S-400 मिसाइल सिस्टम: भारत की सुरक्षा का नया स्तंभ
भारत ने 2018 में रूस के साथ लगभग 5.5 अरब डॉलर की लागत से पांच S-400 ट्रायंफ मिसाइल सिस्टम खरीदने का समझौता किया था। अब तक भारत को तीन सिस्टम मिल चुके हैं, जबकि शेष दो की डिलीवरी में कुछ देरी रही है। लेकिन रूसी अधिकारियों के अनुसार, बाकी बचे सिस्टम 2026 और 2027 के बीच भारत को सौंप दिए जाएंगे।
इस मिसाइल सिस्टम की ताकत का एक उदाहरण मई में पाकिस्तान के साथ बढ़े तनाव के दौरान देखा गया, जब जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने सर्जिकल स्ट्राइक की। उस दौरान S-400 ने भारत की वायु सुरक्षा में अहम भूमिका निभाई। रूस के इस नए ऑफर का मतलब है कि आने वाले समय में भारत को और अधिक S-400 सिस्टम मिल सकते हैं, जिससे देश की वायु-प्रतिरक्षा और भी सुदृढ़ होगी।
कच्चे तेल पर छूट: रूस का ऊर्जा कूटनीति में मास्टरस्ट्रोक
सिर्फ रक्षा ही नहीं, ऊर्जा क्षेत्र में भी रूस भारत को बड़ी राहत देने की तैयारी कर रहा है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, रूस भारत को अपने यूराल कच्चे तेल पर ब्रेंट क्रूड की तुलना में 3-4 डॉलर प्रति बैरल की छूट देने की योजना बना रहा है। यह छूट पिछले हफ्ते 2.5 डॉलर थी और जुलाई में सिर्फ 1 डॉलर। इससे यह साफ है कि रूस भारत को एक विश्वसनीय ऊर्जा साझेदार के रूप में देख रहा है।
इस छूट का सीधा फायदा भारत को अपने आयात बिल में कमी और घरेलू ईंधन कीमतों को नियंत्रण में रखने के रूप में मिलेगा। ऐसे समय में जब वैश्विक तेल बाजार में अस्थिरता बनी हुई है, यह प्रस्ताव भारत के लिए बेहद उपयोगी साबित हो सकता है।
अमेरिका की चिंता: रणनीतिक स्वतंत्रता की परीक्षा
भारत और रूस के इस बढ़ते सहयोग ने अमेरिका को चौंका दिया है। अमेरिका लंबे समय से भारत को रूस से दूरी बनाने के लिए दबाव डालता रहा है, खासकर तेल खरीद और रक्षा सौदों को लेकर। लेकिन भारत की नीति स्पष्ट है, वह अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता को बनाए रखते हुए, अपने राष्ट्रीय हितों को सर्वोपरि रखता है।
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