लावरोव ने अपने संबोधन में कहा कि सुरक्षा परिषद के विस्तार और पुनर्गठन की जरूरत है ताकि एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे महाद्वीपों का बेहतर प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके। उनका कहना था कि ये क्षेत्र आज वैश्विक सुरक्षा और राजनीतिक संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, इसलिए इन्हें परिषद में अधिक अधिकार और भागीदारी मिलनी चाहिए।
यह पहल ऐसे समय में आई है जब वैश्विक सुरक्षा ढांचे में सुधार को लेकर विश्वभर में चर्चा चल रही है। भारत ने भी लंबे समय से UNSC में स्थायी सदस्यता की मांग की है, ताकि वह वैश्विक शांति- सुरक्षा के निर्णयों में बराबरी का हिस्सा बन सके। रूस का यह समर्थन भारत के लिए एक बड़ी कूटनीतिक सफलता मानी जा रही है।
पश्चिमी देशों को चेतावनी भी दी गई
रूस के विदेश मंत्री ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से यूरोप के देशों को भी साफ संदेश दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि रूस का किसी भी यूरोपीय देश पर हमला करने का कोई इरादा नहीं है, लेकिन अगर रूस पर कोई आक्रमण होता है, तो उसका जवाब कड़ा होगा। लावरोव ने रूस को सुरक्षा के लिए खतरे का सामना कर रहा देश बताते हुए यह भी कहा कि रूस की नीयत आक्रामक नहीं है।
यह बयान ऐसे समय में आया है जब नाटो सदस्य देशों ने रूस पर अपने हवाई क्षेत्र में घुसपैठ करने के आरोप लगाए हैं। पोलैंड और एस्टोनिया ने रूस के ड्रोन और लड़ाकू विमानों के अवैध प्रवेश की बात कही है, जिसे रूस ने पूरी तरह नकार दिया है।
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