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लिवर, किडनी और दिल के लिए वरदान हैं 3 फल, रोज़ खाएं!

हेल्थ डेस्क। आज के दौर में भागदौड़ भरी ज़िंदगी, अनियमित खानपान और बढ़ता तनाव हमारे शरीर के सबसे ज़रूरी अंगों लिवर, किडनी और दिल पर सीधा असर डालता है। लेकिन अगर आप चाहते हैं कि ये तीनों अंग लंबे समय तक स्वस्थ और सक्रिय रहें, तो रोज़ाना कुछ खास फलों को अपनी डाइट में शामिल करना बेहद फायदेमंद हो सकता है।

विशेषज्ञों के अनुसार, प्राकृतिक फलों में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट, फाइबर और आवश्यक विटामिन्स शरीर को अंदर से डिटॉक्स करते हैं और अंगों की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं। आइए जानते हैं ऐसे ही तीन फलों के बारे में, जो आपके लिवर, किडनी और दिल के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं।

1. सेब: दिल का सच्चा साथी

सेब में मौजूद पेक्टिन नामक घुलनशील फाइबर शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में मदद करता है, जो किडनी और लिवर पर पड़ने वाले दबाव को कम करता है। साथ ही सेब में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट्स और फ्लेवोनॉयड्स हृदय को मज़बूत बनाते हैं और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रित रखते हैं।

2. जामुन/ब्लूबेरी: लिवर और किडनी के लिए बेमिसाल

ब्लूबेरी या भारतीय जामुन, दोनों ही एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होते हैं। इन फलों में मौजूद एंथोसाइनिन शरीर में सूजन को कम करता है और लिवर की कोशिकाओं को डैमेज से बचाता है। इसके अलावा, ये फल ब्लड शुगर कंट्रोल करने में मदद करते हैं, जिससे डायबिटिक पेशेंट्स में किडनी पर पड़ने वाला असर कम होता है।

3. अमरूद: हृदय और लिवर के लिए बेहतरीन सुपरफूड

अमरूद में विटामिन C की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करता है और शरीर में फ्री रेडिकल्स से लड़ने में मदद करता है। इसका हाई फाइबर कंटेंट कोलेस्ट्रॉल कम करता है, जिससे दिल स्वस्थ रहता है। साथ ही यह लिवर को डिटॉक्स करता है और उसके कार्य को बेहतर बनाता है।

RRB भर्ती 2025: जूनियर इंजीनियर के 2570 पदों पर भर्ती

नई दिल्ली। रेलवे भर्ती बोर्ड (RRB) ने इंजीनियरिंग क्षेत्र में करियर बनाने की चाह रखने वाले युवाओं के लिए एक बड़ा अवसर प्रस्तुत किया है। आरआरबी ने जूनियर इंजीनियर (JE), डिपो सामग्री अधीक्षक (DMS) और रासायनिक व धातुकर्म सहायक (CMA) के कुल 2570 पदों पर भर्ती के लिए अधिसूचना (CEN 05/2025) जारी कर दी है।

शैक्षिक योग्यता:

उम्मीदवारों के पास मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय/संस्थान से संबंधित विषय में इंजीनियरिंग डिप्लोमा या BE/B.Tech डिग्री होना अनिवार्य है।

आवेदन शुल्क:

सामान्य/OBC/EWS के लिए ₹500/-, SC/ST/PwBD/महिला/Ex-Servicemen के लिए ₹250/-, जबकि ट्रांसजेंडर के लिए ₹0/- (निःशुल्क)

आयु सीमा: 

01 जनवरी 2026 के अनुसार उम्मीदवारों की न्यूनतम आयु 18 वर्ष, जबकि अधिकतम आयु 33 वर्ष निर्धारित किया गया हैं। (आरक्षित श्रेणियों को नियमानुसार आयु में छूट प्राप्त होगी)

वेतनमान:

इन पदों पर चयनित उम्मीदवारों को लेवल-6 के तहत ₹35,400/- प्रति माह का प्रारंभिक वेतन मिलेगा, साथ ही अन्य भत्ते भी देय होंगे।

चयन प्रक्रिया:

उम्मीदवारों का चयन दो चरणों की कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT 1 और CBT 2) के माध्यम से किया जाएगा। इसके बाद दस्तावेज़ सत्यापन और मेडिकल परीक्षण होगा।

आवेदन कैसे करें?

उम्मीदवार संबंधित आरआरबी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन फॉर्म भर सकते हैं। आवेदन भरने से पहले आधिकारिक अधिसूचना ध्यानपूर्वक पढ़ना अनिवार्य है।

महत्वपूर्ण तिथियां:

ऑनलाइन आवेदन आरंभ: 31 अक्टूबर 2025

ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि: 30 नवंबर 2025

ट्रंप की टैरिफ से परेशान भारत, चीन ने दिया बड़ा तोहफा!

नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय व्यापार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम सामने आया है, जिसमें चीन ने भारतीय दवा कंपनियों के लिए अपने बाजार के दरवाज़े पूरी तरह खोल दिए हैं। अब भारतीय फार्मास्युटिकल कंपनियां चीन को दवाइयां बिना किसी टैरिफ के निर्यात कर सकेंगी। यह कदम केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि भूराजनीतिक समीकरणों के लिहाज से भी बेहद अहम माना जा रहा है।

चीन का फैसला: रणनीतिक और आर्थिक दोनों

अब तक चीन भारतीय फार्मा उत्पादों पर लगभग 30 प्रतिशत टैरिफ वसूलता था, जिससे भारतीय कंपनियों के लिए चीनी बाजार में प्रतिस्पर्धा करना कठिन हो रहा था। लेकिन अब टैरिफ हटाए जाने के साथ भारतीय कंपनियों को चीन में विस्तार करने का सुनहरा अवसर मिलेगा। यह फैसला ऐसे समय आया है जब अमेरिका ने भारतीय फार्मा उत्पादों पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इस प्रकार, चीन का यह कदम न सिर्फ भारत के लिए आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि यह अमेरिका को एक स्पष्ट संदेश भी देता है कि एशियाई ताकतें व्यापारिक मोर्चे पर एकजुट होकर वैश्विक दबाव का जवाब दे सकती हैं।

अमेरिका को झटका: ट्रंप की नीति पर सवाल

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" नीति के अंतर्गत कई देशों के साथ टैरिफ युद्ध छेड़ा गया, जिसमें भारत भी शामिल था। खासतौर पर फार्मा सेक्टर में अमेरिका द्वारा टैरिफ बढ़ाने से भारतीय निर्यातकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। लेकिन अब चीन द्वारा भारतीय दवाओं पर टैरिफ समाप्त किए जाने से अमेरिका को बड़ा भूराजनीतिक झटका लगा है।

एससीओ शिखर सम्मेलन की भूमिका

भारत, चीन और रूस की हालिया समीपता ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नया ध्रुव तैयार कर दिया है। एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) के शिखर सम्मेलन के दौरान इन तीनों देशों के बीच बढ़ती साझेदारी ने अमेरिका की चिंताओं को और गहरा कर दिया है। रूस जहां यूक्रेन संकट पर अपने रुख से पीछे नहीं हटा, वहीं भारत और चीन व्यापारिक स्तर पर समीप आ रहे हैं।

भारत की रणनीति: संतुलन और अवसर

भारत ने अब तक अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ पर कोई प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया नहीं दी है। इससे यह संकेत मिलता है कि भारत राजनयिक संतुलन बनाए रखना चाहता है, लेकिन साथ ही वह चीन जैसे बड़े बाजारों में अवसरों को भी भुनाने के लिए तैयार है। यह रणनीति भारत को वैश्विक व्यापार में एक निर्णायक भूमिका में लाने की दिशा में अग्रसर कर रही है।

केंद्र सरकार दे सकती है 3% DA की सौगात, लेकिन कब?

नई दिल्ली। त्योहारी मौसम की शुरुआत हो चुकी है, और इसी के साथ केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों की निगाहें एक बार फिर महंगाई भत्ते (Dearness Allowance - DA) और महंगाई राहत (Dearness Relief - DR) की घोषणा पर टिक गई हैं। हर साल की तरह इस बार भी जुलाई से लागू होने वाले DA में संभावित बढ़ोतरी की उम्मीद की जा रही है, लेकिन अब तक कोई आधिकारिक अधिसूचना सामने नहीं आई है।

DA बढ़ोतरी: प्रक्रिया और परंपरा

केंद्र सरकार साल में दो बार जनवरी और जुलाई में DA और DR में संशोधन करती हैं। आमतौर पर इनकी घोषणा मार्च-अप्रैल (जनवरी की बढ़ोतरी के लिए) और सितंबर-अक्टूबर (जुलाई की बढ़ोतरी के लिए) में होती है। इस बार भी यही उम्मीद की जा रही थी कि सितंबर के अंतिम सप्ताह तक केंद्र सरकार DA बढ़ोतरी की घोषणा कर देगी। लेकिन इस बार अब तक कोई फैसला सामने नहीं आया है, जिससे लाखों कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में असमंजस और असंतोष की स्थिति बनी हुई है।

कब मिल सकता है फैसला?

