारी से। यह वसूली प्रक्रिया जिलाधिकारी के नियंत्रण में संचालित होगी और यदि राशि वसूली न हो सके तो इसे भू-राजस्व की तरह वसूला जाएगा। इससे निर्माण कार्यों में गुणवत्ता और पारदर्शिता बढ़ाने में मदद मिलेगी।

नई तकनीक के उपयोग पर जोर

नगरीय विकास कार्यों की गति और प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए नई तकनीकों को अपनाने पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। इससे विकास कार्यों की मॉनिटरिंग, निष्पादन और गुणवत्ता नियंत्रण में सुधार होगा। तकनीकी नवाचारों के कारण योजना कार्यों में तेजी और बेहतर परिणाम की उम्मीद है।

यूपी में बिगड़ेगा मौसम, 53 जिलों में बारिश के आसार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है। बीते तीन दिनों की तरह रविवार को भी प्रदेश के विभिन्न इलाकों में बदले मौसम का मिजाज देखने को मिला। मौसम विभाग ने 50 से अधिक जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है। खास बात यह है कि बारिश का यह दौर अब पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश तक भी फैलने वाला है, जिससे प्रदेश के कई हिस्सों में तापमान में गिरावट आ रही है और मौसम सुहावना बना हुआ है।

बारिश का आंकड़ा और प्रदेश में स्थिति

मौसम विभाग के अनुसार, शनिवार को पूरे प्रदेश में औसतन 5.6 मिमी बारिश दर्ज की गई। दक्षिणी उत्तर प्रदेश में विशेषकर सोनभद्र में भारी बारिश हुई, जहां 136 मिमी तक बारिश रिकॉर्ड की गई। इसके बाद श्रावस्ती का नंबर है, जहां 110.2 मिमी बारिश हुई। 1 जून से अब तक कुल 50.5 मिमी बारिश हुई है, जो कि सामान्य बारिश से 11 प्रतिशत अधिक है। मौसम विशेषज्ञ अतुल कुमार सिंह ने बताया कि बारिश का सिलसिला अभी भी जारी रहेगा और रविवार को पूर्वी तथा मध्य यूपी में भारी बारिश की संभावना है।

किस-किस जिले में है खतरा?

मौसम विभाग ने कई जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इनमें लखीमपुर खीरी, सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, रामपुर, बरेली, पीलीभीत, शाहजहांपुर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, झांसी, ललितपुर जैसे जिले शामिल हैं, जहां बहुत भारी बारिश हो सकती है।

इसके अलावा, बांदा, चित्रकूट, कौशाम्बी, प्रयागराज, फतेहपुर, प्रतापगढ़, सोनभद्र, मिर्जापुर, वाराणसी, जौनपुर, कानपुर समेत अन्य जिलों में भारी वर्षा का अनुमान है। साथ ही, कई जिलों में मेघगर्जन और वज्रपात का भी ऑरेंज अलर्ट जारी किया गया है, जिससे भारी सावधानी बरतने की जरूरत है।

मौसम की बदली हुई तस्वीर और सावधानियां

बारिश के चलते प्रदेश के कई इलाकों में तापमान में गिरावट आ रही है, जिससे मौसम सुहावना और ठंडा महसूस हो रहा है। हालांकि, भारी बारिश और वज्रपात के कारण जलभराव, बिजली गिरने, और पेड़ गिरने जैसे हादसों का खतरा बना रहेगा। आमजन को चाहिए कि वे मौसम विभाग के अपडेट पर नजर रखें और अपने आसपास के सुरक्षित स्थानों पर रहें।

यूपी में युवाओं को बिना गारंटी ₹5 लाख तक लोन

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार के नए अवसर देने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शुरू की गई मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान (सीएम-युवा) योजना, प्रदेश के लाखों युवाओं के लिए उम्मीद की एक नई किरण बनकर सामने आई है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार युवाओं को ब्याज मुक्त और गारंटी मुक्त ऋण उपलब्ध करा रही है, जिससे वे अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर सकें।

