स्क्रैमजेट इंजन क्या है?
स्क्रैमजेट यानी सुपरसोनिक कंबस्टन रैमजेट इंजन एक ऐसा एयर-ब्रीदिंग इंजन है जो बेहद उच्च गति पर काम करता है। यह ध्वनि की गति से पांच गुना या उससे अधिक तेज गति से उड़ान भर सकता है। इसके बिना चलने वाले मूविंग पार्ट्स इसे अत्यंत कुशल और टिकाऊ बनाते हैं। स्क्रैमजेट इंजन के उपयोग से विकसित होने वाली हाइपरसोनिक मिसाइलें पारंपरिक मिसाइल प्रणालियों को पीछे छोड़ सकती हैं क्योंकि यह लगभग पलक झपकते ही दुश्मन के रडार से बच सकती हैं।
दुनिया में 4 देशों के पास हैं स्क्रैमजेट इंजन
1. अमेरिका (United States of America)
तकनीक का स्तर: अमेरिका हाइपरसोनिक और स्क्रैमजेट इंजन तकनीक में अग्रणी रहा है। अमेरिकी रक्षा विभाग (DoD) और NASA दोनों ने इस तकनीक पर वर्षों से शोध किया है।
प्रमुख प्रोजेक्ट: X-51A वायुयान जो स्क्रैमजेट इंजन के परीक्षण के लिए प्रयोग किया गया। यह पहला विमान था जिसने 5 मिनट से अधिक समय तक स्क्रैमजेट इंजन से उड़ान भरी।
उपयोग: अमेरिका हाइपरसोनिक मिसाइल और विमान बनाने में इस तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है, जो युद्ध के मैदान में उसकी श्रेष्ठता को बढ़ाता है।
2. रूस (Russia)
तकनीक का स्तर: रूस ने भी स्क्रैमजेट और हाइपरसोनिक तकनीक में काफी प्रगति की है। वे अपने हाइपरसोनिक हथियारों के लिए इस तकनीक पर काम कर रहे हैं।
प्रमुख प्रोजेक्ट: रूस की "अवनगार्ड" और "ज़िरकॉन" हाइपरसोनिक मिसाइलें स्क्रैमजेट तकनीक पर आधारित हैं।
उपयोग: रूस ने अपने सैन्य बलों के लिए हाइपरसोनिक मिसाइलों का विकास और तैनाती शुरू कर दी है, जिससे उसकी रक्षा क्षमता में इजाफा हुआ है।
3. चीन (China)
तकनीक का स्तर: चीन ने हाल के वर्षों में इस क्षेत्र में तेजी से प्रगति की है और हाइपरसोनिक स्क्रैमजेट इंजन तकनीक में अहम उपलब्धियां हासिल की हैं।
प्रमुख प्रोजेक्ट: DF-17 और Xingkong-2 जैसी हाइपरसोनिक मिसाइलें, जो स्क्रैमजेट इंजन पर आधारित हैं।
उपयोग: चीन की ये मिसाइलें लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मारक क्षमता रखती हैं, जो उसे क्षेत्रीय और वैश्विक सैन्य ताकत के रूप में स्थापित करती हैं।
4. भारत (India)
तकनीक का स्तर: भारत ने हाल ही में स्क्रैमजेट इंजन तकनीक में अहम उपलब्धियां हासिल की हैं।
प्रमुख प्रोजेक्ट: भारत का हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल प्रोजेक्ट, जो 1500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय कर सकती है और ध्वनि की गति से आठ गुना अधिक गति से उड़ सकती है।
उपयोग: भारत की यह तकनीक रक्षा स्वावलंबन को बढ़ावा देगी और उसकी हाइपरसोनिक मिसाइल क्षमताओं को मजबूत करेगी।
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