ऐतिहासिक रूप से देखा जाए तो दीपावली से पहले सरकार DA बढ़ोतरी की घोषणा करती रही है, ताकि त्योहारों के दौरान कर्मचारियों को राहत और अतिरिक्त खर्च के लिए कुछ सहूलियत मिल सके। ऐसे में यह उम्मीद जताई जा रही है कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में सरकार इसकी अधिसूचना जारी कर सकती है और साथ ही तीन महीने का बकाया DA भी जारी किया जा सकता है।

3% बढ़ोतरी की संभावना

मीडिया रिपोर्ट्स और कर्मचारी संगठनों के अनुमानों के अनुसार, इस बार DA में 3% की वृद्धि की संभावना है। अगर ऐसा होता है, तो वर्तमान में 55% पर चल रहा DA बढ़कर 58% हो जाएगा। यह संशोधन सातवें वेतन आयोग के तहत अंतिम हो सकता है, क्योंकि उम्मीद है कि जनवरी 2026 से आठवां वेतन आयोग लागू किया जाएगा।

CCGEW की नाराजगी और प्रतिक्रिया

केंद्रीय कर्मचारियों के प्रमुख संगठन, कन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लॉइज एंड वर्कर्स (CCGEW) ने इस देरी पर नाराज़गी जताई है। संगठन का कहना है कि हर साल सितंबर के अंत तक DA/DR की घोषणा कर दी जाती थी, और अक्टूबर की शुरुआत में तीन महीने का एरियर दिया जाता था। लेकिन इस बार सरकार की चुप्पी कर्मचारियों में असंतोष बढ़ा रही है।

रेल कर्मचारियों को बोनस, लेकिन DA पर सस्पेंस

हाल ही में 24 सितंबर को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय कैबिनेट बैठक में रेलवे कर्मचारियों को 78 दिनों के वेतन के बराबर बोनस देने की घोषणा की गई। हालांकि, उसी बैठक में DA या DR को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया, जिससे अन्य विभागों के कर्मचारी खुद को नजरअंदाज महसूस कर रहे हैं।

राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला पुणे में 40 पदों पर भर्ती

पुणे। राष्ट्रीय रासायनिक प्रयोगशाला (NCL), पुणे ने इच्छुक और योग्य आईटीआई उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के लिए 40 शिक्षु पदों पर भर्ती की घोषणा की है। इच्छुक अभ्यर्थी 10 अक्टूबर 2025 को आयोजित वॉक-इन-इंटरव्यू में भाग लेकर आवेदन प्रक्रिया पूरी कर सकते हैं।

पदों का विवरण:

कुल पद: 40, सामान्य (UR): 17 पद, अनुसूचित जाति (SC): 04 पद, अनुसूचित जनजाति (ST): 04 पद, अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC): 11 पद, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS): 04 पद। 

शैक्षणिक योग्यता:

अभ्यर्थी को NCVT (National Council for Vocational Training) से मान्यता प्राप्त संस्थान से संबंधित ट्रेड में आईटीआई उत्तीर्ण होना आवश्यक है।

आयु सीमा:

इन पदों पर आवेदन करने के लिए उम्मीदवारों की अधिकतम आयु 24 वर्ष निर्धारित की गई है। आरक्षित वर्गों को नियमानुसार आयु में छूट प्रदान की जाएगी।

वेतनमान:

इन पदों पर चयनित अभ्यर्थियों को प्रतिमाह ₹7700 से ₹8050 तक का मानदेय दिया जाएगा। इसके बारे में अधिक जानकारी नोटिश से प्राप्त करें।

आधिकारिक वेबसाइट:

अधिक जानकारी के लिए और आधिकारिक अधिसूचना पढ़ने हेतु उम्मीदवार www.ncl-india.org पर विज़िट कर सकते हैं। वहीं से आवेदन फॉर्म भी डाउनलोड किया जा सकता है।

अमेरिका को सबक सीखा सकता है भारत? रिपोर्ट में खुलासा

नई दिल्ली। भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह को 10 साल के लिए लीज पर लिया हैं। यह बंदरगाह न केवल भारत के लिए मध्य एशिया और मध्य पूर्व तक व्यापार के नए मार्ग खोलता है, बल्कि क्षेत्रीय भू-राजनीति में भी इसकी अहमियत बढ़ रही है। हालांकि, अमेरिका ने हाल ही में इस बंदरगाह को लेकर भारत को दी गई छूट को वापस ले लिया है। लेकिन भारत पिछे हटने के मूड में दिखाई नहीं दे रहा हैं।

चाबहार बंदरगाह का महत्व

चाबहार बंदरगाह ईरान के दक्षिण-पूर्वी तट पर ओमान की खाड़ी के किनारे स्थित है। यह हिंद महासागर तक ईरान की एकमात्र समुद्री पहुंच है और अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस गलियारे के जरिये भारत, रूस और ईरान एक व्यापक 7,200 किलोमीटर लंबा नेटवर्क के माध्यम से जुड़ते हैं, जो समुद्री, सड़क और रेल मार्गों को जोड़ता है। भारत के लिए यह बंदरगाह पाकिस्तान के बंदरगाहों को बायपास करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशियाई देशों के साथ सीधे व्यापार के लिए द्वार खोलता है।

अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव

पिछले साल तक अमेरिकी प्रशासन ने चाबहार बंदरगाह को प्रतिबंधों से मुक्त रखा था, ताकि भारत इस परियोजना में निवेश कर सके। उस समय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे रणनीतिक महत्व देते हुए छूट दी थी। लेकिन हाल ही में इस छूट को वापस ले लिया गया है और अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई भी व्यक्ति या कंपनी इस बंदरगाह के संचालन में शामिल पाया गया, तो उस पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे।

भारत की प्रतिबद्धता और रणनीतिक सोच

नई रिपोर्ट ये बतलाती हैं की भारत की योजना इस परियोजना को पूरी तरह से छोड़ने की नहीं है। भारत ने चाबहार में अब तक करीब 12 करोड़ डॉलर का निवेश किया है और इससे जुड़ी अन्य परियोजनाओं की लागत मिलाकर यह राशि 25 करोड़ डॉलर तक पहुंचती है। चाबहार बंदरगाह भारत के लिए आर्थिक और रणनीतिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालांकि अमेरिकी प्रतिबंधों ने इस परियोजना को बाधित करने की कोशिश की है, लेकिन भारत की प्रतिबद्धता इस बंदरगाह के विकास और संचालन को जारी रखने की है। यह न केवल भारत के व्यापारिक हितों के लिए बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता और प्रभाव विस्तार के लिए भी आवश्यक है।

कमल की तरह खिलेंगी ये 4 राशियां! चमकेंगे भाग्य के 4 सितारे!

धर्म डेस्क। नवरात्रि का पावन पर्व हमारे जीवन में नए उजाले और सकारात्मक ऊर्जा लेकर आता है। इस नवरात्रि, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चार राशियों के भाग्य कमल की तरह खिलने वाले हैं। माता दुर्गा की विशेष कृपा इन राशियों पर बरसेगी, जिससे उनके जीवन में खुशहाली, समृद्धि और सफलता का संचार होगा।

1. मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए यह नवरात्रि अत्यंत शुभ साबित होगी। करियर में नयी ऊंचाइयों को छूने के अवसर मिलेंगे। स्वास्थ्य और परिवार में भी सुख-शांति का वातावरण रहेगा। निवेश या कारोबार में लाभ के योग बनेंगे।

2. सिंह राशि

सिंह राशि के लोग नवरात्रि के दौरान अपनी कड़ी मेहनत का फल प्राप्त करेंगे। व्यापार और नौकरी दोनों क्षेत्रों में सफलता मिलेगी। माता की कृपा से भाग्य चमकेगा और आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।

3. धनु राशि

धनु राशि वाले इस नवरात्रि में नए अवसरों से घिरे रहेंगे। पुराने तनाव खत्म होंगे और नई ऊर्जा का संचार होगा। शिक्षा और यात्राओं के क्षेत्र में भी सफलता के योग बनेंगे।

4. मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए यह समय बेहद शुभ होगा। परिवार में मेलजोल बढ़ेगा, और जीवन में खुशियों की बहार आएगी। मानसिक शांति और आर्थिक लाभ दोनों मिलेंगे।

बिहार के युवाओं की बल्ले-बल्ले! नौकरी की बारिश शुरू

पटना। बिहार के युवाओं के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) ने इंटर लेवल भर्ती 2025 के तहत कुल 23,175 पदों पर बंपर वैकेंसी निकाली है। इस भर्ती के लिए 12वीं (इंटरमीडिएट) पास अभ्यर्थी 15 अक्टूबर 2025 से 25 नवंबर 2025 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। यह भर्ती लंबे समय से इंतज़ार कर रहे लाखों युवाओं के लिए सुनहरा अवसर लेकर आई है।

ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया

इच्छुक और पात्र अभ्यर्थी BSSC की आधिकारिक वेबसाइट bssc.bihar.gov.in पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होगी और इसके लिए शुल्क भी ऑनलाइन माध्यम से जमा करना होगा।

महत्वपूर्ण तिथियां:

ऑनलाइन आवेदन शुरू होने की तिथि: 15 अक्टूबर 2025

ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तिथि: 25 नवंबर 2025

आवेदन शुल्क:

सभी श्रेणियों के उम्मीदवारों के लिए शुल्क ₹100/- निर्धारित किया गया हैं, शुल्क का भुगतान ऑनलाइन माध्यम से ही किया जाएगा।

आयु सीमा 

1 अगस्त 2025 के अनुसार न्यूनतम आयु: 18 वर्ष, अधिकतम आयु: सामान्य पुरुष: 37 वर्ष, सामान्य महिला: 40 वर्ष, पिछड़ा/अत्यंत पिछड़ा वर्ग (पुरुष/महिला): 40 वर्ष, अनुसूचित जाति/जनजाति (पुरुष/महिला): 42 वर्ष, (सरकारी नियमानुसार आयु में छूट भी लागू होगी।)

शैक्षणिक योग्यता:

इन पदों पर आवेदन करने कके लिए उम्मीदवार को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड या संस्था से 12वीं (इंटरमीडिएट) परीक्षा उत्तीर्ण होना आवश्यक है।

कैसे करें आवेदन?