योजना का उद्देश्य

मुख्यमंत्री युवा उद्यमी योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के 21 से 40 वर्ष की आयु के युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना और उन्हें उद्यमी के रूप में स्थापित करना है। यह योजना राज्य सरकार की ‘आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश’ की दिशा में एक मजबूत पहल है, जिसके तहत हर वर्ष 1 लाख युवाओं को रोजगार देने का लक्ष्य तय किया गया है। आगामी 10 वर्षों में 10 लाख स्वरोजगार सृजित करने की योजना है।

योजना की मुख्य विशेषताएं

1 .बिना गारंटी, ब्याज मुक्त ऋण: युवाओं को 5 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त लोन दिया जाता है। यह लोन पूरी तरह गारंटी मुक्त होता है।

2 .सरल शर्तों पर पुनर्भुगतान: लोन चुकाने के लिए 6 महीने की मोरेटोरियम अवधि (ग्रेस पीरियड) दी जाती है। इसके बाद आसान किस्तों में लोन चुकाया जा सकता है।

3 .सरकार से सब्सिडी: परियोजना लागत का 10% हिस्सा सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में दिया जाता है।

4 .प्रशिक्षण और मार्गदर्शन: युवा उद्यमियों को व्यवसाय शुरू करने से पहले और बाद में प्रशिक्षण एवं तकनीकी मार्गदर्शन प्रदान किया जाता है।

5 .CGTMSE कवरेज: योजना में क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल एंटरप्राइजेज (CGTMSE) के तहत 4 साल तक सुरक्षा कवच प्रदान किया जाता है।

कैसे करें आवेदन?

इस योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक युवाओं को ऑनलाइन आवेदन करना होता है। चयन के बाद उन्हें ट्रेनिंग दी जाती है और फिर लोन की स्वीकृति दी जाती है। योजना का संचालन उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन (UPSDM) और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग (MSME) के माध्यम से किया जा रहा है।

यूपी में सभी सरकारी जमीन से हटेगा अवैध कब्जा

न्यूज डेस्क। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार द्वारा अवैध कब्जों और भू-माफिया के खिलाफ सख्त अभियान चलाया जा रहा है। इसी कड़ी में गाजीपुर जिला प्रशासन ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए फैजउल्लापुर क्षेत्र में करीब दो करोड़ रुपये मूल्य की सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया है। यह कार्रवाई प्रदेश में प्रशासनिक सख्ती और पारदर्शिता का एक अहम उदाहरण बन गई है।

कैसे हुआ अतिक्रमण का खुलासा

प्रशासन को सूचना मिली थी कि फैजउल्लापुर क्षेत्र में राज्य सरकार की नजूल श्रेणी की 0.230 हेक्टेयर जमीन पर कुछ लोगों ने गुपचुप तरीके से बाउंड्रीवाल बनवा ली है और उसे सात गाटों में बांटकर प्लॉटिंग की योजना तैयार की जा रही है। इस जमीन का बाजार मूल्य लगभग दो करोड़ रुपये आंका गया है। सूचना मिलते ही प्रशासन हरकत में आया और मौके पर सीमांकन और जांच कराई गई, जिसमें जमीन पर अवैध कब्जा साबित हुआ।

बुलडोजर चला, अवैध निर्माण ध्वस्त

जांच के बाद प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए जेसीबी मशीनों की मदद से अवैध बाउंड्रीवाल को ढहा दिया। मौके पर पुलिस बल की मौजूदगी में यह कार्रवाई शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुई। यह स्पष्ट संदेश है कि राज्य सरकार अब किसी भी हालत में भू-माफियाओं को बख्शने के मूड में नहीं है।

सरकारी जमीन का होगा जनहित में उपयोग

प्रशासन ने सिर्फ अतिक्रमण हटाने तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि खाली कराई गई जमीन के बेहतर उपयोग की योजना भी तैयार की है। फैजउल्लापुर में यह जमीन ऑडिटोरियम के पास स्थित है, जहां पार्किंग की लंबे समय से समस्या बनी हुई थी। अब इस खाली कराई गई जमीन पर पार्किंग स्थल बनाया जाएगा, जिससे स्थानीय नागरिकों को बड़ी राहत मिलेगी और यातायात व्यवस्था भी बेहतर होगी।

