तीन दिन में देना होगा जवाब
बीएसए कार्यालय से जारी नोटिस में स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे तीन दिनों के भीतर उल्लंघन के कारण का स्पष्टीकरण दें। यदि स्कूल संतोषजनक जवाब देने में असफल रहते हैं तो उनकी मान्यता (NOC) रद्द की जा सकती है और कानूनी कार्रवाई भी शुरू की जा सकती है। बीएसए ने स्पष्ट किया है कि यह कदम शिक्षा में समान अवसर सुनिश्चित करने और गरीब बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए उठाया गया है।
35 स्कूलों की गैरहाजिरी पर सवाल
न केवल नियमों का उल्लंघन, बल्कि प्रशासन की बैठकों में भी स्कूल प्रबंधनों की लापरवाही सामने आई है। बीएसए द्वारा बुलाई गई बैठक में 35 स्कूल प्रबंधक अनुपस्थित रहे। प्रशासन ने इसे गंभीरता से लेते हुए इन स्कूलों की उदासीनता और गैर-जिम्मेदाराना रवैये को चिन्हित किया है।
क्या है आरटीई अधिनियम 2009?
आरटीई अधिनियम, 2009 के तहत देश के सभी निजी स्कूलों को अपनी 25% सीटें आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित करनी होती हैं। यह कानून हर बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बनाया गया है। बावजूद इसके, कई स्कूल इस कानून की खुलेआम अनदेखी कर रहे हैं।
सिद्धार्थनगर में 47 शिक्षकों पर गिरी गाज
सिर्फ निजी स्कूल ही नहीं, बल्कि सरकारी शिक्षा तंत्र में भी लापरवाही सामने आई है। सिद्धार्थनगर जिले में 6 से 13 मई तक चले सघन जांच अभियान के दौरान 47 शिक्षक अनुपस्थित पाए गए। इनमें 2 प्रधानाध्यापक, 11 सहायक अध्यापक, 29 शिक्षामित्र और 5 अनुदेशक शामिल हैं। इन सभी का एक दिन का वेतन काटा गया है और उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया है। कार्रवाई बेसिक शिक्षा अधिकारी शैलेश कुमार की निगरानी में की गई।
26 जिलों के बीएसए को भी कारण बताओ नोटिस
प्रदेश के 26 जिलों के बीएसए (जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी) भी प्रशासन के रडार पर हैं। शिक्षकों के परस्पर तबादलों के आवेदन सत्यापन में लापरवाही सामने आने पर बेसिक शिक्षा निदेशक ने इन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। सत्यापन प्रक्रिया में लापरवाही के चलते तबादलों की प्रक्रिया प्रभावित हो रही है। चेतावनी दी गई है कि यदि जवाब संतोषजनक नहीं हुआ तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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