BSSC की वेबसाइट bssc.bihar.gov.in पर जाएं। “Inter Level Recruitment 2025” लिंक पर क्लिक करें। रजिस्ट्रेशन करें और लॉग इन करके फॉर्म भरें। दस्तावेज़ अपलोड करें और शुल्क का भुगतान करें। आवेदन फॉर्म को सबमिट कर उसका प्रिंट आउट सुरक्षित रखें।

8वें वेतन आयोग की ये 8 बड़ी बातें, जानें क्या होगा असर?

नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित 8वें वेतन आयोग को लेकर देशभर के करोड़ों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों में उत्सुकता है। आयोग की रिपोर्ट में कई महत्वपूर्ण बदलावों की संभावना जताई जा रही है, जो सीधे तौर पर वेतन और पेंशन को प्रभावित करेंगे। आइए जानते हैं 8वें वेतन आयोग की 8 अहम बातें और उनका संभावित असर। 

1. वेतन में भारी बढ़ोतरी संभव

आयोग के प्रस्तावों में सबसे बड़ा बदलाव न्यूनतम वेतन में संभावित वृद्धि है। सूत्रों के अनुसार, फिटमेंट फैक्टर में संशोधन के चलते वेतन में 30% से 34% तक की बढ़ोतरी हो सकती है।

2. फिटमेंट फैक्टर में बदलाव

नए वेतन मैट्रिक्स में फिटमेंट फैक्टर 1.92 से 2.28 के बीच रहने का अनुमान है। अगर फिटमेंट फैक्टर 1.92 होता है तो न्यूनतम बेसिक वेतन ₹18,000 से बढ़कर ₹34,200 हो जाएगा।

3. महंगाई भत्ते (DA) का पुनर्गठन

हर वेतन आयोग की तरह इस बार भी जब महंगाई को मूल वेतन में शामिल कर नई वेतन संरचना तय की जाएगी। इससे कर्मचारियों को दोहरा लाभ मिलने की संभावना है।

4. लागू होने की संभावित तिथि

हालांकि केंद्र ने जनवरी 2025 में आयोग के गठन की घोषणा की थी, लेकिन इसे 1 जनवरी 2026 से लागू करने की संभावना जताई जा रही है। यह पिछली परंपरा के अनुरूप ही है।

5. पेंशन में भी होगा बड़ा संशोधन

केवल वेतन ही नहीं, पेंशनरों को भी राहत मिलने की उम्मीद है। ये बढ़ोत्तरी फिटमेंट फैक्टर पर निर्भर करेगा। लेकिन उम्मीद हैं की न्यूनतम पेंशन ₹9,000 से बढ़कर ₹25,740 हो सकती है।

6. गठन में अब तक की देरी

घोषणा के बावजूद अब तक न तो आयोग के सदस्य नियुक्त किए गए हैं और न ही इसकी अधिसूचना जारी हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रक्रिया में समय भी लग सकता है।

7. बकाया भुगतान की उम्मीद

हालांकि कार्यान्वयन में देरी संभव है, लेकिन वेतन वृद्धि पिछली तिथि (रेट्रोस्पेक्टिव) यानी 1 जनवरी 2026 से लागू मानी जाएगी, और बकाया वेतन व पेंशन का भुगतान किया जाएगा।

8. पिछले आयोगों का अनुभव

7वें वेतन आयोग समेत अधिकांश आयोगों को लागू होने में 2 से 3 साल का समय लगा है। ऐसे में कर्मचारियों को लंबा इंतज़ार करना पड़ सकता है, लेकिन राहत निश्चित मानी जा रही है।

क्या कहती है विशेषज्ञ राय?

वित्त मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार आयोग के गठन और क्रियान्वयन को समयबद्ध रूप से पूरा करती है, तो इससे न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी, बल्कि बाजार में खर्च और मांग भी बढ़ेगी। इससे अर्थव्यवस्था को गति मिल सकती है।

यूपी में इन 'किसानों' के लिए बुरी खबर, हो सकती है कार्रवाई?

प्रयागराज। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN) का उद्देश्य देश के असली और मेहनती किसानों को आर्थिक सहायता पहुंचाना है, ताकि वे अपने खेतों में बेहतर काम कर सकें और उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हो। लेकिन हाल ही में उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में इस योजना में बड़ी अनियमितता सामने आई है, जिससे योजना की शुद्धता और प्रभावशीलता पर सवाल उठने लगे हैं।

कृषि विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में लगभग 28 हजार ऐसे दंपतियों को चिन्हित किया गया है, जो योजना का लाभ अपात्र होने के बावजूद उठा रहे थे। जिले के गंगा और यमुना पार के लगभग 6.23 लाख किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा है, लेकिन नियम के मुताबिक यदि पति-पत्नी दोनों के नाम पर कृषि भूमि है और दोनों खेती करते हैं, तब भी केवल एक ही को इस योजना के तहत सहायता मिलनी चाहिए। फिर भी, सर्वे में यह पाया गया कि कई दंपति दोनों के नाम से किश्तें प्राप्त कर रहे थे, जो नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है।

कृषि उपनिदेशक पवन कुमार विश्वकर्मा ने बताया कि विभाग ने अपात्र लाभार्थियों की सूची केंद्र सरकार को भेज दी है और उनके खिलाफ वसूली की कार्रवाई शुरू होगी। उनका कहना है कि योजना का उद्देश्य केवल उन किसानों को मदद देना है जो इसके लिए सच में पात्र हैं। इस कार्रवाई से यह स्पष्ट संदेश जाता है कि सरकार गैरजिम्मेदार व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगी और योजना का लाभ सही लोगों तक ही पहुंचाना चाहती है।

यह मामला केवल प्रयागराज तक सीमित नहीं है, बल्कि देशभर में ऐसी अनियमितताएं योजनाओं की सफलता में बाधा डालती हैं। इसलिए जरूरी है कि सरकारी योजनाओं की निगरानी कड़ाई से हो और उनकी प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ चलाई जाए। इससे योजना के तहत आर्थिक सहायता वास्तव में उन किसानों तक पहुंचेगी जो सच में इसके हकदार हैं।

बिहार में नई भर्ती का ऐलान, युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी

पटना। बिहार सरकार की ओर से युवाओं के लिए खुशखबरी आई है। बिहार स्टाफ सेलेक्शन कमिशन (BSSC) ने 379 स्पोर्ट्स ट्रेनर के पदों पर भर्ती के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। यह भर्ती उन सभी उम्मीदवारों के लिए है जो किसी भी मान्यता प्राप्त संस्थान से स्नातक (ग्रेजुएट) हैं या डिप्लोमा धारक हैं।

आवेदन प्रक्रिया और महत्वपूर्ण तिथियां

आवेदन प्रक्रिया 9 अक्टूबर 2025 से ऑनलाइन शुरू होगी और आवेदन की अंतिम तारीख 10 नवंबर 2025 निर्धारित की गई है। इच्छुक उम्मीदवार बिहार स्टाफ सेलेक्शन कमिशन की आधिकारिक वेबसाइट bssc.bihar.gov.in पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

आयु सीमा और शुल्क

इस भर्ती में न्यूनतम आयु 21 वर्ष और अधिकतम 37 वर्ष निर्धारित की गई है। आयु में छूट संबंधित नियमों के अनुसार दी जाएगी। आवेदन शुल्क सामान्य, OBC, अन्य राज्य के उम्मीदवारों के लिए मात्र 100 रुपये है। SC, ST, दिव्यांग और महिला उम्मीदवारों के लिए भी आवेदन शुल्क 100 रुपये ही निर्धारित किया गया है। शुल्क का भुगतान ऑनलाइन माध्यम से किया जाएगा।

पदों का विवरण

बीएसएससी द्वारा जारी नोटिफिकेशन के अनुसार कुल 379 स्पोर्ट्स ट्रेनर के पद भरे जाएंगे। यह पद बिहार के विभिन्न जिलों में खेल गतिविधियों के प्रबंधन और विकास के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

अवसर और महत्व

खेल क्षेत्र में करियर बनाने वाले युवाओं के लिए यह भर्ती एक बड़ा अवसर है। बिहार सरकार खेल और युवा कल्याण के क्षेत्र में नए कदम उठा रही है, जिससे प्रदेश में खेल प्रतिभाओं का विकास होगा। इस भर्ती के माध्यम से योग्य उम्मीदवार सरकारी नौकरी के साथ-साथ खेल के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने का सुनहरा मौका पा सकेंगे।

कैसे करें आवेदन?