अवैध कब्जे पर भविष्य में भी होगी सख्त कार्रवाई

एडीएम (भू-राजस्व) आयुष चौधरी ने स्पष्ट किया कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि शहर के अन्य हिस्सों में भी अतिक्रमण की शिकायतें मिली हैं, जिनकी जांच की जा रही है और जल्द ही उन पर भी कार्रवाई की जाएगी।

बिहार में इन 'शिक्षकों' का रद्द हो जाएगा ट्रांसफर

पटना। बिहार शिक्षा विभाग ने राज्य के सरकारी स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के तबादले को लेकर एक सख्त और निर्णायक कदम उठाया है। विभाग ने साफ कर दिया है कि जो शिक्षक ट्रांसफर के बाद निर्धारित समय-सीमा में नए विद्यालय में योगदान नहीं देंगे, उनका ट्रांसफर स्वतः रद्द कर दिया जाएगा और वे अगले एक साल तक तबादले के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे।

क्या है नया आदेश?

प्राथमिक शिक्षा निदेशक द्वारा जारी आदेश के अनुसार, जिन शिक्षकों का हाल ही में तबादला किया गया है, उन्हें 30 जून 2025 तक अपने नए स्कूल में योगदान देना अनिवार्य है। यदि कोई शिक्षक इस तारीख तक योगदान नहीं करता है, तो उनका ट्रांसफर 1 जुलाई 2025 को स्वतः रद्द माना जाएगा।

योगदान देने की प्रक्रिया

ट्रांसफर के बाद शिक्षक को "शिक्षा ई-कोष" पोर्टल से अपना योगदान-पत्र डाउनलोड करना होगा। इसके बाद: स्वयं हस्ताक्षर कर उसे नए विद्यालय के प्रधानाध्यापक से प्रमाणित कराना होगा। यदि शिक्षक अध्ययन अवकाश, मातृत्व अवकाश या अन्य वैध कारणों से अनुपस्थित हैं, तो वे उस योगदान-पत्र पर हस्ताक्षर कर स्कैन कॉपी ईमेल या अन्य माध्यमों से विद्यालय को भेज सकते हैं।

कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई

शिक्षा विभाग का यह फैसला उन शिक्षकों के लिए चेतावनी है, जो तबादले के बावजूद योगदान देने में लापरवाही बरतते हैं। इस आदेश के अनुसार: योगदान न करने पर ट्रांसफर स्वतः रद्द हो जाएगा। ऐसा करने वाले शिक्षक अगले 1 वर्ष तक ट्रांसफर के लिए पात्र नहीं होंगे।

इस फैसले के पीछे क्या है कारण?

इस सख्ती के पीछे विभाग की मंशा स्पष्ट है— शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, समयबद्धता और जवाबदेही सुनिश्चित करना। अकसर देखा जाता है कि शिक्षक तबादला तो करवा लेते हैं, लेकिन मनपसंद जगह नहीं मिलने पर योगदान नहीं करते, जिससे विद्यालयों में शिक्षकों की कमी और असंतुलन की स्थिति बन जाती है।

बिहार में 'क्लर्क' की भर्ती: वेतन 60 हजार से ज्यादा

पटना। बिहार में सरकारी बैंक की नौकरी का सपना देख रहे युवाओं के लिए सुनहरा मौका सामने आया है। बिहार राज्य सहकारी बैंक (Bihar State Cooperative Bank) और उससे संबद्ध जिला सहकारी बैंकों में क्लर्क और असिस्टेंट के पदों पर कुल 257 रिक्तियों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू हो गई है। यह भर्ती 2025 की सबसे बड़ी बैंकिंग नौकरियों में से एक मानी जा रही है, जिसमें अच्छे वेतन और स्थायित्व के साथ काम करने का अवसर मिलेगा।

ऑनलाइन आवेदन की तिथि और लिंक

आवेदन की अंतिम तिथि: 10 जुलाई 2025

आधिकारिक वेबसाइट: biharscb.co.in

रिक्त पदों का विवरण (Total: 257)

यह भर्ती सहायक (Assistant/Clerk) पदों के लिए की जा रही है। रिक्तियां बिहार राज्य सहकारी बैंक और विभिन्न जिला सहकारी बैंकों में वितरित की गई हैं। विस्तृत विवरण भर्ती अधिसूचना में उपलब्ध है।

