आर्थिक स्वार्थ और चुनौतियां
प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में स्पष्ट किया कि यह उपलब्धि ऐसे समय में हासिल हुई है जब विश्व भर में आर्थिक अस्थिरता और संरक्षणवाद की लहरें बढ़ रही हैं। खासकर अमेरिकी प्रशासन द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए भारी टैरिफ ने भारतीय निर्यातकों और उद्योगों के लिए चुनौतियां पैदा की हैं। इसके बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था ने अपनी गति खोने के बजाय नयी ऊर्जा और आत्मनिर्भरता का परिचय दिया है। यह संकेत करता है कि वैश्विक आर्थिक दबाव भारत की विकास गाथा को रोक नहीं सके।
विभिन्न क्षेत्रों में समग्र प्रगति
7.8% की GDP वृद्धि दर केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि यह देश के हर प्रमुख आर्थिक क्षेत्र कृषि, निर्माण, सेवाएं, और विनिर्माण में व्यापक प्रगति का प्रतिबिंब है। कृषि क्षेत्र की मजबूती ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल दिया है, जबकि मैन्युफैक्चरिंग और कंस्ट्रक्शन सेक्टर ने उद्योग क्षेत्र को नई गति दी है। सेवा क्षेत्र, जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, ने भी निरंतर विकास का रुख अपनाया है। इस समग्र विकास से न केवल रोजगार सृजन में वृद्धि हुई है, बल्कि निवेश के लिए भारत की स्थिति भी और मजबूत हुई है।
भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति
प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी उल्लेख किया कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के पथ पर स्थिर कदम बढ़ा रहा है। यह केवल आकंड़ों का खेल नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक दृष्टिकोण है, जो देश की आर्थिक नीतियों, उद्यमशीलता, और तकनीकी नवाचारों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। भारत की इस प्रगति ने वैश्विक निवेशकों का भरोसा बढ़ाया है और देश के आर्थिक मॉडल को एक नई पहचान दी है।
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