आधिकारिक वेबसाइट bssc.bihar.gov.in पर जाएं, नोटिफिकेशन पढ़ें और पात्रता जांचें, ऑनलाइन आवेदन फॉर्म भरें, आवेदन शुल्क का भुगतान करें, आवेदन जमा करें और उसका प्रिंट आउट सुरक्षित रखें।

डॉक्टर ने कहा - 30 साल की उम्र में जरूर कराएं ये टेस्ट

नई दिल्ली: जीवन की रफ्तार और बदलती जीवनशैली के बीच सेहत का ख्याल रखना जितना जरूरी है, उतना ही मुश्किल भी होता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे ही व्यक्ति 30 साल की उम्र पार करता है, उसके शरीर में कई जैविक और हार्मोनल बदलाव शुरू हो जाते हैं। ऐसे में समय रहते जरूरी स्वास्थ्य जांच कराना गंभीर बीमारियों से बचने का एक प्रभावी तरीका हो सकता है।

डॉक्टरों की राय में, 30 की उम्र पार करते ही हर व्यक्ति को कुछ जरूरी मेडिकल टेस्ट जरूर करवा लेने चाहिए ताकि समय रहते शरीर में किसी संभावित समस्या का पता लगाया जा सके। नीचे हम ऐसे ही कुछ महत्वपूर्ण जांचों का उल्लेख कर रहे हैं।

1. ब्लड प्रेशर जांच

उम्र के साथ हाई ब्लड प्रेशर की समस्या आम हो जाती है। 30 के बाद नियमित रूप से बीपी की जांच करना जरूरी है ताकि हृदय रोगों की आशंका को कम किया जा सके।

2. ब्लड शुगर टेस्ट 

मधुमेह (डायबिटीज) की शुरुआती अवस्था में लक्षण स्पष्ट नहीं होते। एक सामान्य ब्लड शुगर टेस्ट से समय रहते इस बीमारी की पहचान की जा सकती है।

3. लिपिड प्रोफाइल टेस्ट

यह जांच शरीर में कोलेस्ट्रॉल के स्तर को मापता है। हाई कोलेस्ट्रॉल हार्ट अटैक और स्ट्रोक जैसे जोखिमों को बढ़ाता है। 30 की उम्र में यह टेस्ट कराना आवश्यक है, विशेषकर अगर खानपान असंतुलित रहा हो।

4. लीवर और किडनी फंक्शन टेस्ट

शराब, फास्ट फूड और दवाओं के अधिक प्रयोग से लीवर और किडनी पर असर पड़ता है। इन अंगों की कार्यक्षमता को समय-समय पर जांचना जरूरी है।

5. थायरॉइड टेस्ट (TSH, T3, T4)

थायरॉइड असंतुलन शरीर के वजन, मूड और ऊर्जा स्तर पर प्रभाव डालता है। 30 की उम्र के बाद महिलाओं और पुरुषों दोनों के लिए यह टेस्ट आवश्यक है।

6. विटामिन D और B12 की जांच

आजकल ज्यादातर लोग इन दोनों विटामिन्स की कमी से जूझ रहे हैं, जो हड्डियों, मांसपेशियों और मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालती है।

7. इसीजी और इकोकार्डियोग्राफी

यदि परिवार में हृदय रोगों का इतिहास है, तो कार्डियक जांच करवाना जरूरी है। ये टेस्ट दिल की कार्यप्रणाली को जांचने में मदद करते हैं।

जेट इंजन में क्यों पिछड़ रहा भारत? जानिए 5 बड़े कारण

नई दिल्ली: भारत ने रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण की दिशा में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। तेजस जैसे स्वदेशी लड़ाकू विमान से लेकर अग्नि और पृथ्वी मिसाइलों तक, देश ने आत्मनिर्भरता की ओर महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं। लेकिन एक सवाल आज भी अनुत्तरित है की भारत अब तक पूरी तरह से स्वदेशी जेट इंजन क्यों नहीं बना पाया?

जेट इंजन किसी भी लड़ाकू विमान का 'दिल' होता है। इसकी तकनीक जटिल, गोपनीय और रणनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील मानी जाती है। आइए जानते हैं वे 5 प्रमुख कारण, जिनकी वजह से भारत आज भी इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर नहीं बन पाया है।

1. जटिल और उच्च स्तरीय तकनीक की कमी

जेट इंजन बनाना केवल मेटल पार्ट्स को जोड़ने का काम नहीं है। इसमें एयरोडायनामिक्स, हाई टेम्परेचर मटेरियल्स, टर्बाइन ब्लेड डिजाइन, थर्मल कोटिंग्स, और कंप्यूटर-नियंत्रित फ्यूल सिस्टम जैसी उन्नत तकनीकों की जरूरत होती है। भारत ने इस दिशा में कोशिशें की हैं, लेकिन अब तक ये तकनीकें पूरी तरह विकसित नहीं हो सकीं।

2. अनुचित और असंगत निवेश

जहां अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे देश दशकों से अपने इंजन R&D (अनुसंधान और विकास) में भारी निवेश करते रहे हैं, वहीं भारत में लंबे समय तक इस क्षेत्र को वह प्राथमिकता नहीं मिली। DRDO और GTRE जैसी संस्थाएं सीमित बजट और संसाधनों के साथ काम करती रहीं, जिससे प्रगति धीमी रही।

3. अनुभव की कमी और ट्रायल में असफलताएं

भारत ने "कावेरी इंजन" परियोजना की शुरुआत 1986 में की थी, जो तेजस के लिए बनाया जा रहा था। हालांकि, कई सालों की मेहनत और हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद यह इंजन अब तक सफल नहीं हो सका। कावेरी इंजन थ्रस्ट, विश्वसनीयता और प्रदर्शन के मानकों पर खरा नहीं उतर पाया, जिससे भारत को विदेशी इंजनों पर निर्भर रहना पड़ा।

4. विदेशी सहयोग की राजनीतिक और तकनीकी सीमाएं

भारत ने कई बार फ्रांस, रूस और अमेरिका से इंजन तकनीक ट्रांसफर करने की कोशिश की, लेकिन इस क्षेत्र में तकनीक साझा करना आसान नहीं होता। यह 'स्ट्रेटेजिक टेक्नोलॉजी' मानी जाती है, जिसे देश अक्सर साझा नहीं करते। इसके अलावा, जब कुछ साझेदार तैयार भी हुए, तब भी सहयोग सीमित रहा या शर्तों के साथ आया।

5. स्किल्ड मैनपावर और इंडस्ट्रियल बेस का अभाव

जेट इंजन बनाने के लिए हाई-स्किल इंजीनियरिंग और अत्याधुनिक मैन्युफैक्चरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत होती है। भारत का औद्योगिक आधार (industrial base) अभी तक उस स्तर का नहीं बन पाया है जहां जटिल गैस टर्बाइन इंजन का बड़े पैमाने पर डिजाइन और निर्माण संभव हो सके। हालांकि पिछले कुछ सालों में भारत ने काफी अच्छी तरक्की हैं।

नवरात्रि में अपनाएं ये 3 टोटके, घर में होगी पैसों की बरसात

धर्म डेस्क। शारदीय नवरात्रि का पर्व न केवल मां दुर्गा की उपासना का समय होता है, बल्कि यह समय आध्यात्मिक और तांत्रिक दृष्टि से भी अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। इस दौरान किए गए छोटे-छोटे उपाय जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के साथ-साथ आर्थिक समृद्धि का द्वार भी खोल सकते हैं। आज हम आपको ऐसे तीन सरल लेकिन प्रभावशाली टोटकों के बारे में बता रहे हैं, जिन्हें नवरात्रि में करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और घर में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती।

1. लाल चुनरी में सिक्का बांधकर रखें मां दुर्गा के चरणों में

नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की स्थापना के समय एक लाल रंग की चुनरी लें और उसमें एक चमकदार चांदी या तांबे का सिक्का बांध दें। इस पोटली को माता रानी के चरणों में नौ दिनों तक रखें। नवमी के दिन इस पोटली को अपने तिजोरी या पैसे रखने वाली जगह पर स्थापित करें। मान्यता है कि यह उपाय घर में स्थायी लक्ष्मी का वास करता है।

2. कमलगट्टे की माला से करें मां लक्ष्मी का जाप

अष्टमी या नवमी के दिन कमलगट्टे की माला से "ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" मंत्र का 108 बार जाप करें। इस माला को बाद में अपने पूजा स्थल में रखें। ऐसा माना जाता है कि कमलगट्टा मां लक्ष्मी का प्रिय होता है, और इससे की गई साधना शीघ्र फल देती है।

3. काले तिल और गुड़ से करें विशेष दान

अष्टमी या नवमी के दिन जरूरतमंदों को काले तिल और गुड़ का दान करें। इसे आप किसी मंदिर में भी चढ़ा सकते हैं। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, यह उपाय नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और आर्थिक बाधाओं को खत्म करने में मदद करता है।