आवेदन शुल्क (Application Fee)

सामान्य / ओबीसी / अन्य के लिए आवेदन शुल्क ₹1,000, जबकि एससी / एसटी / दिव्यांग के लिए ₹800, शुल्क का भुगतान केवल ऑनलाइन माध्यम (नेट बैंकिंग, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड आदि) से किया जा सकता है।

शैक्षिक योग्यता और आयु सीमा 

किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक (Graduate) होना अनिवार्य।  उम्मीदवार की उम्र 18 से 33 वर्ष के बीच होनी चाहिए (आरक्षित वर्गों को नियमानुसार छूट दी जाएगी)।

चयन प्रक्रिया (Selection Process)

उम्मीदवारों का चयन ऑनलाइन परीक्षा के माध्यम से किया जाएगा। चयन प्रक्रिया में सामान्यतः दो चरण शामिल होंगे: प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary Exam), मुख्य परीक्षा (Main Exam), इसके बाद दस्तावेज़ सत्यापन और फाइनल मेरिट लिस्ट तैयार की जाएगी।

वेतनमान (Salary Details)

बिहार राज्य सहकारी बैंक में वेतन ₹24,050 से ₹64,480 तक होगा।

कुछ जिला सहकारी बैंकों में वेतन ₹17,900 से ₹47,920 तक तय किया गया है।

कुछ अन्य बैंकों में वेतन ₹7,200 से ₹19,300 तक मिलेगा।

कुछ बैंकों में वेतन ₹11,765 से ₹31,540 तक मिलेगा।

ICBM मिसाइलों की रेस में कौन नंबर वन? भारत भी शामिल

नई दिल्ली। दुनिया की सैन्य ताकत अब सिर्फ पारंपरिक हथियारों से नहीं, बल्कि अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) की क्षमताओं से मापी जा रही है। महज आठ देश ऐसे हैं जिनके पास यह घातक हथियार मौजूद है। इनमें भारत का भी नाम शामिल है, जिसने हालिया वर्षों में तेज़ी से इस तकनीक में महारत हासिल की है। लेकिन सवाल यह है कि इस रेस में कौन सबसे आगे है?

ICBM: कुछ ही देशों के पास ये सामरिक शक्ति

वर्तमान में जिन देशों के पास ICBM मौजूद हैं, वे हैं: संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, भारत, यूनाइटेड किंगडम, इजरायल और उत्तर कोरिया। इन सभी देशों की ICBM क्षमताएं न केवल उनके सैन्य दबदबे को दर्शाती हैं, बल्कि वैश्विक भू-राजनीति में उनकी स्थिति को भी मजबूत बनाती हैं।

आईसीबीएम ऐसी मिसाइलें होती हैं जो 5,500 किलोमीटर या उससे अधिक दूरी तक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम होती हैं। ये मिसाइलें महज कुछ ही मिनटों में किसी भी महाद्वीप तक पहुँच सकती हैं, जिससे इनका सामरिक महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

भारत की स्थिति: अग्नि-5 से बढ़ी ताकत

भारत ने अपने अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षणों के जरिए खुद को ICBM क्लब में मजबूती से स्थापित किया है। 5,000 किलोमीटर से अधिक रेंज वाली यह मिसाइल भारत की रणनीतिक क्षमता को नई ऊंचाई देती है। इसके अलावा DRDO द्वारा विकसित हो रही तकनीकों से भारत की परमाणु त्रिकोण (nuclear triad) भी मजबूत हो रही है।

कौन सबसे आगे?

