भारत का नाग Mk-2 मिसाइल तैयार: चीन-पाक के उड़े होश

नई दिल्ली। भारत अब आत्मनिर्भर रक्षा प्रणाली के क्षेत्र में लगातार नई ऊंचाइयों को छू रहा है। ताजा उदाहरण है DRDO की विकसित की गई नाग Mk-2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल और इसका लॉन्च प्लेटफॉर्म VIKRAM VT-21। यह संयोजन भारतीय थल सेना की ताकत में क्रांतिकारी बदलाव लाने वाला है।

क्यों खास है नाग Mk-2?

नाग Mk-2, दरअसल, पहले से सफल नाग मिसाइल का एक उन्नत संस्करण है। इसे भारत के इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (IGMDP) के तहत विकसित किया गया है। यह तीसरी पीढ़ी की "फायर-एंड-फॉरगेट" मिसाइल है, यानी एक बार लक्ष्य साधने के बाद इसे किसी और मार्गदर्शन की जरूरत नहीं होती।

इसके प्रमुख फीचर्स हैं:

1 .बढ़ी हुई रेंज: Mk-1 की तुलना में इसकी रेंज दोगुनी हो गई है। अब यह लगभग 7 से 10 किलोमीटर तक प्रभावी निशाना साध सकती है। इससे सेना को दुश्मन के टैंकों को दूर से ही खत्म करने की क्षमता मिलेगी।

2 .ज्यादा सटीकता: इसमें लगा जेट वेन कंट्रोल सिस्टम, हेलिना मिसाइल से लिया गया है। यह तकनीक मिसाइल को तेज गति से दिशा बदलने की क्षमता देती है, जिससे यह चलते हुए या छलावा देने वाले लक्ष्यों को भी सटीकता से भेद सकती है।

3 .आधुनिक वारहेड: यह मिसाइल इमेजिंग इन्फ्रारेड सीकर से लैस है और इसके अंदर टैंडेम हाई-एक्सप्लोसिव एंटी-टैंक वारहेड लगा है, जो एक्सप्लोसिव रिएक्टिव आर्मर (ERA) से लैस मॉडर्न टैंकों को भी तबाह कर सकता है।

4 .हल्का लेकिन घातक: इसका डिज़ाइन हल्का होने के बावजूद बेहद मजबूत और प्रभावशाली है, जिससे इसे BMP-2, VIKRAM VT-21 जैसे कई प्लेटफार्मों पर आसानी से तैनात किया जा सकता है।

सामरिक बढ़त का संकेत

DRDO द्वारा नाग Mk-2 और VIKRAM VT-21 के कॉम्बिनेशन की टेस्टिंग एक बड़े सामरिक बदलाव का संकेत देती है। इससे भारत न केवल चीन और पाकिस्तान जैसे दुश्मनों के टैंकों के खिलाफ बढ़त हासिल करेगा, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत के रक्षा विजन की दिशा में एक और मजबूत कदम है।

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