पूरी दुनिया अमेरिका की मुट्ठी में? ये 5 चीजें बनाते हैं उसे सबसे ताकतवर

न्यूज डेस्क। अमेरिका को महज एक देश कहना शायद ठीक नहीं होगा। वर्तमान में वो एक वैश्विक ताकत है, एक विचारधारा है, और कई मायनों में एक 'सिस्टम' है जो दुनिया के कोने-कोने में असर डालता है। लेकिन उसकी ताकत सिर्फ उसके टैंकों और मिसाइलों तक सीमित नहीं है। असली ताकत उसके उन 'हथियारों' में है जो दिखते कम हैं, लेकिन असर बहुत गहरा छोड़ते हैं।

1. डॉलर की दादागिरी

अमेरिकी डॉलर सिर्फ एक मुद्रा नहीं, बल्कि वैश्विक कारोबार की रीढ़ है। तेल से लेकर तकनीक तक, हर बड़ी डील डॉलर में होती है। अमेरिका को यह विशेषाधिकार हासिल है कि वह अपनी करेंसी खुद छापता है और पूरी दुनिया उसे मान्यता देती है। यही वजह है कि जब अमेरिका किसी देश पर आर्थिक प्रतिबंध लगाता है, तो उसका असर सिर्फ एक बैंकिंग सिस्टम पर नहीं, पूरी अर्थव्यवस्था पर होता है।

2. टेक्नोलॉजी का बादशाह

आपके फोन में इस्तेमाल होने वाला सर्च इंजन, ऐप, सोशल मीडिया, क्लाउड स्टोरेज सब कुछ कहीं न कहीं अमेरिकी कंपनियों के अधीन है। गूगल, एप्पल, माइक्रोसॉफ्ट, मेटा और अमेजन जैसी कंपनियां सिर्फ टेक ब्रांड नहीं हैं, ये वैश्विक सूचना और डेटा की नियंत्रक हैं। अमेरिका AI, साइबर सिक्योरिटी और स्पेस टेक्नोलॉजी में अग्रणी है, जिससे वह दुनिया की अगली पीढ़ी की टेक्नोलॉजी का नियम निर्धारक बन गया है।

3. हर कोने में तैनात अमेरिकी सेना

दुनिया में कोई भी देश ऐसा नहीं जिसकी सीमाओं के आस-पास अमेरिकी सैन्य मौजूदगी न हो। अमेरिका के पास 750 से अधिक विदेशी सैन्य ठिकाने हैं। जापान से लेकर जर्मनी और क़तर से लेकर गुआम तक। उसकी नौसेना के पास 11 एयरक्राफ्ट कैरियर स्ट्राइक ग्रुप्स हैं जो कभी भी, कहीं भी तैनात हो सकते हैं। इस नेटवर्क की वजह से अमेरिका दुनिया में कहीं भी तुरंत हस्तक्षेप करने की सैन्य क्षमता रखता है, और बहुत से देश सुरक्षा के लिए उसी पर निर्भर रहते हैं।

4. दिल और दिमाग जीतने की रणनीति

हॉलीवुड की फिल्में, नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज़, अमेरिकन म्यूज़िक, फैशन और फूड ये सब अमेरिका की 'सांस्कृतिक ताकत' हैं। अमेरिका ने दुनिया को सिर्फ हथियार नहीं दिए, उसने 'अमेरिकन ड्रीम' दिया, एक ऐसी सोच जहां लोग आज़ादी, सफलता और ग्लैमर के पीछे भागते हैं। यही सांस्कृतिक प्रभाव कई देशों में सोच, भाषा और व्यवहार को भी बदल रहा है।

5. नियमों की साजिश: वैश्विक संस्थाओं की चाल

दरअसल संयुक्त राष्ट्र (UN), नाटो, वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO), IMF ये सभी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं अमेरिका की कूटनीतिक ताकत का हिस्सा हैं। हालांकि ये संस्थाएं 'तटस्थ' मानी जाती हैं, लेकिन उनके फंडिंग से लेकर नेतृत्व तक, अमेरिका का प्रभाव साफ नजर आता है। जब कोई देश इन नियमों से अलग चलता है, तो उसे वैश्विक मंच पर अलग-थलग किया जाता है, जैसा कि कई देशों के साथ हुआ है।

दुनिया की 6 सबसे ताकतवर वायु सेनाएं, भारत की रैंक चौंकाएगी

नई दिल्ली। आज के दौर में जहां युद्ध सिर्फ जमीन पर नहीं, बल्कि आसमान में भी लड़े जाते हैं, वहां एक देश की वायु सेना उसकी सैन्य शक्ति का सबसे अहम हिस्सा बन चुकी है। वायु सेना केवल रक्षा का माध्यम नहीं, बल्कि रणनीतिक प्रभुत्व और वैश्विक राजनीति में प्रभाव का भी प्रतीक बन चुकी है। आधुनिक तकनीक, घातक हथियार प्रणाली और अचूक निगरानी क्षमता ये सब मिलकर तय करते हैं कि कौन-सा देश ‘हवाई ताकत’ में सबसे आगे है।

ग्लोबल फायरपावर 2025 की रिपोर्ट क्या कहती है?

ग्लोबल फायरपावर (Global Firepower) द्वारा हाल ही में जारी की गई 2025 की रिपोर्ट में देशों को उनके सैन्य विमान बेड़े की संख्या के आधार पर रैंक किया गया है। यह सूची न केवल विमानों की संख्या को दर्शाती है, बल्कि वायुसेना की तैनाती क्षमता, तकनीकी दक्षता और ऑपरेशनल विविधता पर भी रोशनी डालती है।

टॉप 6 सबसे शक्तिशाली वायु सेनाएं

1 .संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) - 13,043 विमान

अमेरिका की वायु सेना तकनीकी रूप से सबसे उन्नत और व्यापक है। स्टील्थ बॉम्बर्स, अत्याधुनिक ड्रोन, और भारी संख्या में लड़ाकू विमान इसकी ताकत का आधार हैं। न केवल संख्या में, बल्कि गुणवत्ता में भी यह अन्य सभी देशों से आगे है।

2 .रूस - 4,292 विमान

रूस की वायु सेना युद्ध में पुराने अनुभव और नवीनतम हथियारों का अनोखा मिश्रण है। इसकी हवाई क्षमता मुख्य रूप से लड़ाकू विमानों और हमलावर हेलीकॉप्टरों पर आधारित है, जो किसी भी मोर्चे पर आक्रमण की क्षमता रखते हैं।

3 .चीन - 3,309 विमान

चीन ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी वायु सेना को अत्यधिक आधुनिक बनाया है। यह देश अपने घरेलू तकनीक से बनाए गए लड़ाकू विमानों के बल पर तेजी से वायु शक्ति में अग्रणी बनता जा रहा है।

4 .भारत - 2,229 विमान

भारत की वायु सेना संख्या और विविधता दोनों में बेहद मजबूत है। इसमें फाइटर जेट्स, हेलीकॉप्टर, ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट और टोही विमानों का अच्छा संतुलन देखने को मिलता है। भारत का यह स्थान बताता है कि वह क्षेत्रीय ही नहीं, वैश्विक स्तर पर भी एक प्रभावशाली सैन्य ताकत है।

5 .दक्षिण कोरिया - 1,592 विमान

सीमित क्षेत्रफल और उत्तर कोरिया जैसे पड़ोसी के बावजूद, दक्षिण कोरिया की वायु सेना अत्याधुनिक तकनीक से लैस है। अमेरिकी साझेदारी ने इसकी हवाई क्षमताओं को काफी मजबूत किया है।

6 .जापान - 1,443 विमान

जापान की वायु शक्ति मुख्य रूप से रक्षात्मक है, लेकिन तकनीकी रूप से बेहद उन्नत है। उसके पास उच्च क्वालिटी के फाइटर जेट्स और ट्रेनिंग सिस्टम हैं, जो उसे एक मजबूत हवाई प्रतिद्वंद्वी बनाते हैं।

बिहार में 'जमीन मालिकों' को राहत, सरकार ने दी खुशखबरी

पटना। बिहार सरकार ने भूमि सुधार और राजस्व रिकॉर्ड को पारदर्शी बनाने के लिए एक बड़ा और व्यापक महाअभियान शुरू किया है, जिसका लाभ अब उन लोगों को भी मिलेगा जिनके पास पुराने जमीन संबंधी दस्तावेज मौजूद नहीं हैं। यह निर्णय राज्य में लंबे समय से चली आ रही जमीनी विवादों की समस्या को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।

दस्तावेज़ न होने पर भी मिलेगा हक़

अब तक हजारों लोग ऐसे थे जो अपनी जमीन पर वर्षों से काबिज होने के बावजूद सरकारी रिकॉर्ड में उसे दर्ज नहीं करा पाए थे, क्योंकि उनके पास खतियान, रसीद, रजिस्ट्री या दाखिल-खारिज जैसे पारंपरिक कागजात नहीं थे। ऐसे मामलों को देखते हुए सरकार ने एक नया प्रावधान किया है: स्वघोषणा पत्र। इस प्रणाली के तहत अब कोई भी व्यक्ति, जिसके पास पारंपरिक दस्तावेज़ नहीं हैं, वह एक घोषणापत्र के माध्यम से यह जानकारी दे सकता है कि वह किस खेसरा नंबर की कितनी जमीन का स्वामी है। इसमें खाता संख्या, खेसरा नंबर, भूमि का क्षेत्रफल जैसी मूल जानकारी शामिल करनी होगी।

