चीन: एक बड़ी ताकत
चीन ने बीते तीन दशकों में जिस गति से अपनी आर्थिक और सैन्य क्षमता का विस्तार किया है, वह विश्व इतिहास में अभूतपूर्व है। 'मेड इन चाइना' से शुरू हुई यात्रा अब 'मेड बाय चाइना फॉर द वर्ल्ड' में तब्दील हो चुकी है। चीन अब अमेरिका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वर्तमान में चीन की जीडीपी 19 ट्रिलियन डॉलर को पार कर रही हैं।
वहीं, तकनीक, मैन्युफैक्चरिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में उसका दबदबा लगातार बढ़ रहा है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) के ज़रिए चीन ने एशिया, अफ्रीका और यूरोप में रणनीतिक पकड़ बनाई है। साथ ही पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) को अत्याधुनिक तकनीक से लैस किया है। साइबर युद्ध, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), स्पेस और हाइपरसोनिक मिसाइलों के क्षेत्र में चीन अब अमेरिका को सीधी चुनौती दे रहा है। चीन वैश्विक संगठनों में अपनी भागीदारी बढ़ा रहा है और डॉलर पर निर्भरता कम करने के प्रयास में कई देशों से युआन में व्यापार कर रहा है।
भारत: बड़ी ताकत का उदय
भारत का उदय एक लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में हो रहा है। चीन के उलट भारत न केवल आर्थिक विकास कर रहा है, बल्कि वैश्विक मंच पर अपनी सॉफ्ट पावर और रणनीतिक चतुराई से भी विश्व को प्रभावित कर रहा है। IMF के अनुसार भारत आने वाले वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। स्टार्टअप इकोसिस्टम, डिजिटल पेमेंट्स और सेवा क्षेत्र में भारत तेजी से आगे बढ़ रहा है।
भारत नॉन-अलाइन्ड (गुटनिरपेक्ष) नीति को आधुनिक रूप में अपनाकर अमेरिका, रूस और यूरोप सभी के साथ संतुलन साध रहा है। क्वाड (QUAD), ब्रिक्स (BRICS), SCO जैसे मंचों पर भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हो चुकी है। भारत अब दुनिया का सबसे अधिक जनसंख्या वाला देश है, और इसका डेमोग्राफिक डिविडेंड उसे लंबी अवधि में वैश्विक नेता बना सकता है।
क्या अमेरिका की बादशाहत वाकई खत्म हो रही है?
यह कहना कि अमेरिका पूरी तरह से अपना वर्चस्व खो चुका है, जल्दबाज़ी होगी। अमेरिका अब भी तकनीक, नवाचार, सैन्य बजट, वैश्विक गठबंधनों और डॉलर की हैसियत में अव्वल है। लेकिन यह स्पष्ट है कि "एकध्रुवीय दुनिया" अब "बहुध्रुवीय" बन रही है। चीन और भारत जैसे देश अमेरिका को चुनौती दे रहे हैं।
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