यूपी में 30% महंगी हो सकती है बिजली, पढ़ें डिटेल

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं के लिए बड़ा झटका लग सकता है। राज्य में बिजली दरों में 30 प्रतिशत तक इजाफे की आशंका जताई जा रही है। यह अनुमान राज्य विद्युत पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) द्वारा सोमवार को नियामक आयोग में दाखिल संशोधित वार्षिक राजस्व आवश्यकता (ARR) के आधार पर लगाया गया है।

कॉरपोरेशन ने 2023-24 के लिए बिजली कंपनियों के वास्तविक आय और व्यय के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि राजस्व घाटा 13,542 करोड़ रुपए पहुंच चुका है, जबकि पहले यह आंकड़ा 4,378 करोड़ बताया गया था। अब 2025-26 में यह घाटा बढ़कर 19,600 करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है।

पहली बार बैलेंस शीट और कैश फ्लो पर फोकस

UPPCL ने ARR दाखिल करते समय पहली बार बैलेंस शीट और कैश फ्लो की वास्तविक स्थिति को प्रमुख आधार बनाया है। अब तक ARR में निर्धारित मानकों के तहत आंकड़े दिए जाते थे, जिनमें कई खर्च छुप जाते थे। कॉरपोरेशन का कहना है कि बिजली बिलों की 100% वसूली अव्यावहारिक है, इसलिए अब यथार्थवादी आंकड़ों के आधार पर ही बिजली दरें तय की जानी चाहिए।

10 साल में 70,792 करोड़ का निवेश

पावर कॉरपोरेशन ने बताया कि बीते एक दशक में 70,792 करोड़ रुपए का निवेश बिजली इन्फ्रास्ट्रक्चर और उपभोक्ता सेवाओं के सुधार पर किया गया, लेकिन ट्रांसफॉर्मरों की क्षतिग्रस्तता 10% से अधिक बनी हुई है। इसके चलते वितरण घाटा और राजस्व अंतर में कोई खास कमी नहीं आ पाई।

उपभोक्ता परिषद ने जताया विरोध

राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने इस प्रस्ताव का कड़ा विरोध करते हुए नियामक आयोग में लोक महत्व का प्रस्ताव दाखिल किया है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि "राजस्व अंतर का आकलन वसूली दक्षता के आधार पर करना असंवैधानिक है। बिजली कंपनियों की अक्षमता का बोझ आम उपभोक्ताओं पर नहीं डाला जा सकता।"

क्या होगा असर?

यदि नियामक आयोग UPPCL के संशोधित ARR को मंजूरी देता है, तो राज्य में बिजली दरों में इतिहास की सबसे बड़ी बढ़ोतरी देखी जा सकती है। इसका सीधा असर आम घरेलू उपभोक्ताओं, किसानों और औद्योगिक इकाइयों पर पड़ेगा। ऐसे में आने वाले दिनों में बिजली बिल उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पड़ सकते हैं।

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