15 वैकल्पिक दस्तावेज़ भी होंगे मान्य

राज्य सरकार ने साफ कर दिया है कि केवल स्वघोषणा ही नहीं, बल्कि कुछ वैकल्पिक दस्तावेजों के आधार पर भी लोग अपने स्वामित्व का प्रमाण दे सकते हैं। इसमें बिजली और पानी के बिल, बैंक पासबुक, आधार कार्ड, पैन कार्ड, स्थानीय निकायों से जारी प्रमाण पत्र और वंशावली जैसी चीजें शामिल होने की संभावना है। इससे उन लोगों को बड़ी राहत मिलेगी जो नियमित रूप से जमीन पर रह रहे हैं लेकिन कागजात के अभाव में कानूनी स्वामित्व नहीं प्राप्त कर पा रहे थे।

जमीन विवादों पर लगेगी लगाम

बिहार में जमीनी विवाद वर्षों से पारिवारिक झगड़ों, कानूनी लड़ाइयों और सामाजिक अशांति का कारण बने हुए हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां दस्तावेज़ों की सुरक्षा और प्रबंधन की व्यवस्था नहीं थी, वहां इस कदम से स्थिति में बड़ा सुधार आएगा। स्वघोषणा और वैकल्पिक दस्तावेज़ों की व्यवस्था से अब कोई भी व्यक्ति आसानी से अपनी जमीन का अधिकार प्राप्त कर सकता है।

समावेशी भूमि सुधार की दिशा में कदम

सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि इस अभियान का मकसद किसी को भी बाहर करना नहीं, बल्कि हर जमीन मालिक को रिकॉर्ड से जोड़ना है। यही कारण है कि स्वघोषणा की व्यवस्था की गई है। इससे न सिर्फ भूमि सुधार प्रक्रिया तेज़ होगी, बल्कि सामाजिक-आर्थिक रूप से वंचित वर्गों को भी उनका अधिकार सुनिश्चित किया जा सकेगा।

यूपी में लौटे बादल! 11 जिलों में तूफानी बारिश का अलर्ट

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में लंबे समय से बने शुष्क मौसम के बीच अब राहत की संभावना दिख रही है। प्रदेश के कई हिस्सों में पिछले कुछ दिनों से आसमान साफ़ था और तेज़ धूप के चलते तापमान में इज़ाफा हुआ है। लेकिन अब मौसम ने करवट लेनी शुरू कर दी है। मौसम विज्ञान विभाग ने प्रदेश के 11 जिलों में भारी बारिश और तेज़ हवाओं का अलर्ट जारी किया है, जिससे आने वाले दिनों में मौसम में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं।

कहां-कहां हो सकती है तेज़ बारिश?

मौसम विभाग के अनुसार, यूपी के मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद, इटावा, औरैया, जालौन, झांसी, हमीरपुर, महोबा, बांदा और चित्रकूट जिलों में गरज-चमक के साथ तेज़ बारिश की संभावना जताई गई है। इन इलाकों में अगले 24 घंटों के दौरान तेज़ हवाओं के साथ तूफानी बारिश हो सकती है, जिससे लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है।

उमस भरी गर्मी ने किया बेहाल

राज्य के ज़्यादातर हिस्सों में बीते कुछ दिनों से लगातार उमस भरी गर्मी बनी हुई है। आसमान साफ़ होने और तेज़ धूप के कारण तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। आद्रता में भी बढ़ोतरी हुई है, जिससे गर्मी और अधिक असहनीय महसूस हो रही है।

बीते 24 घंटे में कुछ इलाकों में बरसे बदरा

हालांकि पूरे प्रदेश में व्यापक बारिश नहीं हुई है, लेकिन पिछले 24 घंटों में करीब 10 जिलों में गरज-चमक के साथ हल्की बारिश दर्ज की गई है। बाकी जिलों में मौसम शुष्क ही बना रहा। पूर्वी उत्तर प्रदेश में जहां अनुमानित 3.2 मिमी बारिश होनी थी, वहां केवल 0.2 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई, जो कि सामान्य से 93% कम है। वहीं, पश्चिमी यूपी में अनुमानित 1.02 मिमी के मुकाबले 0.8 मिमी बारिश दर्ज हुई, यानी सामान्य से 42% कम।

सावधान! बिहार के इन 7 जिलों में बिजली गिरने की चेतावनी

पटना। बिहार में मौसम ने एक बार फिर करवट ली है। मौसम विज्ञान केंद्र, पटना के अनुसार राज्य में मानसून की सक्रियता एक बार फिर बढ़ गई है, जिसकी वजह से आने वाले दिनों में व्यापक वर्षा के आसार हैं। खासकर उत्तर और पूर्वी बिहार के सात जिलों  सुपौल, अररिया, मधेपुरा, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार और किशनगंज  में मेघ गर्जन और वज्रपात (बिजली गिरने) की चेतावनी जारी की गई है।

मौसम विभाग ने बताया है कि दो अक्टूबर से छह अक्टूबर के बीच इन जिलों में भारी से अत्यधिक भारी वर्षा हो सकती है। इस दौरान तेज पुरवा हवा (पूर्वी हवा) की सक्रियता बनी रहेगी, जिससे नमी की आपूर्ति में बढ़ोतरी होगी और मानसूनी बादल राज्य में डेरा डाल सकते हैं। दशहरा पर्व के दौरान भी प्रदेश के कई हिस्सों में बारिश की संभावना है, जिससे त्योहारी गतिविधियों पर असर पड़ सकता है।

पटना सहित कई जिलों में सोमवार को बादल छाए रहने और हल्की बूंदाबांदी की संभावना जताई गई है। मौसम विज्ञानियों ने किसानों और आमजन से अपील की है कि वे मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही अपने कार्यों की योजना बनाएं। विशेषकर खुले क्षेत्रों में बिजली गिरने के समय ना निकलने की सलाह दी गई है।

सुरक्षा के लिए रखें ये सावधानियां:

आकाशीय बिजली की गड़गड़ाहट सुनते ही खुले मैदान, पेड़ या बिजली के खंभों के नीचे न जाएं।

मोबाइल फोन या अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग सावधानी से करें।

सुरक्षित स्थानों पर शरण लें और मौसम अपडेट पर नज़र बनाए रखें।

8वें वेतन आयोग: ग्रेड-पे ₹4800, ₹5400, ₹6000 पर क्या होगी नई सैलरी?

नई दिल्ली। देशभर के करोड़ों केंद्रीय कर्मचारियों को 8वें वेतन आयोग (8th CPC) का बेसब्री से इंतजार है। हर कोई यह जानना चाहता है कि यदि नया वेतन आयोग लागू होता है, तो उनकी सैलरी कितनी बढ़ेगी? खासतौर पर ग्रेड-पे ₹4800 से लेकर ₹6000 तक के अधिकारी और कर्मचारी यह जानना चाह रहे हैं कि नया फिटमेंट फैक्टर क्या होगा और इसके अनुसार नेट सैलरी में कितना इजाफा होगा।

हाल ही में कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, यदि फिटमेंट फैक्टर 1.92 रखा जाता है, तो बेसिक पे में बड़ा उछाल देखा जा सकता है। साथ ही X-क्लास सिटी के लिए HRA 30% और हायर TPTA शहरों के लिए यात्रा भत्ता (TA) जोड़ा जाए, तो कुल सैलरी में भारी वृद्धि हो सकती है।

अनुमानित सैलरी ब्रेकअप (1.92 फिटमेंट फैक्टर के अनुसार)

ग्रेड-पे ₹4800 (लेवल-8)

मौजूदा बेसिक पे: ₹47,600

फिटमेंट फैक्टर (1.92 गुना): ₹91,392

ग्रेड-पे ₹5400 (लेवल-9)

मौजूदा बेसिक पे: ₹53,100

फिटमेंट फैक्टर (1.92 गुना): ₹1,01,952

ग्रेड-पे ₹6000 (AGP_10 / लेवल-10)

मौजूदा बेसिक पे: ₹57,700

फिटमेंट फैक्टर (1.92 गुना): ₹1,10,784

महत्वपूर्ण बातें जो जाननी जरूरी हैं

नए वेतन आयोग में अक्सर यह देखा गया है कि महंगाई भत्ता को बेसिक पे में मर्ज कर दिया जाता है, जिससे सैलरी में बड़ा उछाल आता है। अगर 1.92 का फिटमेंट फैक्टर स्वीकार किया जाता है, तो यह 7वें वेतन आयोग के मुकाबले करीब 92% बढ़ोतरी दर्शाता है। वहीं, X शहरों में काम करने वाले कर्मचारियों को 30% HRA और उच्च ट्रांसपोर्ट भत्ता (TA) का लाभ मिल सकता है।

क्या 8वां वेतन आयोग 2026 में लागू होगा?

