बता दें की इस योजना से पारंपरिक मछुआरे, मत्स्यजीवी सहयोग समितियों के सदस्य, महिला मछुआएं और अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के मछुआरों को कम लागत में नाव और मछली पकड़ने का जाल खरीदने में मदद मिलेगी। इसका सीधा उद्देश्य राज्य में मत्स्य व्यवसाय को आधुनिक बनाना और मछुआरों की आय में वृद्धि करना है।
कितनी मिलेगी सब्सिडी और क्या हैं लागत दरें?
सरकार द्वारा तय की गई इकाई लागत और अनुदान की जानकारी इस प्रकार है:
लकड़ी की नाव (फिशिंग बोट): ₹1,24,400 की लागत पर 90% तक सब्सिडी
एफआरपी बोट पैकेज (फाइबर रेनफोर्स्ड प्लास्टिक): ₹1,54,400 की लागत पर अनुदान
कॉस्ट (फेका) जाल पैकेज: ₹16,700 की लागत पर आर्थिक सहायता
इसका मतलब है कि मछुआरों को केवल 10% लागत वहन करनी होगी, जबकि शेष राशि राज्य सरकार देगी।
कौन और कैसे ले सकता है लाभ?
इस योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक मछुआरों को 31 दिसंबर तक https://fisheries.bihar.gov.in पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ अनिवार्य हैं: आधार कार्ड, मोबाइल नंबर, बैंक खाता विवरण, मत्स्य व्यवसाय से जुड़ा प्रमाण पत्र, ध्यान रखें, प्रत्येक परिवार या व्यक्ति को केवल एक ही पैकेज का लाभ मिलेगा।
सभी जिलों के मछुआरों को मिलेगा लाभ
यह योजना राज्य के सभी जिलों में लागू की गई है, ताकि अधिकतम मछुआरे इसका फायदा उठा सकें। आवेदन करने वालों का चयन उप मत्स्य निदेशक की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा किया जाएगा, जिससे पात्रता और पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।
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