1. रूस

रूस इस क्षेत्र में तकनीक और तैनाती दोनों में सबसे आगे माना जाता है। इसकी RS-28 Sarmat (Satan-2) जैसी मिसाइलें 18,000 किमी से अधिक दूरी तय कर सकती हैं और कई परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हैं।

2. अमेरिका

अमेरिका के पास Minuteman-III और विकासाधीन Sentinel ICBM जैसी आधुनिक प्रणालियां हैं। यह देश तकनीकी सटीकता और प्रतिक्रिया क्षमता में शीर्ष पर है। इसकी रेंज 13000 किलोमीटर से ज्यादा हैं।

3. चीन

चीन ने हाल के वर्षों में अपनी परमाणु नीति में बड़ा विस्तार किया है। DF-41 जैसी मिसाइलें इसे ICBM रेस में शीर्ष तीन में रखती हैं। इसकी रेंज 13000 से 15000 किमी बताई जाती हैं।

पाकिस्तान की गैर-मौजूदगी

पाकिस्तान, जो परमाणु संपन्न राष्ट्र है, फिलहाल ICBM क्षमता से वंचित है। उसकी लंबी दूरी की मिसाइलें अधिकतम 2,750 किमी तक ही सीमित हैं, जो ICBM के मानक से बहुत नीचे हैं। इससे उसे रणनीतिक रूप से वैश्विक स्तर पर पीछे माना जाता है।

पुरुषों के लिए 4 शक्तिशाली चीजें: वीर्य को बनाती है बलवान!

हेल्थ डेस्क। पुरुषों की सेहत और खासकर वीर्य की गुणवत्ता उनके संपूर्ण स्वास्थ्य और मर्दाना शक्ति का एक महत्वपूर्ण पहलू है। कमजोर या पतला वीर्य न केवल फर्टिलिटी की समस्या पैदा कर सकता है, बल्कि पुरुषों के आत्मविश्वास पर भी गहरा असर डालता है। सौभाग्य से, कुछ प्राकृतिक और आसान उपाय हैं जो वीर्य को बलवान और स्वस्थ बनाने में मदद कर सकते हैं।

1. पोषण से भरपूर आहार

शक्ति और ऊर्जा के लिए सही आहार बहुत जरूरी है। खाने में प्रोटीन, विटामिन ई, जिंक और ओमेगा-3 फैटी एसिड की मौजूदगी वीर्य की गुणवत्ता सुधारती है। अंडे, मछली, नट्स, बीज, पालक और हरी सब्जियां नियमित आहार में शामिल करें। ये पदार्थ वीर्य को गाढ़ा और स्वस्थ बनाते हैं।

2. नियमित व्यायाम और योग

शारीरिक सक्रियता न केवल संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए जरूरी है, बल्कि यह रक्त संचार को बढ़ाकर वीर्य की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में सुधार करता है। योगासन जैसे मुलबंध, कपालभाति और सर्पासन वीर्य उत्पादन को प्रोत्साहित करते हैं। इसके साथ ही नियमित वर्कआउट से टेस्टोस्टेरोन का स्तर भी बढ़ता है।

3. तनाव से बचाव और पर्याप्त नींद

आज के व्यस्त जीवन में तनाव और नींद की कमी पुरुषों की मर्दाना क्षमता पर बुरा प्रभाव डालती है। तनाव हार्मोन कोर्टिसोल को बढ़ाता है, जो वीर्य उत्पादन को प्रभावित करता है। इसलिए ध्यान, मेडिटेशन और गहरी नींद लेना अत्यंत आवश्यक है।

4. प्राकृतिक हर्ब और सप्लीमेंट्स

कुछ हर्बल उपाय जैसे अश्वगंधा, शतावरी, शिलाजीत, मक्खन और साबरपट्टे का सेवन वीर्य को मजबूती और गाढ़ापन देने में सहायक होता है। ये प्राकृतिक तत्व टेस्टोस्टेरोन के स्तर को बढ़ाकर मर्दाना शक्ति को बढ़ावा देते हैं। इससे शरीर भी ऊर्जावान रहता हैं।

8वें वेतन आयोग: ग्रुप A,B,C,D कर्मचारियों के लिए अच्छी है खबर!