वर्तमान अनुमानों के मुताबिक, 8वां वेतन आयोग संभवतः जनवरी 2026 से लागू हो सकता है, क्योंकि पिछला वेतन आयोग भी 2016 में लागू हुआ था। हालांकि सरकार की ओर से कोई आधिकारिक अधिसूचना फिलहाल तक नहीं आई है, लेकिन यूनियन और कर्मचारी संगठनों की ओर से इस दिशा में मांगें तेज हो गई हैं।

बिहार में 'शिक्षकों' के लिए अपडेट, छुट्टी मिलेगी अब ऑनलाइन!

पटना। बिहार में कार्यरत सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव सामने आया है। अब शिक्षक छुट्टी लेने के लिए कागज़ी आवेदन देने की जगह सीधे एचआरएमएस पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे। इस नई व्यवस्था से न केवल शिक्षकों की परेशानी कम होगी, बल्कि छुट्टियों के प्रबंधन में भी पारदर्शिता और गति आएगी।

ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया

शिक्षा विभाग ने सभी जिलों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने स्तर पर इस नई व्यवस्था को लागू करें। अब कोई भी शिक्षक किसी प्रकार की छुट्टी (चाहे वह आकस्मिक हो या विशेष) लेने के लिए कार्यालय के चक्कर नहीं लगाएगा। वह एचआरएमएस पोर्टल पर लॉग इन करके छुट्टी का आवेदन कर सकेगा, और संबंधित अधिकारी उसी पोर्टल के माध्यम से मंजूरी देंगे।

महिला शिक्षकों को विशेष लाभ

महिला शिक्षकों को इस डिजिटल व्यवस्था के तहत विशेष सुविधाएं भी मिलेंगी। उन्हें छह महीने का मातृत्व अवकाश वेतन सहित दिया जाएगा। इसके अलावा, दो बच्चों की देखभाल के लिए वे दो वर्षों तक वेतन सहित अवकाश ले सकती हैं। यह निर्णय महिला शिक्षकों के लिए कार्य और परिवार के बीच संतुलन बनाए रखने में बेहद उपयोगी होगा।

प्रमाणन की जिम्मेदारी तय

इस व्यवस्था में अवकाश की स्वीकृति के अधिकार भी स्पष्ट कर दिए गए हैं। प्रधान शिक्षक और प्रभारी प्रधानाध्यापक की छुट्टियों की मंजूरी खंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) करेंगे। वहीं, सहायक शिक्षक और विशेष शिक्षक अपनी छुट्टियों की स्वीकृति प्रधान शिक्षक से प्राप्त करेंगे।

समय की बचत और जवाबदेही में इजाफा

यह डिजिटल प्रक्रिया शिक्षकों के लिए सुविधाजनक साबित होगी। अब शिक्षकों को छुट्टी लेने के लिए कार्यालय आने की आवश्यकता नहीं होगी, जिससे उनका समय बचेगा और सरकारी कार्यालयों में अनावश्यक भीड़ भी कम होगी। इसके अलावा, छुट्टियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, नियमबद्धता और जवाबदेही भी बढ़ेगी।

बिहार के स्नातकों के लिए खुशखबरी, सरकार देगी मासिक भत्ता!

पटना। बिहार सरकार ने बेरोजगार युवाओं के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना के तहत अब स्नातक पास बेरोजगारों को भी लाभ देने का निर्णय लिया है। अब तक इस योजना का लाभ केवल इंटरमीडिएट (12वीं) उत्तीर्ण युवाओं को ही मिलता था, लेकिन नए प्रावधान के तहत गैर-तकनीकी  विषयों से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर चुके बेरोजगार भी इस योजना के पात्र बन गए हैं।

युवाओं को मिलेगा आर्थिक सहारा

इस योजना का उद्देश्य ऐसे युवाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करना है जो पढ़ाई पूरी कर नौकरी की तलाश में हैं। योजना के अंतर्गत योग्य अभ्यर्थियों को प्रत्येक माह ₹1000 की सहायता राशि दी जाएगी। इस भत्ते के साथ-साथ युवाओं को कौशल विकास से संबंधित प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, जिससे उन्हें रोजगार पाने में आसानी हो।

4 अक्टूबर को जारी होगी पहली किस्त

योजना के तहत पहली किस्त 4 अक्टूबर को पटना में आयोजित एक कार्यक्रम के माध्यम से जारी की जाएगी। इस कार्यक्रम में जिले से चयनित युवाओं की भी भागीदारी होगी। विभाग इसके लिए पूरी तैयारी कर रहा है और जागरूकता अभियान भी चला रहा है ताकि अधिक से अधिक योग्य युवा योजना से जुड़ सकें।

पात्रता की शर्तें

इस योजना का लाभ उठाने के लिए उम्मीदवार को कुछ आवश्यक योग्यताओं को पूरा करना होगा: उम्र 20 से 25 वर्ष के बीच होनी चाहिए। अभ्यर्थी बिहार का स्थायी निवासी होना चाहिए। स्नातक या इंटरमीडिएट पास हो (सिर्फ नन-टेक्निकल स्नातक)। वर्तमान में उच्च शिक्षा में नामांकित न हो। रोजगार की तलाश कर रहा हो।

आवेदन प्रक्रिया

योजना का आवेदन जिला निबंधन एवं परामर्श केंद्र (DRCC) के माध्यम से किया जा सकता है। आवेदन करते समय उम्मीदवार को निम्नलिखित दस्तावेज़ देने होंगे: मैट्रिक और इंटर की मार्कशीट या प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, बैंक खाता विवरण, पासपोर्ट साइज फोटो।

सिर्फ अमेरिका नहीं! इन 3 देशों की मिलिट्री भी हैं बेहद ताकतवर

नई दिल्ली। जब बात दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं की होती है, तो अधिकतर लोगों के ज़हन में सबसे पहले अमेरिका का नाम आता है। यह कोई हैरानी की बात नहीं, क्योंकि अमेरिका रक्षा बजट, तकनीक और वैश्विक सैन्य मौजूदगी के मामले में शीर्ष पर है। लेकिन सिर्फ अमेरिका ही नहीं, दुनिया में कुछ और देश भी हैं, जिनकी सेनाएं न सिर्फ शक्तिशाली हैं, बल्कि आधुनिक हथियारों, युद्धनीति और संख्या बल के आधार पर किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं।

रूस - विशाल सैन्य ताकत

रूस की सैन्य शक्ति का इतिहास सोवियत संघ से शुरू होकर आज भी मजबूती से कायम है। यूक्रेन युद्ध भले ही इसकी कमजोरियों को उजागर करता है, लेकिन रूस की रणनीतिक गहराई, न्यूक्लियर ताकत और मिसाइल टेक्नोलॉजी आज भी उसे एक खतरनाक प्रतिद्वंद्वी बनाते हैं।

सैन्य बल: 10 लाख से अधिक सक्रिय सैनिक

रक्षा बजट: लगभग $100 अरब डॉलर

विशेषता: परमाणु हथियारों का सबसे बड़ा जखीरा, हाइपरसोनिक मिसाइलें

चीन - तकनीक और संख्या में दिग्गज

चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) आज दुनिया की सबसे बड़ी स्थायी सेना है। इसके तीन मुख्य अंग - थलसेना, वायुसेना और नौसेना - आधुनिकता की ओर तेज़ी से अग्रसर हैं। चीन आज न केवल पारंपरिक हथियारों में आत्मनिर्भर हो चुका है, बल्कि AI, क्वांटम कंप्यूटिंग और स्पेस वेपन्स के क्षेत्र में भी तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।

सैन्य बल: करीब 20 लाख एक्टिव सैनिक

रक्षा बजट: $290+ अरब डॉलर (2025 अनुमान)

विशेषता: हाइपरसोनिक मिसाइलें, साइबर वारफेयर, ड्रोन टेक्नोलॉजी

भारत - बढ़ती ताकत और रणनीतिक विस्तार

भारत विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक सेनाओं में से एक है और उसका सैन्य दृष्टिकोण अब केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक हो चला है। भारत ने हाल के वर्षों में रक्षा उपकरणों का स्वदेशीकरण बढ़ाया है और कई अत्याधुनिक मिसाइल व युद्धपोत प्रणाली विकसित की है।

सैन्य बल: 14 लाख सक्रिय सैनिक

रक्षा बजट: $75+ अरब डॉलर (2025 अनुमान)

विशेषता: ब्रह्मोस मिसाइल, तेजस लड़ाकू विमान, INS विक्रांत, परमाणु पनडुब्बी

आज है महाष्टमी: 5 राशियों की किस्मत चमकेगी, मिलेगी अपार समृद्धि!

