यूपी में 'नायब तहसीलदारों' को लेकर बड़ा अपडेट

लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने राजस्व वादों के त्वरित निस्तारण की दिशा में एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। प्रदेश भर में तहसीलदारों की भारी कमी को देखते हुए अब नायब तहसीलदारों को 'प्रभारी तहसीलदार' बनाकर प्रशासनिक और न्यायिक जिम्मेदारियां सौंपी जाएंगी। यह निर्णय न केवल प्रशासनिक सुचारूता सुनिश्चित करेगा, बल्कि आम जनता को न्याय मिलने की प्रक्रिया को भी तेज करेगा।

क्या है समस्या?

राज्य में कुल 766 तहसीलदार पद स्वीकृत हैं, लेकिन वर्तमान में केवल 328 अधिकारी ही तैनात हैं। इसके अलावा 16 तहसीलदार प्रतिनियुक्ति पर अन्य विभागों में कार्यरत हैं। इसका सीधा असर राजस्व वादों के निस्तारण पर पड़ रहा है। सैकड़ों मामले लंबित पड़े हैं और आमजन को न्याय के लिए महीनों तक इंतजार करना पड़ रहा है।

नायब तहसीलदारों को क्यों सौंपी गई जिम्मेदारी?

राजस्व परिषद के आयुक्त एवं सचिव एस.वी.एस. रंगाराव ने प्रदेश के मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों को निर्देश जारी कर यह स्पष्ट किया है कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए नायब तहसीलदारों को अस्थायी तौर पर तहसीलदार का प्रभार सौंपा जाएगा। यह निर्णय "तात्कालिक समाधान" के तहत लिया गया है, जिससे कि न्यायिक और प्रशासनिक कामकाज प्रभावित न हो।

किन दायित्वों का निर्वहन करेंगे नायब तहसीलदार?

नायब तहसीलदारों को प्रभारी तहसीलदार बनाकर राजस्व वादों की सुनवाई और निस्तारण का अधिकार मिलेगा। वे सहायक कलेक्टर प्रथम श्रेणी के रूप में कार्य करेंगे और तहसीलदार के पदनाम से जिम्मेदारियां निभाएंगे। रोस्टर निर्धारित कर इनकी ड्यूटी लगाई जाएगी, ताकि किसी भी तहसील में न्यायिक प्रक्रिया बाधित न हो।

लेकिन नहीं मिलेगा अतिरिक्त भत्ता या सेवा लाभ

इस नई व्यवस्था के तहत नियुक्त किए गए नायब तहसीलदारों को: कोई अतिरिक्त भत्ता नहीं दिया जाएगा। तहसीलदार के कार्यों का निष्पादन करने पर कोई सेवा लाभ या वरिष्ठता का दावा मान्य नहीं होगा। यह व्यवस्था स्थायी नियुक्ति का विकल्प नहीं, बल्कि एक अस्थायी समाधान के रूप में लागू की जा रही है।

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