यूपी में बिजली के निजीकरण को लेकर गाइडलाइन!

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण के निजीकरण को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। शुक्रवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण की दिशा में कदम आगे बढ़ाए गए। लेकिन बैठक में जो फैसले लिए गए, उन पर अब ऊर्जा विभाग से जुड़े संगठनों और राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने तीखी आपत्ति जताई है।

42 जिलों में बिजली के निजीकरण की तैयारी 

बता दें की एनर्जी टास्क फोर्स द्वारा जिन 42 जनपदों में बिजली निजीकरण की प्रक्रिया शुरू करने की बात की जा रही है, वहां 1959 से विद्युत विभाग सेवा में है। मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता वाली एनर्जी टास्क फोर्स (ईटीएफ) ने दोनों कंपनियों के निजीकरण के टेंडर मसौदे को अनुमोदित करते हुए इसे नियामक आयोग को अभिमत के लिए भेजने का फैसला किया है। नियामक आयोग की मंजूरी के बाद टेंडर प्रारूप को अंतिम रूप दिया जाएगा और इन दोनों कंपनियों के निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

गुपचुप तरीके से तैयार की गई गाइडलाइन?

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि एनर्जी टास्क फोर्स ने भारत सरकार की 2020 की स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन को दरकिनार करते हुए नई गाइडलाइन (अप्रैल 2025) को चुपचाप तैयार किया और उसी के आधार पर शुक्रवार की बैठक में निजीकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ाया गया। उनका आरोप है कि इस नई गाइडलाइन को सार्वजनिक नहीं किया गया, न ही यह भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिससे यह कानूनी वैधता से परे हो जाती है।

उपभोक्ताओं की राय की अनदेखी?

परिषद का तर्क है कि 2020 में जो स्टैंडर्ड बिडिंग गाइडलाइन भारत सरकार ने तैयार की थी, उसे जनता की राय और सुझाव के लिए सार्वजनिक किया गया था। लेकिन 2025 की गाइडलाइन के मामले में न तो कोई जनसुनवाई हुई, न ही यह वेबसाइट पर उपलब्ध कराई गई। यह सीधे-सीधे गोपनीयता और पारदर्शिता के अभाव की ओर इशारा करता है।

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