नई दिल्ली। भारत सरकार ने 8वें वेतन आयोग को मंजूरी दे दी है, जो देश के लगभग एक करोड़ केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों और रिटायर कर्मियों की सैलरी और पेंशन में बड़ा बदलाव लेकर आएगा। यह बदलाव 1 जनवरी, 2026 से प्रभावी होने की संभावना है। 8वें वेतन आयोग के जरिए सरकारी कर्मचारियों के वेतन संरचना में सुधार होगा, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होगा।

8वें वेतन आयोग के मुख्य बदलाव

सबसे बड़ा बदलाव फिटमेंट फैक्टर (Fitment Factor) में होने की उम्मीद है। पिछले 7वें वेतन आयोग में यह फैक्टर 2.57 था, जबकि अब यह बढ़कर लगभग 2.86 तक पहुंच सकता है। इस वृद्धि का सीधा असर कर्मचारियों की बेसिक सैलरी और पेंशन पर पड़ेगा।

मिनिमम बेसिक सैलरी: वर्तमान में 18,000 रुपये से बढ़कर लगभग 51,480 रुपये हो सकती है।

मिनिमम पेंशन: 9,000 रुपये से बढ़कर 25,740 रुपये तक जा सकती है।

वेतन के साथ भत्तों में भी होगा संशोधन

8वें वेतन आयोग में सिर्फ बेसिक सैलरी नहीं, बल्कि हाउस रेंट अलाउंस (HRA), ट्रैवल अलाउंस (TA) जैसे भत्तों को भी अपडेट किया जाएगा। भत्ते कर्मचारी की तैनाती स्थान और नौकरी में यात्राओं की संख्या पर निर्भर करेंगे। इसलिए समान ग्रेड के कर्मचारियों को भत्तों में अंतर भी देखने को मिल सकता है।

NPS और CGHS पर प्रभाव

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) के तहत केंद्र सरकार के कर्मचारी वेतन और महंगाई भत्ते का 10% हिस्सा योगदान करते हैं, जबकि सरकार 14% देती है। 8वें वेतन आयोग के बाद वेतन वृद्धि के अनुरूप ये योगदान भी बढ़ेंगे। केंद्रीय स्वास्थ्य योजना (CGHS) के लिए भी सदस्यता शुल्क में वेतन वृद्धि के अनुसार संशोधन होने की संभावना है, जिससे स्वास्थ्य लाभ योजनाओं की लागत भी बढ़ेगी।

विभिन्न पे ग्रेड में वेतन वृद्धि का अनुमान

ग्रेड 2000 (लेवल 3): फिटमेंट फैक्टर 2.28 के आधार पर मूल वेतन 57,456 रुपये तक बढ़ सकता है। भत्ते जोड़ने पर ग्रोस सैलरी 74,845 रुपये तक पहुंच सकती है, और कटौतियों के बाद टेक-होम सैलरी लगभग 68,849 रुपये हो सकती है।

ग्रेड 4200 (लेवल 6): संशोधित मूल वेतन 93,708 रुपये, सकल वेतन 1,19,798 रुपये, और कटौती के बाद लगभग 1,09,977 रुपये मासिक वेतन अनुमानित है।

ग्रेड 5400 (लेवल 9): मूल वेतन 1,40,220 रुपये, ग्रोस सैलरी 1,81,073 रुपये, और कुल वेतन लगभग 1,66,401 रुपये होने की संभावना है।

बिहार में गर्मी की छुट्टियां खत्म, आज से खुलेंगे स्कूल

पटना। बिहार में लंबे समय तक चली गर्मी की छुट्टियों के बाद अब राज्य भर के स्कूल एक बार फिर विद्यार्थियों की चहल-पहल से गुलजार होने जा रहे हैं। सोमवार से प्रदेश के लगभग 81 हजार सरकारी स्कूल—जिनमें प्रारंभिक से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालय शामिल हैं—फिर से खुल गए हैं। दो जून से शुरू हुई ग्रीष्मावकाश के बाद स्कूलों में अब सामान्य समयानुसार कक्षाएं संचालित होंगी, जो सुबह 9:30 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक चलेंगी।

बच्चों के स्वागत में उत्सव जैसा वातावरण

सरकार द्वारा एक प्रेरणादायक पहल के तहत, स्कूलों के पहले सप्ताह को "स्वागत सप्ताह" के रूप में मनाया जाएगा। इस दौरान शिक्षक तिलक लगाकर बच्चों का स्वागत करेंगे, जिससे विद्यार्थियों में विद्यालय के प्रति उत्साह और आत्मीयता की भावना विकसित हो सके। यह आयोजन न केवल एक सांस्कृतिक परंपरा को बढ़ावा देगा, बल्कि बच्चों के मन में स्कूल के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी उत्पन्न करेगा।