धर्म डेस्क। आज का दिन हिन्दू धर्म में अत्यंत शुभ माना जाता है क्योंकि यह महाष्टमी का पावन अवसर है। महाष्टमी माता दुर्गा की आठवीं पूजा होती है, जो शक्ति, समृद्धि और सफलता का प्रतीक है। इस दिन माँ दुर्गा के आशीर्वाद से खासकर कुछ राशियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आने की संभावना बढ़ जाती है। ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, आज की महाष्टमी पर पांच राशियों की किस्मत में चमक आएगी और उन्हें अपार समृद्धि का वरदान मिलेगा।

1. मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए यह समय बेहद फलदायक रहेगा। उनके कार्यक्षेत्र में नई जिम्मेदारियां और मौके आएंगे। आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और नए निवेश लाभदायक साबित होंगे। माता की कृपा से पारिवारिक जीवन भी खुशहाल होगा।

2. कर्क राशि

कर्क राशि वालों के लिए यह महाष्टमी दिन भाग्यशाली साबित होगा। लंबे समय से अटके हुए काम पूरे होंगे और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होगा। नौकरी या व्यवसाय में भी सफलता की नई ऊंचाइयां मिलेंगी।

3. सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों को महाष्टमी पर माँ दुर्गा का विशेष आशीर्वाद मिलेगा। उनके अंदर आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होंगे। आर्थिक दृष्टि से यह समय निवेश करने के लिए उत्तम है।

4. धनु राशि

धनु राशि वालों के लिए यह दिन विशेष अवसर लेकर आया है। परिवार में सुख-शांति बनी रहेगी और कोई बड़ा आर्थिक लाभ होने के योग बन रहे हैं। नए प्रोजेक्ट्स और साझेदारी भी सफल होगी।

5. मीन राशि

मीन राशि के जातकों के जीवन में महाष्टमी के दिन शुभ बदलाव आएंगे। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और पुरानी परेशानियां दूर होंगी। साथ ही, नौकरी या व्यापार में तरक्की के संकेत मिल रहे हैं।

सीएम नीतीश का बड़ा फैसला: सभी 534 प्रखंडों को फायदा

पटना। बिहार सरकार ने किसानों के लिए एक बड़ा और स्वागतयोग्य कदम उठाया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देशानुसार, राज्य के सभी 534 प्रखंडों में अत्याधुनिक सब्जी केंद्र स्थापित किए जाएंगे। इन केंद्रों का उद्देश्य किसानों को बेहतर भंडारण, छंटाई, पैकेजिंग और विपणन की सुविधा प्रदान करना है, जिससे उनकी उपज का मूल्य बढ़ाने में मदद मिलेगी।

प्रत्येक सब्जी केंद्र लगभग 10,000 वर्ग फीट में बनाया जाएगा और इस पर लगभग 96 लाख से एक करोड़ रुपये तक खर्च किए जाएंगे। इन केंद्रों में 10 टन क्षमता का कोल्ड स्टोरेज, 20 टन क्षमता का गोदाम, और सब्जियों की छंटाई व पैकेजिंग के लिए विशेष शेड की व्यवस्था होगी। इससे किसानों की उपज को लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकेगा और बाजार तक पहुंचाने की प्रक्रिया अधिक प्रभावी होगी।

सहकारिता विभाग की योजना है कि अगले दो वर्षों में यह सभी केंद्र पूरे राज्य में स्थापित कर दिए जाएं। साथ ही, पंचायत स्तर पर भी इसी तरह के केंद्र खोलने की तैयारी है, जिसके लिए राज्य मंत्रिमंडल से मंजूरी ली जाएगी। यह पहल न केवल किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेगी, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाएगी।

इसके अतिरिक्त, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कृषि और सहकारिता विभाग ने मिलकर जैविक सब्जियों के उत्पादन को प्रोत्साहित करने का निर्णय लिया है। इस योजना के तहत जैविक खेती के लिए किसानों को अनुदान भी प्रदान किया जाएगा। बिहार से जैविक सब्जियों का निर्यात भी बढ़ रहा है, हाल ही में थाईलैंड, बैंकाक और दुबई जैसे देशों को जैविक सब्जियों की खेप भेजी गई है, जो राज्य की कृषि उत्पादों की गुणवत्ता और मांग को दर्शाता है।

बता दें की यह पहल न केवल किसानों के लिए लाभकारी साबित होगी, बल्कि बिहार को कृषि निर्यात में भी नई ऊँचाइयों तक पहुंचाएगी। इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और राज्य की कृषि प्रणाली अधिक टिकाऊ तथा पर्यावरण के अनुकूल बनेगी।

केंद्रीय कर्मचार‍ियों के लिए बड़ा अपडेट! तुरंत पढ़ें

नई दिल्ली। देशभर में करोड़ों केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक लंबे समय से अधूरी आस अब पूरी तरह से टूटती नजर आ रही है। जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच कोविड महामारी के दौरान रोके गए महंगाई भत्ते (DA) और महंगाई राहत (DR) का भुगतान अब लगभग असंभव माना जा रहा है। हाल ही में सामने आए घटनाक्रम से यह साफ संकेत मिल रहे हैं कि सरकार इस मामले को अब पूरी तरह बंद मान चुकी है, और कर्मचारी संगठन भी इस मुद्दे से पीछे हटते दिखाई दे रहे हैं।

क्या है डीए/डीआर विवाद की पृष्ठभूमि?

मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के चलते देशभर की अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव पड़ा। इसी दौरान केंद्र सरकार ने महंगाई भत्ते की तीन किस्तों को रोकने का फैसला लिया, जो जनवरी 2020, जुलाई 2020 और जनवरी 2021 की थीं। इसके पीछे सरकार का तर्क था कि महामारी से लड़ने और स्वास्थ्य व्यवस्था को मजबूत करने के लिए फंड की जरूरत थी। वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि महामारी के कारण उत्पन्न हुई वित्तीय स्थिति के चलते यह निर्णय लिया गया।

बार-बार उठी मांगें, लेकिन मिला सिर्फ इंकार

हालांकि, इस फैसले के बाद से ही कर्मचारी संगठनों और पेंशनर्स ने लगातार केंद्र सरकार से बकाया डीए/डीआर की बहाली की मांग की। वित्त मंत्रालय को कई ज्ञापन सौंपे गए, संसद में प्रश्न उठे, लेकिन हर बार जवाब यही मिला की "कोविड का वित्तीय प्रभाव लंबा चला, और इन बकायों का भुगतान संभव नहीं है।" सरकार ने यह भी बताया कि डीए/डीआर फ्रीज करने से जो राशि बची, उसे कल्याणकारी योजनाओं में खर्च किया गया। आंकड़ों के अनुसार, लगभग 34,000 करोड़ रुपये इससे बचाए गए, जो विभिन्न सामाजिक और स्वास्थ्य सेवाओं में लगाए गए।

क्या वाकई खत्म हो गई है इसकी उम्मीद?

सरकारी रुख, संसद में दिए गए बयानों और कर्मचारी संगठनों के बदलते रुझान से यह लगभग तय माना जा सकता है कि रोके गए डीए/डीआर का भुगतान अब नहीं होगा। अगस्त 2025 में संसद में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने भी यही दोहराया कि महामारी का असर लंबा रहा और बकाया देना संभव नहीं है। उन्होंने वित्तीय घाटे में आई गिरावट (9.2% से घटकर 4.4%) का हवाला भी दिया।

ये 3 मिसाइलें खत्म कर सकती हैं धरती का हर कोना!

न्यूज डेस्क। आज के समय में तीन ऐसी अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइलों (ICBM) की मौजूदगी है, जो पृथ्वी के किसी भी कोने को मिनटों में तबाह कर सकती हैं। रूस, चीन और अमेरिका की ये मिसाइलें न केवल लंबी दूरी तय करती हैं, बल्कि कई परमाणु वारहेड लेकर भी जा सकती हैं, जिससे इनके विनाश का दायरा और भी बढ़ जाता है।

1. रूस की आरएस-28 सरमत

नाटो में इसे "शैतान II" कहा जाता है। इसकी रेंज 11,000 से 18,000 किलोमीटर तक है। यह मिसाइल एक साथ 10 या उससे अधिक परमाणु वारहेड ले जा सकती है। इसकी शक्ति द्वितीय विश्व युद्ध में हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए बमों से लगभग 2,000 गुना ज्यादा मानी जाती है। इसकी वजह से रूस की यह मिसाइल परमाणु संतुलन में एक अहम भूमिका निभाती है।

2. चीन की डीएफ-41

चीन की यह सबसे उन्नत रणनीतिक मिसाइल है, जिसकी रेंज 12,000 से 15,000 किलोमीटर तक पहुंचती है। डीएफ-41 कई स्वतंत्र रूप से लक्षित होने वाले वारहेड (MIRV) ले जा सकती है। इसकी गति लगभग 31,000 किलोमीटर प्रति घंटे तक पहुंचती है, जिससे इसे रोक पाना बेहद मुश्किल होता है। यह मिसाइल चीन को वैश्विक स्तर पर मजबूत रणनीतिक बढ़त देती है।

3. अमेरिका की एलजीएम-30जी मिनटमैन III

अमेरिका की यह जमीनी आधारित मिसाइल 13000 किलोमीटर तक मार कर सकती है। इसे 1970 से 1975 के बीच तैनात किया गया था और यह अमेरिकी परमाणु त्रय का अहम हिस्सा है। अमेरिका ने इस मिसाइल की तैनाती कर रखी हैं। यह एक साथ कई वारहेड (MIRV) ले जा सकती है।

वैश्विक सुरक्षा के लिए चुनौती

ये तीनों मिसाइलें अपनी दूरी, गति और वारहेड क्षमता की वजह से वैश्विक सुरक्षा के लिए बड़े खतरे की घंटी हैं। इनके कारण परमाणु निवारण की रणनीतियाँ जटिल होती जा रही हैं। कोई भी असावधानी या गलतफहमी विश्व युद्ध जैसा विनाश ला सकती है।