सावन 2025: शिव के 5 मंत्रों से चमकेगी किस्मत, हर संकट होगा दूर

धर्म डेस्क। हिंदू पंचांग के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। यह मास भक्ति, साधना और तपस्या का प्रतीक माना जाता है। सावन 2025 विशेष रूप से शुभ संयोग लेकर आ रहा है, क्योंकि इस बार सावन में 5 पावन सोमवार पड़ेंगे, जो शिवभक्ति के लिए अत्यंत प्रभावशाली माने जाते हैं।

इस पवित्र महीने में भगवान शिव के कुछ विशिष्ट मंत्रों का जाप करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सफलता और शांति का संचार होता है। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार ये 5 शिव मंत्र न सिर्फ मनोकामनाएं पूरी करते हैं, बल्कि भाग्य का रुख भी बदल सकते हैं।

1. ॐ नमः शिवाय

मंत्र अर्थ: “मैं शिव को नमस्कार करता हूँ।”

महत्व: यह शिव जी का पंचाक्षरी मंत्र है और सबसे सरल व प्रभावशाली माना जाता है। इसका नियमित जाप मन को शांत करता है और जीवन में संतुलन लाता है। इसे "सभी कष्टों का नाशक" मंत्र भी कहा जाता है। प्रतिदिन 108 बार रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जाप करें, विशेष रूप से सोमवार को जलाभिषेक करते समय।

2. महामृत्युंजय मंत्र

मंत्र: ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

महत्व: इस मंत्र को ‘मृत्यु को जीतने वाला’ कहा गया है। यह दीर्घायु, आरोग्य और संकट निवारण के लिए सर्वोत्तम माना जाता है। सुबह स्नान के बाद शांत मन से 21 या 108 बार जाप करें। दीपक और धूप जलाकर शिवलिंग के सामने बैठें।

3. रुद्र गायत्री मंत्र

मंत्र: ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि।

तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्॥

महत्व: यह मंत्र शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली है। यह साधक के भीतर चेतना का जागरण करता है और आत्मविश्वास बढ़ाता है। हर दिन सूर्योदय के समय इस मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।

4. शिव तांडव स्तोत्र का एक मंत्र

मंत्र: जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले, गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजंगतुंगमालिकाम्॥

महत्व: यह मंत्र शिव के तांडव स्वरूप का वर्णन करता है और जीवन में शक्ति, साहस और नेतृत्व क्षमता लाता है। व्यापार या करियर में प्रगति के इच्छुक लोगों को यह मंत्र विशेष लाभ देता है। सोमवार को शिव मंदिर में जाकर तांडव स्तोत्र का पाठ करें या कम से कम एक श्लोक का उच्चारण करें।

5. ॐ शिवाय नमः

महत्व: यह मंत्र "ॐ नमः शिवाय" का बीज रूप है। ध्यान और साधना में इसकी अत्यधिक शक्ति मानी जाती है। यह साधक को शिव के साथ एकत्व की अनुभूति कराता है। ध्यान मुद्रा में बैठकर गहरी सांसों के साथ इस मंत्र का उच्चारण करें। इससे मानसिक शांति और आत्मिक बल बढ़ता है।

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