AI टेक्नोलॉजी से लैस Su-57M की पहली उड़ान!

नई दिल्ली। रूस ने आधुनिक युद्ध तकनीक की दुनिया में एक ऐतिहासिक छलांग लगाते हुए अपने अत्याधुनिक फाइटर जेट Su-57M की पहली AI-संचालित उड़ान सफलतापूर्वक पूरी की है। इस उड़ान के साथ ही रूस ने वैश्विक रक्षा तकनीक में अपना वर्चस्व और मजबूत किया है। अब यह भविष्य की वायु-युद्ध रणनीतियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के व्यापक उपयोग की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

क्या है खास Su-57M की इस उड़ान में?

रूस के इस एडवांस फाइटर जेट ने AI की मदद से उड़ान भरी, जहां विमान की नेविगेशन, टारगेटिंग और उड़ान नियंत्रण प्रणाली को इंसानी पायलट की जगह AI द्वारा संचालित किया गया। हालांकि उड़ान के दौरान पायलट सर्गेई बोगदान विमान में मौजूद थे, लेकिन अधिकांश नियंत्रण AI ने संभाले। यह उड़ान रूस के PAK FA प्रोग्राम का हिस्सा है, जिसकी शुरुआत 1999 में की गई थी।

Su-57M दरअसल Su-57 का अपग्रेडेड और एडवांस वर्जन है, जिसमें AI सिस्टम, स्टील्थ डिजाइन, AL-51F-1 इंजन और लंबी दूरी के रडार जैसी विशेषताएं शामिल हैं। यह अमेरिका के F-22 और F-35 जैसे जेट्स को टक्कर देने की क्षमता रखता है।

भारत के लिए क्यों है यह मौका?

भारत और रूस के रक्षा संबंध दशकों पुराने हैं। भारतीय वायुसेना में Su-30MKI जैसे रूस निर्मित फाइटर जेट्स की संख्या 270 से भी अधिक है। भारत ने 1996 में इन विमानों का सौदा किया था और बाद में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा इनका निर्माण भारत में ही किया गया।

अब जब रूस ने AI तकनीक से लैस Su-57M का सफल परीक्षण कर लिया है, तो यह भारत के लिए तकनीकी उन्नयन का एक बड़ा अवसर हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत आने वाले वर्षों में इस AI तकनीक को अपने मौजूदा सुखोई बेड़े में शामिल करने या Su-57M जैसे जेट्स के अधिग्रहण की दिशा में पहल कर सकता है।

युद्ध कौशल में क्यों है AI की भूमिका अहम?

AI तकनीक से लैस लड़ाकू विमान युद्ध की स्थिति में बेहद तेज़ी से निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। ये सिस्टम: दुश्मन की स्थिति का तेजी से विश्लेषण कर सकते हैं, टारगेट को पहचानने और लॉक करने में तेजी दिखाते हैं, पायलट की थकान और मानवीय त्रुटियों को न्यूनतम करते हैं, मिशन को ज्यादा सटीक और कुशल बनाते हैं। 

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