नई समय-सारणी और शैक्षणिक योजना

स्कूलों में प्रार्थना सभा का आयोजन हर दिन सुबह 9:30 से 10 बजे तक किया जाएगा। इसके बाद पढ़ाई का क्रम शुरू होगा, जिसमें प्रत्येक पीरियड की अवधि 40 मिनट निर्धारित की गई है। मध्याह्न भोजन का भी प्रबंध पहले की तरह सुचारु रूप से जारी रहेगा।

साप्ताहिक शिक्षण कार्यक्रम में कुछ विशेष

बुधवार को गणित के अभ्यास कार्य पर ज़ोर दिया जाएगा, जिससे बच्चों की तार्किक क्षमता का विकास हो सके।

गुरुवार को हिन्दी भाषा की रीडिंग गतिविधि आयोजित की जाएगी, जिसमें विद्यार्थियों से किसी अध्याय को पढ़वाया जाएगा ताकि उनकी भाषा कौशल में सुधार हो।

शुक्रवार को विद्यार्थियों को विभिन्न उपलब्धियों के लिए बैज देकर सम्मानित किया जाएगा, जिससे उनमें प्रतिस्पर्धात्मक भावना और आत्मबल का संचार हो।

यूपी पंचायत चुनाव 2026: सभी पदों पर लागू होगा आरक्षण

न्यूज डेस्क: उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव 2026 की तैयारियां तेज हो गई हैं। राज्य सरकार ने इस बार पंचायत चुनाव को लेकर कई अहम फैसले लिए हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण फैसला ओबीसी आरक्षण को लेकर है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में तय किया गया कि इस बार पंचायत चुनाव के सभी पदों पर आरक्षण लागू किया जाएगा और इसके लिए ओबीसी आयोग का गठन किया गया है।

आरक्षण को लेकर सरकार की स्पष्ट नीति

सरकार का रुख इस बार बेहद साफ और पारदर्शी है। उसका कहना है कि पिछड़े वर्ग (OBC) को उनका संवैधानिक अधिकार पूरी तरह मिलेगा, लेकिन यह प्रक्रिया बिना किसी कानूनी अड़चन और विवाद के पूरी की जाएगी। इसीलिए पंचायत चुनाव से पहले एक समर्पित ओबीसी आयोग गठित किया गया है, जो आंकड़ों के आधार पर यह निर्धारित करेगा कि किन-किन पदों पर ओबीसी को आरक्षण मिलना चाहिए।

पंचायत चुनाव अप्रैल 2026 में होंगे

राज्य के पंचायतीराज विभाग ने घोषणा की है कि पंचायत चुनाव अप्रैल 2026 में कराए जाएंगे। इस बार प्रदेश की 57,695 ग्राम पंचायतों में चुनाव होंगे। सीटों की संख्या तय की जा चुकी है और अब अगला कदम है सीटवार आरक्षण निर्धारण। इस बार ग्राम प्रधान से लेकर जिला पंचायत सदस्य तक सभी पदों पर आरक्षण लागू होगा, जिसमें ओबीसी वर्ग को उनकी संख्या और सामाजिक स्थिति के अनुरूप प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जाएगा।

पारदर्शी प्रक्रिया होगी लागू

ओबीसी आयोग पूरी पारदर्शिता के साथ सर्वे और अध्ययन करेगा और फिर सरकार को रिपोर्ट सौंपेगा। इसके आधार पर ही प्रत्येक पंचायत स्तर पर आरक्षण लागू किया जाएगा। आयोग यह भी सुनिश्चित करेगा कि कोई वर्ग आरक्षण से वंचित न रहे और सभी को समान अवसर मिले।

सामाजिक न्याय की दिशा में कदम

यह फैसला केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की दृष्टि से भी बेहद अहम है। उत्तर प्रदेश जैसे बड़े और विविध सामाजिक संरचना वाले राज्य में यह सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि हर वर्ग को राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिले। ओबीसी वर्ग को पंचायत स्तर पर आरक्षण मिलने से उनकी राजनीतिक भागीदारी मजबूत होगी और ग्रामीण विकास में उनकी भूमिका और प्रभाव भी बढ़ेगा।